लोकतंत्र शिखर बैठक में हिस्सा नहीं लेने के अपने रूख से पाकिस्तान ने अमेरिका को अवगत कराया…

लोकतंत्र शिखर बैठक में हिस्सा नहीं लेने के अपने रूख से पाकिस्तान ने अमेरिका को अवगत कराया..

इस्लामाबाद, 16 दिसंबर। अमेरिका की ओर से आहूत लोकतंत्र शिखर बैठक में हिस्सा नहीं लेने के अपने रूख से पाकिस्तान ने अमेरिकी नेताओं को अवगत कराया है।

अमेरिका ने उसे इसमें हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित किया था लेकिन पाकिस्तान ने उस समय इस बैठक में हिस्सा नहीं लिया था।

पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने अमेरिकी उप विदेश मंत्री वैंडी शरमन से टेलीफोन पर बातचीत कर उन्हें अपने देश के रूख से अवगत कराया है। दरससल अमेरिका ने इसमें चीन को आमंत्रित नहीं किया था और चीन तथा पाकिस्तान की दोस्ती जगजाहिर है और राजनयिक हलकों में इस बात की चर्चा है कि अपने मित्र के दबाव में आकर उसने उस बैठक में हिस्सा नहीं लिया था।

सूत्रों के अनुसार पाकिस्तान ने इसमें इसलिए हिस्सा नहीं लिया था क्योंकि चीन को अमेरिका ने निमंत्रित नहीं किया था । इस कदम को अमेरिका की विश्व को बांटने की रणनीति माना जा रहा है क्योंकि एक तरफ तो उसने ताईवान को बुलाया था मगर चीन और रूस को वर्चुअल बैठक में हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित नहीं किया था। इसमें 100 से अधिक देशों को बुलाया गया था।

पाकिस्तान के इसमें हिस्सा नहीं लेने के रूख की चीन ने तारीफ की है और उसे वास्तव में लौह बिरादर का करार दिया। हालांकि पाकिसानी अधिकारी इसे चीन के साथ जोड़ने से बच रहे हैं लेकिन सूत्रों ने इस बात की पुष्टि की है कि चीन के विरोध के चलते पाकिस्तान ने इसमें हिस्सा नहीं लिया था।

पाकिस्तान विदेश मंत्रालय ने कहा है कि वह अमेरिका के साथ अपने संबंधों को तरजीह देता है और इन्हें आगे ले जाने का इच्छुक है। कुरैशी ने पहले तो अपने समकक्ष से बात करने की कोशिश की थी लेकिन उनके साथ कोई संपर्क नहीं होने के बाद उन्होंने उप विदेश मंत्री से टेलीफोन पर बातचीत की ।

शरमन की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि इस बातचीत में कुरैशी ने कहा कि पाकिस्तान बड़े देशों के किसी भी गुट के साथ नहीं होना चाहता है और अफगानिस्तान के मामले में वह अमेरिका के साथ संबंधों को आगे ले जाने का इच्छुक है।

कुरैशी ने कहा यह एक सकारात्मक घटनाक्रम है और पाकिस्तान ने अमेरिका से आग्रह किया है कि वह उसे बड़े देशों की गुटबाजी में शामिल करके कठिन स्थिति में नहीं डाले। पाकिस्तान भू राजनीतिक स्थिति के बजाय भू-आर्थिक स्थिति को अधिक पसंद करता है और यह हमें अपने आपको बदलने में मदद कर सकता है।

कुरैशी ने कहा हमने अमेरिका को कहा कि हम सभी देशों के साथ सकारात्मक संबंध चाहते हैं और हमारा मानना है कि अमेरिका हमारा अहम सहयोगी है तथा आगे भी रहेगा। हमारे संबंधों में काफी उतार चढ़ाव आए हैं लेकिन दोनों देश जब भी मिलकर काम करते हैं तो इसका फायदा उन्हें ही होता है।

विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान ने अमेरिका के इस न्योते को अस्वीकार कर राजनयिक स्तर पर अच्छा काम नहीं किया है और इसके प्रतिकूल आर्थिक परिणाम सामने आ सकते हैं तथा पश्चिमी देशों के समक्ष उसकी स्थिति और कमजोर हो सकती है।

हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट