करियर इन सेविंग…

करियर इन सेविंग…

वल्र्ड के फास्टेस्ट ग्रोइंग प्रोफेशंस में से एक है फाइनेंशियल प्लानिंग। इस सेक्टर में बढती अपॉच्र्युनिटीज को देखते हुए बडी संख्या में यंगस्टर्स इसमें करियर बनाने की सोच रहे हैं। वैसे तो दूसरों के फाइनेंसेज को मैनेज करना काफी चैलेंजिंग है। टैक्स कैसे सेव किया जाए, बेस्ट इंश्योरेंस स्कीम कौन सी है, किस फंड में इनवेस्ट करना बेहतर होगा, कौन सा स्टॉक सेल करने पर फायदा होगा, कौन नहीं और रिटायरमेंट के बाद कैसे फाइनेंशियल जरूरतों को पूरा करेंगे। इससे रिलेटेड तमाम ऐसी एडवाइस एक कस्टमर को फाइनेंशियल एडवाइजर ही देता है। जाहिर है, ये थोडा ट्रिकी है, लेकिन यूथ इसे एक्सेप्ट कर आगे बढ रहा है।

आवश्यक स्किल:- एक फाइनेंशियल एडवाइजर अपने क्लाइंट्स के डायरेक्ट कॉन्टैक्ट में रहता है। उसकी रिस्पॉन्सिबिलिटी होती है कि वह कस्टमर को इनवेस्टमेंट के न्यू प्रॉस्पेक्ट्स के बारे में बताए, यानी सिर्फ सेविंग, लोन चुकाने या रिटायरमेंट की ही प्लानिंग नहीं, बल्कि एक फाइनेंशियल एडवाइजर बेस्ट स्ट्रेटेजी बनाता है। ऐसे में उसे ऑफिस इक्विपमेंट्स (कंप्यूटर, फैक्स मशीन, कैलकुलेटर-की अच्छी जानकारी होनी चाहिए। इसके अलावा उन्हें अपने क्लाइंट के साथ एक्सीलेंट वर्किग रिलेशनशिप भी डेवलप करनी होगी, जिससे कि वे उनका विश्वास हासिल कर सकें। एक फाइनेंशियल एडवाइजर के पास अच्छी सोशल स्किल्स और कॉन्फिडेंस होना चाहिए। उन्हें पता होना चाहिए कि क्लाइंट के क्या एक्सपेक्टेशंस हैं और वह कहां तक रिस्क उठाने की हालत में है। इसके साथ ही उनके पास स्ट्रॉन्ग रिटेन और ओरल कम्युनिकेशन स्किल होना भी बहुत जरूरी है।

जरूरी क्वॉलिफिकेशन:- फाइनेंस सेक्टर में करियर बनाने के लिए आप कैट एग्जाम के जरिए इंडिया के किसी भी अच्छे कॉलेज में एडमिशन ले सकते हैं। इस सेक्टर में हायर एजुकेशन के लिए किसी भी स्ट्रीम में बैचलर डिग्री का होना जरूरी है। वैसे, पहले केवल कॉमर्स के स्टूडेंट ही इस क्षेत्र में करियर बनाते थे, लेकिन इसमें बढते स्कोप को देखते हुए बीएससी (मैथ-बायो), बीए, बीबीए और बीई के स्टूडेंट भी अब रुचि ले रहे हैं। इस सेक्टर में करियर बनाने के लिए आप चाहें तो एमबीए इन फाइनेंस, एमएस इन फाइनेंस, मास्टर डिग्री इन फाइनेंशियल इंजीनियरिंग, पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन फाइनेंस, मास्टर्स इन कमोडिटी एक्सचेंज आदि जैसे कोर्स कर सकते हैं।

जॉब मार्केट में ऑप्शंस:- फाइनेंशियल एडवाइजर किसी कंपनी में अकाउंटेंट, ऑडिटर, इकोनॉमिस्ट, इंश्योरेंस सेल्स एजेंट, इंश्योरेंस अंडरराइटर, लोन ऑफिसर, पर्सनल फाइनेंशियल एडवाइजर, टैक्स इंस्पेक्टर, रेवेन्यू एजेंट के तौर पर काम कर सकते हैं। फाइनेंस में ग्रेजुएशन करने के बाद आप किसी फाइनेंशियल न्यूज पेपर, मैगजीन में रिपोर्टर या फाइनेंशियल एनालिस्ट के रूप में काम कर सकते हैं। बैंक, इंश्योरेंस और ट्रेडिंग कंपनियां अपने फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स जैसे लोन, इंश्योरेंस, शेयर, बॉन्ड्स और म्युचुअल फंड को बेचने के लिए फाइनेंशियल एडवाइजर्स को अप्वाइंट करती हैं। विदेशों में भी फाइनेंशियल एडवाइजर्स की मांग काफी ज्यादा है। प्रोफेशनल चाहें, तो इंटरनेशनल फाइनेंसिंग कंपनी, लैंडिंग एंड बॉरोइंग, मल्टी करेंसी ट्रेडिंग आदि फाइनेंशियल कंपनियों में जॉब तलाश सकते हैं।

अट्रैक्टिव सैलरी:- फाइनेंशियल एडवाइजर के तौर पर करियर की शुरुआत करने पर ज्यादातर कंपनियां सैलरी के साथ-साथ कमीशन भी देती हैं। वैसे, शुरुआती दौर में सैलरी 15 हजार से 30 हजार रुपये प्रति माह हो सकती है। वहीं, एक्सपीरियंस्ड प्रोफेशनल्स की सैलरी 1.5 से 2 लाख रुपये महीने हो सकती है।

प्रमुख संस्थान:-

-डिपार्टमेंट ऑफ फाइनेंशियल स्टडीज, दिल्ली यूनिवर्सिटी, दिल्ली

-कॉलेज ऑफ बिजनेस स्टडीज, नई दिल्ली

-द इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड फाइनेंशियल एनालिस्ट ऑफ इंडिया, हैदराबाद, लखनऊ, कोलकाता, चेन्नई और पुणे

-इंस्टीट्यूट ऑफ फाइनेंशियल मैनेजमेंट एंड रिसर्च, चेन्नई

हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…