उत्तर प्रदेश की राज्यपाल एवं विश्वविद्यालय की कुलाधिपति श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने…
आज डॉ0 ए0पी0जे0 अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय, लखनऊ के 19वें दीक्षान्त…
समारोह में मेधावी प्रदर्शन के लिए पदक एवं उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों के उज्ज्वल…
भविष्य की कामना करते हुए कहा कि शिक्षा-दीक्षा का उद्देश्य केवल उपाधि प्राप्त करने तक सीमित नहीं…
लखनऊ 16 दिसम्बर। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल एवं विश्वविद्यालय की कुलाधिपति श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने आज डॉ0 ए0पी0जे0 अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय, लखनऊ के 19वें दीक्षान्त समारोह में मेधावी प्रदर्शन के लिए पदक एवं उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों के उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुए कहा कि शिक्षा-दीक्षा का उद्देश्य केवल उपाधि प्राप्त करने तक सीमित नहीं है बल्कि उसके ध्येय दूरगामी होते हैं। उन्होंने कहा कि ज्ञान को नौकरी पाने का साधन नहीं बनना चाहिये, बल्कि उससे कहीं ज्यादा उसे लोकहित के लिये होना भी आवश्यक है। लोकहित तथा जनहित से जुडे़ बगैर शिक्षा सार्थक नहीं होती। इस अवसर पर राज्यपाल जी ने 92 पदक एवं 53,226 उपाधियां विद्यार्थियों को पदान की।
उन्होंने कहा कि उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थी एक नई यात्रा की दहलीज पर हैं। कुछ विद्यार्थी उच्च अध्ययन की दिशा में आगे बढेंगे तो कुछ रोजगार व स्वरोजगार का दायित्व ग्रहण करेंगे। राज्यपाल जी ने कहा कि विद्यार्थी एक बात अवश्य याद रखें कि सद्कार्य से ही व्यक्तित्व का प्रतिबिम्ब बनता है। इसलिए मानव मूल्यों एवं नैतिकता को बढ़ावा दें।
राज्यपाल जी ने कहा कि तकनीकी शिक्षा विद्यार्थियों के लिये रोजगार और स्वरोजगार प्राप्ति की सबसे सहज राह होती है। हुनर से रोजगार तक का आसान मार्ग तकनीकी सेक्टर से ही होकर गुजरता है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय को चाहिए कि वे विद्यार्थियों के कौशल विकास को निखारें तथा उन्हें रोजगारपरक तकनीकी और वोकेशनल कोर्सों से जोड़ने का कार्य करें। इससे वे रोजगार ढूंढ़ने के बजाए रोजगार देने योग्य बनेंगे।
कुलाधिपति ने कहा कि मजबूत एवं आत्मनिर्भर भारत का निर्माण हमारी वैश्विक सोच के केन्द्र में है। विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त करने वाले विद्यार्थी स्थानीय संसाधनों, अनुभवों एवं ज्ञान का उपयोग कर शोध तथा इनोवेशन के माध्यम से स्थानीय विकास को बल प्रदान करके शिक्षा को सही अर्थों में उपयोगी बनाएं। उन्होंने कहा कि अपने आस-पास के वातावरण से सीखना भी शिक्षा का एक महत्वपूर्ण अंग है। शिक्षा क्लास-रूम और पाठ्यक्रमों तक सीमित नहीं रहनी चाहिए।
राज्यपाल जी ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में मातृभाषा की शक्ति को दृष्टिगत रखते हुए पहली बार आई0आई0टी0 और एन0आई0टी0 के साथ प्रतिष्ठित कालेजों में प्रवेश के लिए जेईई परीक्षा को अंग्रेजी के अलावा 12 अन्य भारतीय भाषाओं में कराया गया। निश्चित रूप से इससे बहुत से विद्यार्थियों को लाभ हुआ होगा। क्योंकि मातृ भाषा, क्षेत्रीय भाषा एवं स्थानीय भाषा में पढ़ने से छात्र अधिक तेजी से समझते और सीखते हैं। उन्होंने कहा कि अपनी भाषा में व्यावसायिक शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिलने से समाज का बहुत बड़ा वर्ग अपना कौशल विकास कर सकेगा।
राज्यपाल जी ने बताया कि प्रदेश के विभिन्न जनपदों में अब तक विश्वविद्यालय और सम्बद्ध संस्थानों के सहयोग से लगभग 264 आंगनवाड़ी केन्द्रों को गोद लिया गया है। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी एवं शिक्षकगण सुविधा सम्पन्न बनाये गये आंगनबाड़ी केन्द्रों का भ्रमण अवश्य करें। उचित होगा कि आंगनबाड़ी एवं प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षक की भूमिका भी निभाएं ऐसा करने से बच्चों में आत्मविश्वास जगेगा।
राज्यपाल जी ने अभी हाल में प्रधानमंत्री जी द्वारा राष्ट्र को समर्पित बाबा विश्वनाथ धाम कारिडोर की चर्चा करते हुए कहा कि इसका निर्माण कोरोना काल होते हुए भी रिकार्ड मात्र दो वर्ष में नवीनतम तकनीकी का उपयोग करते हुए किया गया। ए0के0टी0यू0 के छात्रों को चाहिए कि वे भ्रमण कार्यक्रम तय करके वहां किये गये कार्यों का अध्ययन करें, प्रोजेक्ट बनाएं तथा वहां अपनायी गयी तकनीकी को आत्मसात करते हुए यह संकल्प लें कि वे अपने दायित्वों को समयबद्धता एवं गुणवत्ता के साथ पूर्ण करेंगे। राज्यपाल जी ने ए0के0टी0यू0 के कुलपति को निर्देश दिया कि विद्यार्थियों को प्रदेश में चल रहे रनिंग प्रोजेक्टों का अध्ययन कराएं इससे उन्हें कार्यानुभव मिलेगा, जो उनके आगे के जीवन के लिए उपयोगी सिद्ध होगा।
मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित आई0आई0टी0, कानपुर के पूर्व निदेशक पद्मश्री प्रो0 एस0जी0 धांडे ने अपने सम्बोधन में कहा कि प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्चतर शिक्षा तक में समन्वय होना चाहिए। यह तभी सम्भव है जब हर विश्वविद्यालय कालेज के शिक्षक समय-समय पर अपने घर के आसपास के स्कूल में जाकर पढ़ाएंगे। इसका छोटे बच्चों के कोमल मन पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि शिक्षा व्यवस्था थ्री एल अर्थात Long Life Learning पर आधारित है। इसके आधार पर हर मनुष्य जीवन भर कुछ न कुछ सीखता है। उन्होंने एकलव्य का उदाहरण देते हुए कहा कि एकलव्य ने अपने दम पर तीरंदाजी के सभी गुण सीखे। वास्तव में अभ्यास मनुष्य को पूर्ण रूप से दक्ष बनाता है। आज डिजिटल एकलव्यों की जरूरत है। हमारे अन्दर सीखने भूख होनी चाहिए। हर युवा में कोई न कोई भूख अवश्य होती है। उसे आगे लाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम अपने चारो ओर देखे। आपको अनेक सीखने वाली चीजें दिखेंगी। आदमी तभी सीखता है जब स्वयं से सवाल करता है।
राज्यपाल जी ने 50वें विजय दिवस के अवसर पर वीर शहीदों के बलिदान को याद किया और उन्हें श्रद्धांजलि दी तथा प्राथमिक विद्यालय के छात्रों एवं अनाश्रित बच्चों प्रोत्साहन उपहार के रूप में पठन-पाठन सामग्री एवं फल वितरित किये। इस अवसर पर राज्यपाल जी ने मुख्य अतिथि पद्मश्री प्रो0 एस0जी0 धांडे को प्रोद्यौगिकी के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए डाक्टर आफॅ साइंस की मानद उपाधि से सम्मानित किया तथा विश्वविद्यालय परिसर में एक पौधा रोपित किया।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 विनीत कंसल ने विश्वविद्यालय की विस्तृत प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की।
कार्यक्रम में प्रमुख सचिव प्राविधिक शिक्षा श्री अमृत अभिजात, सचिव, प्राविधिक शिक्षा श्री आलोक कुमार, विश्वविद्यालय के कार्य परिषद एवं विद्या परिषद के सदस्य, शिक्षकगण एवं बच्चे उपस्थित थे।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…