पाकिस्तान सरकार ने गतिरोध दूर करने के लिए प्रतिबंधित इस्लामी समूह के 350 सदस्यों को रिहा किया…
इस्लामाबाद, 25 अक्टूबर । पाकिस्तान सरकार ने इस्लामाबाद की ओर ‘‘लंबे मार्च’’ की धमकी देने वाले कट्टर इस्लामी संगठन तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) के साथ संघर्ष की स्थिति से बचने के लिए इस प्रतिबंधित संगठन के 350 कार्यकर्ताओं को रिहा कर दिया है। पाकिस्तान के गृह मंत्री शेख रशीद ने यह घोषणा की।
टीएलपी के सदस्य अपने पार्टी प्रमुख साद हुसैन रिजवी को रिहा नहीं किए जाने के कारण पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की सरकार के खिलाफ लाहौर समेत देशभर में हिंसक प्रदर्शन कर रहे हैं।
रशीद ने ‘जियो न्यूज’ से रविवार को कहा कि टीएलपी की मांग की समीक्षा करने के बाद मंगलवार को इस मामले को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझा लिया जाएगा।
विपक्षी दलों और प्रतिबंधित संगठन ने देश के कई शहरों में प्रदर्शन किए थे, जिसके कारण इस्लामाबाद, लाहौर और रावलपिंडी में आंशिक बंद लागू हो गया था। बुधवार से शुरू हुई हिंसा में तीन पुलिसकर्मियों और सात टीएलपी सदस्यों की मौत हो चुकी है।
गृह मंत्री ने हिरासत में बंद टीएलपी के प्रमुख रिजवी समेत इस्लामी समूह के प्रतिनिधियों के साथ इस्लामाबाद में वार्ता के दौरान एक सरकारी दल का नेतृत्व किया। उन्होंने कहा, ‘‘हमने अब तक 350 टीएलपी सदस्यों को रिहा कर दिया है और हम टीएलपी के साथ वार्ता में लिए गए फैसले के अनुसार मुरीदके सड़क को दोनों ओर से खोले जाने का अभी इंतजार कर रहे हैं।’’
रशीद ने रविवार को कहा कि टीएलपी और सरकार के बीच वार्ता सफल रही। उन्होंने कहा कि टीएलपी सदस्य (इस्लामाबाद की ओर) आगे नहीं बढ़ेंगे और मंगलवार तक मुरीदके में रहेंगे।
रिजवी की पार्टी के नेता अजमल कादरी ने शुक्रवार को कहा था कि रिजवी की रिहाई को लेकर सरकार के साथ बातचीत नाकाम रहने के बाद उनके समर्थकों ने मार्च निकालने का निर्णय लिया।
गृह मंत्री ने कहा कि सरकार टीएलपी सदस्यों के खिलाफ दर्ज मामले बुधवार तक वापस ले लेगी। रशीद ने कहा कि प्रतिबंधित संगठन के वार्ताकार दूसरे दौर की वार्ता के लिए सोमवार को गृह मंत्रालय आएंगे।
‘डॉन न्यूज’ ने बताया कि एक टीएलपी नेता ने दावा किया है कि गृह मंत्री ने देश के प्रधानमंत्री इमरान खान की वापसी तक का समय मांगा है। प्रधानमंत्री इस समय सऊदी अरब की आधिकारिक यात्रा पर हैं।
पैंगबर मोहम्मद का कार्टून बनाने को लेकर फ्रांस के खिलाफ पार्टी के प्रदर्शनों, फ्रांस के राजदूत को वापस भेजे जाने एवं उस देश से आयातित वस्तुओं पर प्रतिबंध लगाए जाने की पार्टी की मांग के बाद ‘सार्वजनिक व्यवस्था’ बरकरार रखने के लिए पंजाब सरकार ने रिजवी को पिछली अप्रैल से हिरासत में ले रखा है।
इसके बाद, टीएलपी ने नेशनल असेंबली में फ्रांसीसी राजदूत के निष्कासन पर एक प्रस्ताव पेश करने के पाकिस्तान सरकार के आश्वासन के बाद देश भर में विरोध प्रदर्शन बंद करने पर सहमति व्यक्त की थी। सरकार ने फ्रांसीसी दूत के निष्कासन पर बहस के लिए नेशनल असेंबली का सत्र बुलाया था और प्रस्ताव पर मतदान से पहले सदन के अध्यक्ष ने इस मामले पर चर्चा करने के लिए एक विशेष समिति के गठन की घोषणा की थी और इस मामले पर आम सहमति बनाने के लिए सरकार एवं विपक्ष से वार्ता करने को कहा था। इस विशेष समिति की अप्रैल के बाद से कोई बैठक नहीं हुई है।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…