रिजर्व बैंक ने रेपो रेट 0.40 फीसदी से बढ़ाकर 4.40 फीसदी किया…

रिजर्व बैंक ने रेपो रेट 0.40 फीसदी से बढ़ाकर 4.40 फीसदी किया…

मुंबई, 04 मई। भारतीय रिजर्व बैंक ने बढ़ती महंगाई पर चिंता जताते हुये इसको काबू में करने के उद्देश्य से रेपो दर में आज तत्काल प्रभाव से 40 आधार अंक की बढ़ोतरी करने का निर्णय लिया है, जिससे सभी प्रकार के ऋण महंगें हो जायेंगे। कोरोना काल के शुरू होने के बाद मई 2020 के बाद पहली बार रिजर्व बैंक ने इस दर में बढोतरी की है।

मौद्रिक नीति समिति की दो और चार मई को हुयी बैठक के बाद आज दोपहर केन्द्रीय बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने इस बैठक में लिए गये निर्णय की जानकारी देते हुये कहा कि रेपा दर को अब 4 प्रतिशत से बढ़ाकर 4.40 प्रतिशत कर दिया गया है। इसके साथ ही स्टैंडिंग डिपोजिट फैसिलिटी(एसडीएफ) दर को भी 40 आधार अंक बढ़ाकर 4.15 प्रतिशत और मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (एमएसएफ) दर को 4.25 प्रतिशत से बढ़ाकर 4.65 प्रतिशत कर दिया गया है।

उन्होंने कहा कि मौद्रिक नीति समिति ने महंगाई को लक्षित दायरे में रखने को सुनिश्चित करने में समायोजन को वापस लेते हुये विकास को समर्थन करने के लिए अपने मौद्रिक रुख को समायोजन वाला बनाये रखने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि आज लिये गये निर्णय का लक्ष्य मध्यकाल में विकास को समर्थन करते हुये उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई का छह प्रतिशत तक के लक्षित दायरे में रखना है।

उन्होंने कहा कि इस वर्ष अप्रैल में हुयी समिति की बैठक के बाद से वैश्विक स्तर पर भू राजनैतिक तनावों और प्रतिबंधों से कई कारक ऐसे हुये हैं जिससे बाधा आयी है और वस्तुओं की आपूर्ति प्रभावित हुयी है। कीमतों में बढ़ोतरी हुयी है। इससे आर्थिक स्तर पर जोखिम बढ़ा है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने तीन महीने से भी कम समय में वैश्विक आर्थिक विकास परिदृश्य में कटौती की है। इसके साथ ही विश्व व्यापार संगठन ने भी वैश्विक व्यापार वृद्धि के अनुमान में कटौती की है।

गवर्नर ने कहा कि मजबूत आर्थिक नींव और भंडारण के बल पर आर्थिक गतिविधियों के नकारात्मक झटकों से निपटने की क्षमता है। अल्पकालिक महंगाई को भी तीव्रता से काबू करने की क्षमता है लेकिन वैश्विक कारकों के कारण हो रही बढोतरी का असर दिख सकता है। इसके मद्देनजर समिति ने रेपो दर में यह बढोतरी करने का निर्णय लिया है।

उन्होंने कहा कि कोरोना की तीसरी लहर के कारण लगाये गये प्रतिबंधों में ठील दिये जाने से इस वर्ष मार्च अप्रैल के दौरान घरेलू आर्थिक गतिविधियों में स्थिरता आयी। शहरी मांग में तेजी आने लगी लेकिन ग्रामीण मांग कुछ नरम है। निवेश गतिविधियों में भी तेजी आने लगी है। निर्यात में अप्रैल में लगातार 14वें महीने में दहाई अंकों की बढोतरी हुयी है। घरेलू मांग बढ़ने से गैर तेल गैर स्वर्ण आयात में भी बढोतरी हुयी है।

उन्होंने हालांकि कहा कि इसके बादजूद तंत्र में तरलता अतिशेष है। अप्रैल 22 में बैंक ऋण में 11.1 प्रतिशत की वार्षिक बढोतरी हुयी है। विदेशी मुद्रा भंडार 6.9 अरब डॉलर घटकर 600 अरब डॉलर पर आ गया है। उन्होंने कहा कि खुदरा महंगाई मार्च में बढ़कर सात प्रतिशत पर पहुंच गयी है। खाद्य महंगाई भी इस दौरान बढ़कर 7.5 प्रतिशत पर पहुंच गयी। उन्होंने कहा कि महंगाई अब वैश्विक स्तर से तय हो रही है और वर्तमान भूराजनैतिक स्थिति का इस पर बहुत अधिक असर दिख रहा है। वैश्विक कमोडिट कीमतों में हो रही घटबढ़ से भी भारतीय खाद्य महंगाई का रूख तय हो रहा है।

समिति के सभी सदस्यों ने रेपो दर में 40 आधार अंकों की बढोतरी किये जाने का समर्थन किया है। सभी सदस्यों ने समायोजन वाला रूख बनाये रखने का समर्थन किया है। समिति की अब तीन दिवसीय अगली बैठक छह से आठ जून को होगी।

हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…