*समाजसेवी मोहम्मद शहाब ने छेड़ी बच्चों के लिए मुहिम*
*चौराहों पर भीख मांगने वाले बच्चों तक पहुंचाते हैं कपड़े और किताबें*
*लखनऊ।* पुराने लखनऊ के रहने वाले एक बुजुर्ग समाजसेवी ने शहर के चौराहों पर भीख मांगकर अपना जीवन यापन करने वाले मासूम बच्चों को भिक्षावृत्ति जैसे पेशे से मुक्त कराकर शिक्षित जीवन में प्रवेश कराने की मुहिम छेड़ी है। नादान महल रोड पर स्थित रहीमाबाद हाउस में रहने वाले वरिष्ठ समाजसेवी मोहम्मद शहाब अख़्तर ने चौराहों पर भीख मांगने वाले मासूम बच्चों की हालत पर चिंता व्यक्त करते हुए उनके जीवन में बदलाव लाने की मुहिम छेड़ दी है।
समाजसेवी मोहम्मद शहाब ने आईटी चौराहे पर भीख मांगने वाले 6 बच्चों को न सिर्फ कपड़े, खाने की वस्तुएं और किताबे भेंट की बल्कि उनके जीवन में शिक्षा का बदलाव लाने के लिए मुहिम भी छेड़ दी है। मोहम्मद शहाब ने बताया कि उन्होंने हिंदुस्तान बाल सेवा केंद्र नाम से एक संस्था का गठन किया है जिसकी शुरुआत हो जल्द ही ग्रामीण क्षेत्र से करेंगे। उन्होंने बताया कि उनकी इस संस्था में तमाम ऐसी सोच वाले लोग शामिल हो गए हैं जो इस तरह के बच्चों के जीवन में सुधार लाने का प्रयास लंबे समय से कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि हिंदुस्तान बाल सेवा केंद्र शहर के चौराहों पर भीख मांगने वाले बेबस मजबूर मासूम बच्चों को भिक्षाव्रती के इस पेशे से मुक्त करा कर उन्हें शिक्षित जीवन में प्रवेश कराने का प्रयास करेगा। शहर में कुछ बच्चे तो ऐसे हैं जो मजबूरी वश भीख मांग कर अपना पेट भर रहे हैं लेकिन कुछ बच्चे ऐसे हैं जिनसे भीख मंगवाई जा रही है। उनकी संस्था यह मुहिम छेड़ेगी की ऐसे बच्चे जो किसी भीख मंगवाने वाले गिरोह में फंसे हुए हैं उनको पुलिस की मदद से मुक्त कराया जाए और उन्हें मुक्त करा कर बाकायदा उनको शिक्षा दिलाने के लिए स्कूलों में उनके प्रवेश कराए जाएं उन्होंने बताया कि शहर में लगातार भीख मांगने वाले बच्चों की संख्या बढ़ रही है जो बहुत ही दुखदायक है।
उन्होंने कहा कि शहर में इस तरह के हजारों बच्चों के जीवन सुधार की जिम्मेदारी वो अकेले नहीं उठा सकते इसलिए उन्होंने हिंदुस्तान बाल सेवा केंद्र का गठन किया जिसमें तमाम ऐसे लोग जुड़ रहे हैं जो अपनी कमाई का कुछ हिस्सा ऐसे बच्चों के जीवन को सुधारने में लगाने के इच्छुक है जो निर्धन परिवार के हैं और भीख मांग कर अपना पेट भर रहे हैं। उन्होंने लोगों से अपील की है कि वो इस तरह के बच्चों को भिक्षावृत्ति के पेशे से मुक्त कराने के लिए उनकी संस्था से जुड़े उन्होंने कहा कि हमारी संस्था किसी से भी कोई नगद सहयोग नहीं लेगी।
उन्होंने कहा कि शहर के बड़े-बड़े चौराहों पर भीख मांग रहे बच्चों की जरूरत का सामान लोग उन तक पहुंचाएं और बच्चों के माता-पिता से बात करके उन बच्चों को शिक्षा दिलाएं जो अशिक्षित रहकर गरीबी की वजह से पेट भरने के लिए चौराहों पर घूम घूम कर भीख मांग रहे हैं। श्री शहाब का कहना है कि शहर के चौराहों पर तपती दोपहर में भीख मांग कर अपना पेट भरने वाले बच्चों का भविष्य अंधकार में डूब रहा है इस तरह के बच्चे जिन्हें कल का पता नहीं है वह कल क्या बनेंगे इसका अंदाजा इनकी हालत देखकर लगाया जा सकता है।