चीन ने द्वीप समूहों का पूरी तरह सैन्यीकरण कर दिया है : अमेरिकी एडमिरल…
ओवर द साउथ चाइना सी, 22 मार्च। चीन ने विवादित दक्षिण चीन सागर में बनाए कई द्वीप समूहों में से कम से तीन द्वीपों का पूरी तरह सैन्यीकरण कर दिया है और वहां जहाज रोधी और विमान रोधी मिसाइल प्रणालियां, लेजर और जैमिंग उपकरण तथा लड़ाकू विमान तैनात किए हैं। अमेरिका के एक शीर्ष सैन्य कमांडर ने रविवार को यह जानकारी देते हुए कहा कि चीन के तेजी से बढ़ते आक्रामक कदमों ने आसपास के सभी देशों के लिए खतरा पैदा कर दिया है।
अमेरिका के हिंद-प्रशांत कमांडर एडमिरल जॉन सी. एक्विलिनो ने कहा कि यह शत्रुतापूर्ण कदम चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के उन आश्वासनों के बिल्कुल विपरीत है कि बीजिंग विवादित जल क्षेत्र में कृत्रिम द्वीपों को सैन्य अड्डों में नहीं बदलेगा। यह कवायद चीन का, अपनी सैन्य ताकत बढ़ाने का हिस्सा है। एक्विलिनो ने एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘मुझे लगता है कि द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद से पिछले 20 वर्षों में हमने सबसे बड़ा सैन्य निर्माण देखा है।’’
अभी चीन के अधिकारियों ने कोई टिप्पणी नहीं की है। बीजिंग का कहना है कि उसका सैन्य प्रोफाइल पूरी तरह रक्षात्मक है और उसके संप्रभु अधिकारों की रक्षा करने के लिए है। लेकिन सेना पर खर्च बढ़ाने के इतने वर्षों बाद चीन के पास अमेरिका के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा रक्षा बजट है और वह अपने सुरक्षाबलों को जे-20 स्टील्थ लड़ाकू विमान, हाइपरसोनिक मिसाइलों और दो विमानवाहक जहाजों समेत हथियार प्रणालियों से तेजी से आधुनिक बना रहा है।
एक्विलिनो ने अमेरिकी नौसेना के टोही विमान से यह साक्षात्कार दिया। इस विमान ने दक्षिण चीन सागर के स्प्रैटली द्वीप समूह में चीन के कब्जे वाली चौकियों के समीप उड़ान भरी। यह द्वीप समूह दुनिया के सर्वाधिक विवादित क्षेत्रों में से एक है। गश्त के दौरान चीनी अधिकारियों ने पी-8ए पोसेडन विमान को बार-बार आगाह किया कि वह गैरकानूनी रूप से चीनी क्षेत्र में घुस आया है और उन्होंने विमान को वहां से जाने के लिए कहा। हालांकि, अमेरिकी नौसेना के विमान ने चेतावनियों को नजरअंदाज कर दिया।
एक्विलिनो ने कहा कि मिसचीफ रीफ, सुबी रीफ और फिएरी क्रॉस पर मिसाइल शस्त्रागार, विमान हैंगर्स, रडार प्रणालियां और अन्य सैन्य गतिविधियों का निर्माण पूरा होता प्रतीत हो रहा है लेकिन यह देखना होगा कि क्या चीन अन्य इलाकों में भी सैन्य निर्माण करेगा। उन्होंने बताया कि अगर कोई भी सैन्य तथा असैन्य विमान विवादित जल क्षेत्र में उड़ान भरता है तो वह आसानी से चीनी द्वीपों की मिसाइल प्रणाली के दायरे में आ जाता है। उन्होंने कहा, ‘‘तो यह खतरा है, इसलिए इन द्वीप समूहों का सैन्यीकरण करना इतना चिंताजनक है। इससे इस क्षेत्र तथा अंतरराष्ट्रीय समुद्री और हवाई क्षेत्र में काम करने वाले सभी देशों को खतरा है।’’
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…