ओबीसी महासभा ने जिला मुख्यालय सहित तहसील मुख्यालयों में सौपा ज्ञापन…

ओबीसी महासभा ने जिला मुख्यालय सहित तहसील मुख्यालयों में सौपा ज्ञापन…

9वी अनुसूची में शामिल किए जाने सहित जातिगत जनगणना 51% आरक्षण लागू करने की दोहराई मांग…

सिवनी / ओबीसी वर्ग के हित अधिकारों को दिलाए जाने संकल्पित ओबीसी महासभा के पदाधिकारियों कार्यकर्ताओं ने आज जिला मुख्यालय सहित तहसील मुख्यालय पहुँच तहसीलदार के माध्यम से महामहीम राष्ट्रपति,राज्यपाल, प्रधानमंत्री ,सहित मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंप ओबीसी वर्ग की जातिगत जनगणना 51%आरक्षण लागू करने व ओबीसी आरक्षण को संविधान की 9वी अनुसूची में सम्मिलित किये जाने की माँग दोहराई है ।ओबीसी महासभा की ओर से जिला प्रवक्ता राजेश पटेल ने बताया कि लखनादौन में संभागीय कार्यकारी अध्यक्ष अधिवक्ता उमेश गोल्हानी बंधु के नेतृव में ब्लाक सयोंजक शिवप्रसाद गोल्हानी,अधिवक्ता सुदर्शन गोल्हानी,बद्री यादव,अतुल श्रीवास,रतेंद्र गुर्जर व अन्य सैकड़ो कार्यकर्ता पदाधिकारी की उपस्थिति में प्रदर्शन उपरांत ज्ञापन सौंप माँग दोहराई है।
सिवनी जिला मुख्यालय में जिला अध्यक्ष राधेश्याम देशमुख के नेतृत्व में कार्यकारी अध्यक्ष रामकृष्ण ठाकुर कोषाध्यक्ष शिवप्रसाद साहू सचिव राधेश्याम सनोडिया सेवानिवृत्त मोर्चा उपाध्यक्ष गोपाल सनोडिया, लोपा सयोंजक भरत साहू व अन्य की उपस्थिति में गगन भेदी नारों के साथ प्रर्दशन उपरांत ज्ञापन सौंपा है।

यहाँ विशेष उल्लेखनीय है कि विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश के मध्यप्रदेश राज्य में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में देश की आजादी के बाद से आज देश-प्रदेश के विकास एवं आर्थिक रूप से देश की अर्थव्यवस्था में रीढ़ की हड्डी स्वरूप अतिमहत्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाले मतदाता शासन द्वारा जारी आँकड़ो के अनुसार वर्तमान में मध्यप्रदेश राज्य में पिछड़े वर्ग की लगभग 50% आवादी निवासरत है। साथ ही वर्तमान में प्रदेश के मुखिया भी ओबीसी वर्ग से संबंध रखते है। समान परिस्थितियों के बाबजूद भी ओबीसी वर्ग के प्रबुद्धजनों युवाओ और छात्र छात्राओं के हितों पर सत्ता प्रशासन में बैठे अधिकारियों व कर्मचारियों ओर उच्च न्यायालय में बैठे जातिवादी मानसिकता के न्यायाधीशों द्वारा लगातार कुठाराघात किया जा रहा है।
आजादी के इतिहास में आज तकओबीसी आरक्षण को संविधान की 9 वीं अनुसूची में संमिल्लित ना किया जाना है।प्रशासन द्वारा न्यायालय में प्रस्तुत विचाराधीन याचिकाओं में लंबित निर्णायक भूमिका में ओबीसी वर्ग का जातिगत आंकड़ा वर्तमान शासन प्रशासन द्वारा उपलब्ध ना कराया जाना भोले भाले ओबीसी वर्ग को ठगने की कोशिश निम्न प्रशानिक क्षमता ,लोकतंत्र में संवैधानिक व्यवस्था को लागू ना करना,गैर मानवता पूर्ण कुकृत्य ,तानाशाही पूर्ण रवैया ,संविधान में अविश्वास की धारणा को इंगित करता है। जो विश्वपटल पर एक महान लोकतांत्रिक देश का अपमान है।
शैक्षणिक संस्थानों ओर सरकारी नौकरियों में अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण देश की प्रगति ओर शासन में प्रतिनिधित्व और भागीदारी का विषय रहा है।संविधान में आरक्षण की अवधारणा का उद्देश्य एतिहासिक रूप से उसकी जाति के आधार पर आर्थिक सामाजिक शैक्षणिक एवं राजनीतिक हिस्सेदारी सुनिश्चित करना है किंतु आजादी के बाद मानव अधिकारों के मूल सिद्धांत से वंचित कर सामाजिक हिस्सेदारी सुनिश्चित करना है किंतु आजादी के बाद मानवाधिकारों के मूल सिद्धांतों से वंचित कर सामाजिक और शैक्षणिक सशक्तिकरण प्रणाली में घोषित आरक्षण के आधार पर समुचित हिस्सेदारी एवं प्रतिनिधित्व सुनिश्चित ना कर ओबीसी समाज के साथ अन्याय कर संवैधानिक नियमों की अवहेलना कर ओबीसी वर्ग के आवेदकों को राष्ट्रीय और राज्य स्तर के शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में रोजगार से वंचित किया जा रहा है ।

सरकार ओबीसी वर्ग के बीच क्रीमीलेयर की अवधारणा में उनके संस्थागत प्रतिनिधित्व को कम कर दिया है जिसके कारण वंचितों और पिछड़े समुदाय के लिए व्यापक प्रतिनिधित्व शिक्षा रोजगार और आर्थिक विकास के क्षेत्र में अपने सामाजिक और मनोवैज्ञानिक एकीकरण और ग्राम पंचायत पंचायत समिति जिला परिषद और नगर निगम, नगर पालिका जैसे स्थानीय निकाय चुनाव में प्रतिनिधित्व प्राप्त नहीं हो रहा है।
ओबीसी वर्ग के हित अधिकार दिलाये जाने के लिए ओबीसी महासभा आंदोलित है ओबीसी वर्ग की चेतना के लिए पदाधिकारी निरन्तर गांव मोहल्लों गली तक पहुँच संगठन विस्तार में लगें है सरकार समय रहते यदि पिछड़े वर्गों के हित अधिकार को अनदेखा कर रही है जिससे समूचा वर्ग आक्रोशित है।

हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…