आफताब शिवदासानी का छलका ‘आउटसाइटर’ होने का दर्द, बोले- फिल्मी परिवार से नहीं हूं, खूब स्ट्रगल किया…
मुंबई, 10 फरवरी। आफताब शिवदासानी ने चाइल्ड आर्टिस्ट के तौर पर ‘मिस्टर इंडिया’ फिल्म से बॉलिवुड में शुरुआत की। राम गोपाल वर्मा की ‘मस्त’ और मुकेश भट्ट की ‘कसूर’ जैसी फिल्मों से लीड ऐक्टर के तौर पर खुद को साबित किया। आफताब ने चॉकलेटी बॉय वाली इमेज भी बनाई और नेगेटिव किरदारों में भी खूब पसंद किए गए। लेकिन धीरे-धीरे 2013 के बाद वह पर्दे से दूर हो गए। अब ओटीटी के जरिए उन्होंने वापसी की है। ‘स्पेशल ऑप्स 1.5’ में उन्हें खूब पसंद किया गया। हमारे सहयोगी ‘ईटाइम्स’ से बातचीत में अब आफताब का वो दर्द छलका है, जिसके बारे में हमेशा से ही बॉलिवुड को कोसा जाता रहा है। आफताब ने कहा है कि वह इंडस्ट्री के लिए हमेशा एक आउटसाइडर रहे हैं। वह फिल्मी फैमिली से नहीं हैं और इसलिए उन्हें खूब स्ट्रगल करना पड़ा है।
आफताब ने 2020 में ओटीटी पर डेब्यू किया, इसके बाद से वह लगातार वेब शोज में नजर आ रहे हैं। ऐक्टर ने इस पर कहा, ‘यह बहुत अच्छा रहा है। मैंने अपने दोनों शोज (पॉइजन और स्पेशल ऑप्स) का पूरा लुत्फ उठाया है। लेकिन सच कहूं तो मेरे लिए मीडियम उतना मायने नहीं रखता, जितना कि स्क्रिप्ट, रोल और परफॉर्मेंस। फिर चाहे वह फिल्म हो या शो मेरा यही तरीका है।’
आफताब से पूछा गया कि क्या ओटीटी ने कॉन्टेंट के मामले में दर्शकों का टेस्ट बदल दिया, ऐक्टर ने कहा, ‘हां, कहानियों के मामले में ओटीटी स्पेस ने बहुत कुछ बदल दिया है, क्योंकि यहां सेंसरशिप का डर नहीं है और बहुत अधिक स्वतंत्रता है।’ आफताब कहते हैं कि वह हमेशा से नेगेटिव रोल ज्यादा करना चाहते थे। उन्होंने यह बात फिर से दोहराई है। वह कहते हैं, ‘मैंने नेगेटिव रोल्स का जिक्र इसलिए किया है कि 2001 में अपनी दूसरी फिल्म ‘कसूर’ में मेरा ऐसा ही रोल था। मुझे उसे निभाने में बहुत मजा आया। बेशक, मुझे पॉजिटिव रोल्स पसंद हैं, लेकिन कभी-कभी नेगेटिव या ग्रे शेड कैरेक्टर प्ले करना ज्यादा अच्छा लगता है।’
अपने अब तक के करियर पर बात करते हुए आफताब कहते हैं, ‘एक चाइल्ड आर्टिस्ट से मैंने शुरुआत की। सच तो यह है कि चाइल्ड आर्टिस्ट और लीड एक्टर का एक-दूसरे से कोई लेना-देना नहीं है। मैंने एक चाइल्ड आर्टिस्ट के तौर पर स्कूल में रहते हुए टीवी विज्ञापनों के लिए ऑडिशन दिया है। मुझे ऐक्टिंग के साथ-साथ कैमरा भी पसंद था। मैंने फिर साल 1999 में ‘मस्त’ से लीड ऐक्टर के तौर पर शुरुआत की। राम गोपाल वर्मा ने मुझे कोला ड्रिंक के ऐड में देखकर ही वह रोल दिया था। हां, उसके बाद का सफर आसान नहीं रहा, क्योंकि मैं किसी फिल्मी परिवार से नहीं हूं। तो कोई मुझे सलाह नहीं दे रहा था या मुझे यह नहीं बता रहा था कि मैं अपने करियर को कैसे प्लान करूंग। मुझे यह सब खुद ही करना था।’
आफताब आगे कहते हैं, ‘असल में, मेरे पास इसका कोई और तरीका नहीं था। साथ ही, मैं इस बात से इनकार नहीं करूंगा कि यह आसान नहीं रहा है, क्योंकि सही तरह का काम और फिल्में पाने के लिए काफी स्ट्रगल करना पड़ा है। जिन चीजों ने मुझे आगे बढ़ाया है, वह है खुद पर और मेरे फैंस पर मेरा विश्वास, जिन्होंने मेरी पहली फिल्म के बाद से ही मेरा सपोर्ट किया है। मैं भगवान और उन लोगों का आभारी हूं, जिन्होंने मुश्किल समय में मेरा साथ दिया।’
आफताब ने इससे पहले बीते साल जून महीने में अपने करियर के स्लो डाउन होने पर भी चुप्पी तोड़ी थी। ऐक्टर ने तब कहा था, ‘मैंने हमेशा क्वालिटी पर फोकस किया है। मैं हमेशा स्टैंडर्ड हाई रखकर ऊंचा उठा हूं। मैं किसी भी चीज के पीछे दौड़ने और जो भी मेरे पास आया, उसे स्वीकार करने में भरोसा नहीं रखता हूं। मैं ऐसा काम करना चाहता था जो मेरी क्रिएटिविटी की भूख को शांत करे। मैं कभी क्वालिटी के आगे क्वांटिटी से समझौता नहीं करूंगा।’
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…