ग्लासगो में महत्वपूर्ण जलवायु शिखर सम्मेलन की शुरुआत, नेताओं ने सर्वश्रेष्ठ उपलब्धि की उम्मीद जताई…
ग्लासगो, 31 अक्टूबर ग्लासगो में रविवार को संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन की औपचारिक शुरुआत कार्रवाई और प्रार्थनाओं की अपील के साथ हुई जिसमें दो सप्ताह तक करीब 200 देशों के प्रतिनिधि वैश्विक स्तर पर तापमान बढ़ने की साझा चुनौती से निपटने पर गहन चर्चा करेंगे।
रविवार को उद्घाटन के बाद सोमवार को दुनिया भर के नेता स्कॉटलैंड के सबसे बड़े शहर में जमा होंगे और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के अपने देशों के प्रयासों को रेखांकित करेंगे।
वेटिकन में रविवार की प्रार्थना सभा में पोप फ्रांसिस ने दुनिया के लोगों से यह प्रार्थना करने की अपील की कि दुनियाभर के नेता जलवायु में तापमान बढ़ने के साथ धरती और गरीबों की पीड़ा को समझें।
बैठक में लगभग 200 देशों के वार्ताकार 2015 के पेरिस जलवायु समझौते के बाद से लंबित मुद्दों पर चर्चा करेंगे, और इस सदी में वैश्विक तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस (2.7 फ़ारेनहाइट) से अधिक होने से रोकने के प्रयासों को तेज करने के तरीके खोजेंगे।
ग्लासगो में सीओपी26 के अध्यक्ष और ब्रिटेन के मंत्री आलोक शर्मा ने कहा कि यह सम्मेलन 1.5 डिग्री सेल्सियस के लक्ष्य को पाने के लिहाज से हमारी अंतिम और सर्वश्रेष्ठ उम्मीद है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि छह साल पहले फ्रांस की राजधानी में जिस लक्ष्य पर सहमति बनी थी, उसे हासिल करने की संभावना धीरे-धीरे खत्म होती जा रही है। वैश्विक तापमान पहले ही 1.1 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा गर्म हो चुका है और वर्तमान अनुमान के अनुसार वर्ष 2100 तक यह तापमान वृद्धि 2.7 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच सकती है।
विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि इस तरह ग्लोबल वार्मिंग बढ़ने से धरती की बर्फ पिघल जाएगी, जिससे वैश्विक समुद्र स्तर बढ़ जाएगा। इसके चलते मौसम संबंधी गंभीर घटनाओं की आशंका और बढ़ जाएगी।
उन्होंने उद्घाटन सत्र में कहा, ‘‘हम बातचीत को आगे बढ़ा सकते हैं और आकांक्षा तथा कार्रवाई बढ़ाने के एक दशक की शुरुआत कर सकते हैं। हम अच्छे हरित रोजगारों, सस्ती तथा स्वच्छ ऊर्जा के लिए हरित विकास के लिहाज से अनेक अवसर हासिल कर सकते हैं।’’
शर्मा ने कहा कि दुनिया का सबसे बड़े ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जक देश चीन ने अपने जलवायु लक्ष्यों को कुछ बढ़ा दिया है। उन्होंने रविवार को बीबीसी से कहा था, ‘‘लेकिन जाहिर है कि हमें और अधिक की उम्मीद है।’’
पोप फ्रांसिस ने रविवार को सेंट पीटर्स स्क्वायर पर जनता को संबोधित करते हुए कहा कि यह अहम सम्मेलन का पहला दिन है।
उन्होंने कहा, ‘‘हम सभी प्रार्थना करें ताकि सम्मेलन के प्रतिभागियों द्वारा पृथ्वी की गुहार और गरीबों की गुहार सुनी जाए।’’
पोप ने कहा, ‘‘यह सम्मेलन भविष्य की पीढ़ियों के लिए ठोस उम्मीद पैदा करने वाले प्रभावी उत्तर प्रस्तुत करेगा, ऐसी आशा है।’’
अमेरिका के जलवायु दूत जॉन केरी ने पिछले सप्ताह चेतावनी दी थी कि 2015 के पेरिस समझौते के लक्ष्यों को खींचने से प्रकृति तथा लोगों पर अत्यधिक प्रभाव पड़ेंगे, लेकिन उन्होंने आशा जताई कि दुनिया सही दिशा में बढ़ रही है। अमेरिका इस समय दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा जलवायु प्रदूषक देश है। हालांकि इतिहास में देखें तो वातावरण में सबसे अधिक कार्बन डाईऑक्साइड के उत्सर्जन के लिहाज से वह जिम्मेदार है।
दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कार्बन उत्सर्जक देश भारत है, जिसे अभी शून्य उत्सर्जन के लक्ष्य को तय करने में चीन, अमेरिका और यूरोपीय संघ का अनुसरण करना है। वार्ताकारों को उम्मीद है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ग्लासगो में ऐसे लक्ष्य की घोषणा कर सकते हैं।
प्रिंस चार्ल्स ने रविवार को रोम में दुनिया के नेताओं से अपील की कि उस युवा आबादी की निराशाजनक आवाज को सुनें जो जलवायु परिवर्तन के दंश को झेलेगी।
चार्ल्स सोमवार को ग्लासगो में दुनिया के नेताओं का स्वागत कर सकते हैं। उनकी 95 वर्षीय मां महारानी एलिजाबेथ द्वितीय को भी समारोह में शामिल होना था, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें आराम करने की सलाह दी है।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट