जिंदल इंस्टीट्यूट ऑफ बिहेवियरल साइंसेज को आईबीआरओ ने ग्लोबल एंगेजमेंट सीड ग्रांट से सम्मानित किया

जिंदल इंस्टीट्यूट ऑफ बिहेवियरल साइंसेज को आईबीआरओ ने ग्लोबल एंगेजमेंट सीड ग्रांट से सम्मानित किया

नई दिल्ली, 19 अक्टूबर। एक महत्वपूर्ण शैक्षणिक विकास में, जिंदल इंस्टीट्यूट ऑफ बिहेवियरल साइंसेज (जेआईबीएस) को प्रतिष्ठित इंटरनेशनल ब्रेन रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (आईबीआरओ) ने ग्लोबल एंगेजमेंट सीड ग्रांट से सम्मानित किया है। यह अनुदान जेआईबीएस को न्यूरोसाइंसेस में अपने ट्रांस-डिसिप्लिनरी रिसर्च को आगे बढ़ाने के लिए मौद्रिक, लॉजिस्टिक और मानव संसाधन का समर्थन प्रदान करता है और न्यूरोडेवलपमेंटल डिसऑर्डर (एनडीडी) के बारे में जानकारी

के प्रसार में संस्थान की सामुदायिक आउटरीच पहल का विस्तार करता है। अनुदान में एक सप्ताह तक चलने वाला कार्यक्रम भी शामिल है- न्यूरोडेवलपमेंटल डिसऑर्डर एंड सोसाइटी : ए न्यूरोसाइंस एंगेजमेंट एंड आउटरीच इवेंट- जो अगले साल मई में जेआईबीएस द्वारा आयोजित किया जाएगा, जिसमें एनडीडीएस पर शोध बढ़ाने पर प्रमुख ध्यान दिया जाएगा।

जिंदल इंस्टीट्यूट ऑफ बिहेवियरल साइंसेज के प्रधान निदेशक डॉ. संजीव पी. साहनी ने कहा, मुझे उम्मीद है कि यह न्यूरो साइंस में हमारे अंत:विषय अनुसंधान का विस्तार और मजबूत करेगा। उन्होंने कहा, यह जेआईबीएस के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण शैक्षणिक प्रगति है और वंचितों पर विशेष जोर देने के साथ लोगों के जीवन को बेहतर बनाने की दिशा में व्यवहार और

सामाजिक विज्ञान अनुसंधान और मूल्यांकन को लागू करने की हमारी ²ष्टि के अनुरूप है। अनुदान – मस्तिष्क विज्ञान के क्षेत्र में जुड़ाव, आउटरीच और एडवोकेसी गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के लिए 2015 से दुनिया भर में आईबीआरओ द्वारा प्रदान किया गया है, जिसे जेआईबीएस में सहायक प्रोफेसर डॉ दिव्या भाटिया द्वारा सुरक्षित किया गया है।

लिंक पर क्लिक कर पढ़िये “हिन्द वतन समाचार” की रिपोर्ट

अदालत के रिकार्ड रूम में वकील की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या…

आईबीआरओ 1961 में स्थापित न्यूरोसाइंस सोसायटी का वैश्विक संघ है जिसका उद्देश्य प्रशिक्षण, शिक्षा, अनुसंधान, आउटरीच गतिविधियों के माध्यम से दुनिया भर में न्यूरो साइंस को बढ़ावा देना और समर्थन करना है। आईबीआरओ का उद्देश्य विशेष रूप से मस्तिष्क से संबंधित सभी क्षेत्रों में वैज्ञानिक अनुसंधान को विकसित, समन्वय, समर्थन और बढ़ावा देना है। अनुदान प्राप्त

करने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए, जीआईबीएस की सहायक प्रोफेसर डॉ. दिव्या भाटिया ने आशा व्यक्त की है कि यह देश भर में न्यूरो साइंस के अनुसंधान और जागरूकता के लिए मार्ग प्रशस्त करेगा। डॉ. भाटिया ने कहा, यह हमारे लिए एक बड़ी छलांग है और मुझे उम्मीद है कि यह न्यूरोडेवलपमेंटल विकारों के बारे में जानकारी और जागरूकता फैलाने में अधिक जुड़ाव को

प्रोत्साहित करेगा। यह अनुदान जेआईबीएस को विशिष्ट सामाजिक समूहों जैसे माता-पिता और स्कूल शिक्षकों तक पहुंचने में भी मदद करेगा, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों से उन्हें सामान्य एनडीडी, जोखिम कारक, रोकथाम के तरीकों और प्रारंभिक निदान के महत्व के साथ-साथ सरकारी सहायता और दिशानिदेर्शो के बारे में शिक्षित करने के लिए यह लाभकारी है।

लिंक पर क्लिक कर पढ़िये “हिन्द वतन समाचार” की रिपोर्ट

झगड़े के बाद दोस्त ने आदतन अपराधी की जान ली