उच्च न्यायालय ने 24 हफ्तों से अधिक समय के भ्रूण को खत्म करने की अनुमति दी
नई दिल्ली, 19 अक्टूबर। दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक महिला को 24 हफ्तों से अधिक समय का अपना भ्रूण खत्म करने की अनुमति दे दी क्योंकि भ्रूण में विकृतियां होने के कारण अजन्मे शिशु के जीवित रहने की गुंजाइश बहुत कम होती।उच्च न्यायालय ने इस बात का जिक्र किया कि 24 वर्षीय महिला की जांच के लिए गठित मेडिकल बोर्ड ने उसे गर्भ खत्म करने के खतरों से अवगत कराया और यह राय भी दी कि वह मेडिकल प्रक्रिया के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ है।न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने कहा, ‘‘मेडिकल बोर्ड ने स्पष्ट रूप से कहा है कि याचिकाकर्ता (महिला) के भ्रूण में विकृतियों से अजन्में शिशु के जीवन के लिए प्रतिकूल परिस्थितियां पैदा होने की संभावना है और यदि भ्रूण को आगे विकसित होने दिया जाता है तो
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अजन्में बच्चे के जीवित रहने की संभावना बहुत कम है।’’ अदालत ने कहा कि यह भी एक तथ्य है कि याचिकाकर्ता को शारीरिक और मानसिक रूप से उसकी गर्भावस्था खत्म करने के लिए स्वस्थ पाया गया है और ऐसे में अदालत का विचार है कि याचिका स्वीकार किये जाने योग्य है। अदालत ने महिला को यहां एक अस्पताल में गर्भपात कराने की अनुमति दे दी, जहां उसका इलाज चल रहा है। अदालत ने अपने पूर्व के आदेश के अनुरूप शीघ्र मेडिकल बोर्ड गठित करने के लिए सक्रियता से कदम उठाने को लेकर अस्पताल की सराहना की। इसके साथ ही, अदालत ने अधिवक्ता स्नेहा मुखर्जी के मार्फत दायर याचिका का निस्तारण कर दिया।
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