कोरोना को लेकर छात्रों में भय, 70 फीसदी से कम बच्चे स्कूल में उपस्थित…
अभिभावकों ने की बड़ी मांग…
नोएडा। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से सटे एनसीआर के इलाकों में कोरोना वायरस का संक्रमण एक बार फिर बढ़ रहा है। उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर में हाईअलर्ट है। कोरोना के मामले सबसे ज्यादा स्कूल में आ रहे है। ऐसे में बच्चों के कोरोना वायरस ने की पुष्टि से लोग काफी परेशान हैं। कई अभिभावक ने अब अपने बच्चों को स्कूल भेजने से डर रहे हैं।
गौतमबुद्धनगर पेरेंट्स वेल्फेयर सोसाइटी (जीपीडब्ल्यूएस) के संस्थापक मनोज कटारिया ने बताया कि स्कूलों को वैकल्पिक दिनों में एक दिन छोड़कर एक दिन क्लास करनी चाहिए। इसके अलावा ऑनलाइन के साथ-साथ ऑफलाइन कक्षाएं भी शुरू करनी चाहिए। ताकि संक्रमण का फैलाव बहुत कम रह जाए। उन्होंने आगे कहा कि 13 साल से कम उम्र के छात्रों का टीकाकरण अभी तक नहीं हुआ है। जिसके कारण अभिभावकों में संक्रमण का भय व्याप्त है।
उन्होंने बताया कि स्कूल के बच्चों की सुरक्षा उपाय करने और कोविड प्रोटोकॉल का पालन करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन विशेष रूप से दोपहर के भोजन और छुट्टी के समय पर बड़ी संख्या में छात्रों को संभालना मुश्किल कार्य है। यह स्वास्थ्य विभाग को चौकन्ना रहने के आदेश है कि जब उन्हें बच्चे की अस्वस्थता के विषय में पता चले तो वे बिना घबराए समझदारी से कदम उठाएं और प्रशासन को जारी की गई हेल्पलाइन पर तुरंत सूचित करें। स्कूल प्रबंधक जीपीडब्ल्यूएस को भी सूचित कर सकते हैं, जिससे संस्था तुरंत प्रशासन को आपकी सूचना पहुंचाएगा।
स्कूल और कॉलेजों में कोविड- 19 हेल्पडेस्क हैं
गौतमबुद्ध नगर के जिलाधिकारी सुहास एलवाई ने कहा, “हमारे जिले में सरकारी, गैर सरकारी, प्राइमरी, माध्यमिक और उच्च शिक्षण संस्थानों की संख्या करीब दो हजार है। सभी स्कूल नियमित रूप से खुल रहे हैं। पिछले सप्ताह कुछ स्कूलों में छात्र कोरोनावायरस से पॉजिटिव मिले थे, लेकिन यह संख्या बेहद कम है। इससे परेशान होने की आवश्यकता नहीं है। सभी स्कूल मैनेजमेंट कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन कर रहे हैं। एक बार फिर स्कूलों को दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। सभी स्कूलों में कोविड-19 और मेडिकल हेल्पडेस्क बनाई गई हैं। नियमित रूप से स्कूल मैनेजमेंट, शिक्षकों और स्टूडेंट पर नजर रखी जा रही है।” डीएम ने आगे कहा, “मैं अभिभावकों से अपील करता हूं कि अगर किसी बच्चे में कोई लक्षण नजर आता है तो उसे स्कूल नहीं भेजें। इसी तरह स्कूल मैनेजमेंट नियमित रूप से शिक्षकों और कर्मचारियों की जांच करते रहें। किसी में लक्षण दिखाई दे तो उसे स्कूल नहीं आने दें।”
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…