उम्र सत्यापन के बगैर किसी को जेल न भेजा जाए : डीसीपीसीआर…
नई दिल्ली, 05 फरवरी। आपराधिक मामलों में उम्र का सही निर्धारण किए बगैर ही बड़े पैमाने पर नाबालिगों को बाल सुधार गृह के बजाय जेल भेजे जाने को दिल्ली राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग (डीसीपीसीआर) ने गंभीरता से लिया है। गिरफ्तारी के समय उम्र का सत्यापन किए बगैर जेल नहीं भेजा जाए, इसकी रूपरेखा तैयार करने के लिए आयोग ने उच्च न्यायालय से उच्च स्तरीय समिति का गठन करने की मांग की है।
जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और अनूप जयराम भंभानी के पीठ के समक्ष डीसीपीसीआर ने पेश अपनी लिखित जवाब में यह मांग की है। आयोग ने कहा है कि उसका मानना है कि किशोरों की उम्र की जांच में की गई हर चूक की एक गंभीर जांच किया जाना दोषी पुलिस अधिकारियों को किशोरों की उम्र के पहलू के बारे में जागरूक करने का सबसे मजबूत निवारक उपाय है। इसके लिए आयोग ने दिल्ली सरकार के गृह विभाग के प्रमुख सचिव की अगुवाई में उच्च स्तरीय समिति गठित करने का आग्रह किया है। इस समिति में सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग के सचिव, डीसीपीसीआर के अध्यक्ष, जेल महानिदेशक, दिल्ली विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव, महिला और बच्चों के लिए बनाए गए दिल्ली पुलिस के स्पेशल यूनिट के विशेष आयुक्त और बाल न्यायालय के प्रिसिंपल मजिस्ट्रेट को शामिल करने का आग्रह किया गया है। आयोग ने न्यायालय को बताया है कि बिना उम्र का निर्धारण किए बगैर ही नाबालिगों को जेलों में भेजे जाने और वहां पर वयस्क अपराधियों के साथ लंबे समय तक किशोरों को रखने से रोकने के लिए मजबूत रूपरेखा तय करने की जरूरत है।
पीठ ने भी जताई थी चिंता
उच्च न्यायालय ने गुरुवार को ही आपराधिक मामलों में गिरफ्तारी के बाद आरोपी के उम्र का आकलन करने की प्रक्रिया को आसान और सुव्यवस्थित करने का फैसला किया है। न्यायालय ने पिछले पांच वर्षों में लगभग 800 नाबालिगों के उम्र का उचित निर्धारण किए बगैर तिहाड़ जेल भेजे जाने पर चिंता जताते हुए कहा था कि गिरफ्तारी के समय ही आरोपी के सही उम्र का तत्काल पता लगाना जरूरी है। पीठ ने कहा था कि तिहाड़ जेलों में पिछले पांच वर्षों में भेजे गए नाबालिगों की जो संख्या है, वह वास्तव में हमारे लिए चिंता का विषय है। पीठ ने बाल न्याय (संरक्षण एवं देखरेख) अधिनियम के प्रावधानों के प्रभावी क्रियान्वयन को लेकर जारी सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की थी।
जेल प्रशासन ने दी थी जानकारी
न्यायालय के आदेश पर हाल ही में दिल्ली सरकार और जेल प्रशासन ने बताया था कि पिछले पांच वर्षों में करीब 800 नाबालिगों को तिहाड़ जेल से बाल सुधार गृह भेजा गया। इससे पहले, पीठ ने सरकार को यह बताने के लिए कहा था कि मौजूदा समय में जेलों में कितने नाबालिग बंद हैं और पिछले पांच वर्षों में कितने नाबालिग तिहाड़ की जेलों से बाल सुधार गृह स्थानांतरित किए गए। पीठ ने कहा है कि पिछली सुनवाई पर सरकार ने जो आंकड़े पेश किए, उस पर अदालत के निर्देशों की जरूरत है ताकि एक गिरफ्तार व्यक्ति की उम्र का आकलन करने की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित किया जा सके।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…