फैशन कोरियोग्राफी बनिए…
फैशन कोरियोग्राफर को कपड़ों के ज्ञान के साथ-साथ कपड़ों की बुनावट, रंगों, डिजाइनों, सामग्री की पूरी जानकारी होती है। वह हर सीजन में अपने खास डिजाइनों और मार्केट का ख्याल रखता है। यही नहीं, नए-नए विचारों और नए प्रचलनों को भी ध्यान में रखता है, तभी फैशन कोरियोग्राफी का बड़ा कैनवस तैयार कर पाता है।
फैशन कोरियोग्राफर में संगीत के चयन की समझ, कलेक्शन की समझ, शो के लिए एक लुक तैयार करने की समझ होनी चाहिए। एक आम दिन में कोरियोग्राफर बहुत-सी चीजें करता है जैसे मॉडल और डिजाइनर से कपड़े की फिटिंग चेक करना, म्यूजिक सेलेक्शन, शो को डायरेक्ट करना, रिहर्सल करना, शो के वक्त डीजे म्यूजिक और लाइट इंजीनियर के साथ कोऑर्डिनेट करना वगैरह। फैशन कोरियोग्राफी चुनौतीभरा, रचनात्मकता और उत्सुकता भरा क्षेत्र है। इसमें किताबी कीड़ा बनने की बजाय प्रैक्टिल होना महत्वपूर्ण है। अवसर की बात करें तो यह क्षेत्र काफी चकाचैंध भरा है।
क्या है फैशन कोरियोग्राफी:- फैशन कोरियोग्राफी कपड़ों के एक कलेक्शन को रनवे पर बहुत ही रचनात्मक ढंग से रोशनी और संगीत का उपयोग करके पेश करती है और दर्शकों को उनकी ओर आकर्षित करती है। भारत में फैशन शो का चलन अंतरराष्ट्रीय बाजार से आया है, जिसमें कपड़ों का एक कलेक्शन पश्चिमी विचारों के साथ पेश किया जाता था, परन्तु आज फैशन कोरियोग्राफी में भारतीयों की पसंद और नापसंद पर बहुत ज्यादा और अच्छे से ख्याल रखा जाता है। म्यूजिक भी उन्हीं की पसंद का रखा जाता है। कोरियोग्राफी में ड्रामा क्रिएट किया जाता है, ताकि कलेक्शन को जीवंत किया जा सके।
नेचर ऑफ वर्क:- अक्सर लोगों को यह लगता है कि डिजाइनर सपनों की दुनिया में विचरण करते रहते हैं, लेकिन असलियत यह है कि उनका काम काफी चुनौतीपूर्ण होता है, क्योंकि बाजार की मांग के अनुरूप किसी खास प्रोडक्ट, सीजन और कीमत को ध्यान में रख कर उन्हें काम करना पड़ता है।
योग्यता:- इस क्षेत्र में कदम रखने के लिए फैशन डिजाइनिंग का कोर्स करना जरूरी है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के अलावा और भी कई संस्थान हैं, जहां से फैशन डिजाइनिंग का कोर्स किया जा सकता है। फैशन डिजाइनिंग के अंडर ग्रेजुएट कोर्स में एडमिशन के लिए 50 प्रतिशत अंकों के साथ 12वीं पास होना जरूरी है। साथ ही एडमिशन के लिए लिखित परीक्षा, ग्रुप डिस्कशन और इंटरव्यू से गुजरना पड़ता है। वहीं पीजी में एडमिशन के लिए स्नातक होना जरूरी है। निफ्ट जैसे इंस्टीट्यूट में एडमिशन के लिए लिखित परीक्षा, ग्रुप डिस्कशन और पर्सनल इंटरव्यू के दौर से गुजरना पड़ता है। पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स में प्रवेश के लिए किसी भी विषय में स्नातक होना जरूरी है।
कोर्स:- यह एक प्रोफेशनल कोर्स है, जो 12वीं के बाद किया जा सकता है। इसके तहत अपेरल डिजाइनिंग, फैशन डिजाइनिंग, प्रोडक्शन मैनेजमेंट, क्लोदिंग टेक्नोलॉजी, टेक्सटाइल साइंस, अपेरल कंस्ट्रक्शन मैथड, फैब्रिक ड्राइंग एवं प्रिंटिंग, कलर मिक्सिंग और कंप्यूटर एडेड डिजाइन आदि क्षेत्रों में से किसी एक का चुनाव कर सकते हैं। इसमें सर्टिफिकेट, डिप्लोमा, एडवांस डिप्लोमा, फाउंडेशन डिग्री, डिग्री और पीजी डिग्री तक कोर्स उपलब्ध हैं।
कहां-कहां हैं अवसर:- एपीजी शिमला यूनिवर्सिटी की एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर प्रियंका गोयल के मुताबिक कोर्स करने के बाद फैशन प्रोडक्शन मैनेजमेंट, फैशन मीडिया, क्वालिटी कंट्रोल, फैशन एक्सेसरीज डिजाइन और ब्रांड प्रमोशन में काम कर सकते हैं। इसके अलावा कॉस्ट्यूम डिजाइनर, फैशन कंसल्टेंट, टेक्निकल डिजाइनर, ग्राफिक डिजाइनर, प्रोडक्शन पैटर्न मेकर, फैशन को-ऑर्डिनेटर आदि के रूप में भी शानदार कैरियर बना सकते हैं।
आमदनी:- अगर शुरुआती आमदनी की बात करें, तो आपका वेतन इस बात पर निर्भर करता है कि आप किस शहर में और किस क्लाइंट के लिए काम कर रहे हैं। शुरुआती वेतन 5,000 से 20,000 रुपए तक कुछ भी हो सकता है। समय के साथ वेतन में इजाफा होता है।
प्रमुख संस्थान:-
-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी (निफ्ट), हौज खास, नई दिल्ली
-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन, पालदी, अहमदाबाद
-एपीजी शिमला यूनिवर्सिटी, शिमला, हि.प्र
-इग्नू, मैदानगढ़ी, नई दिल्ली
-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन, पालदी, अहमदाबाद
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…