खंडवा में भाजपा को कुशाभाऊ की जन्म शताब्दी को यादगार बनाने का मौका
भोपाल, 18 अक्टूबर। मध्य प्रदेश में तीन विधानसभा और एक लोक सभा क्षेत्र में उपचुनाव हो रहे हैं। इनमें सबसे महत्वपूर्ण खंडवा लोकसभा सीट है क्योंकि यहां से कभी भाजपा के पितृपुरुष कुशाभाऊ ठाकरे सांसद रहे हैं। यह साल उनका जन्म शताब्दी वर्ष है, इसलिए भाजपा को इस मौके को यादगार बनाने का अवसर भी है। खंडवा संसदीय सीट से निर्वाचित सांसद नंदकुमार सिंह चौहान का निधन हो जाने के कारण यहां उपचुनाव हो रहा है। यह उपचुनाव सत्ताधारी दल भाजपा और विरोधी
दल कांग्रेस दोनों के लिए महत्वपूर्ण ह,ै यही कारण है कि दोनों दलों ने जोर लगा रखा है। भाजपा के लिए खंडवा संसदीय सीट का खासा महत्व है इसकी वजह भी है, क्योंकि यहां से कभी कुशाभाऊ ठाकरे भी निर्वाचित हुए थे। वर्ष 2021 ठाकरे का जन्म शताब्दी वर्ष भी है और भाजपा इस वर्ष को संगठन पर्व के रूप में भी बना रही है। अब ठाकरे के प्रतिनिधित्व वाली खंडवा सीट में उप चुनाव हो रहा है तो भाजपा यहां चुनाव जीतकर ठाकरे को सच्ची श्रद्धांजलि देना चाहती है। खंडवा संसदीय सीट के
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इतिहास पर गौर करें तो यहां अब तक 18 बार चुनाव हुए हैं, जिनमें से कांग्रेस को आठ बार जीत मिली है। भाजपा को या यूं कहें विरोधी दल को 10 बार जीत का अवसर मिला। कुल मिलाकर यह सीट किसी एक दल का गढ़ नहीं कही जा सकती। बीते सात लोकसभा के चुनाव पर गौर करें तो पता चलता है कि छह बार भाजपा के नंदकुमार सिंह चौहान को जीत मिली, तो एक बार कांग्रेस के अरुण यादव जीते। खंडवा के लोग बताते हैं कि वर्ष 1979 के उपचुनाव के समय जब कुशाभाऊ ठाकरे चुनाव लड़
रहे थे तब उनका मुकाबला कांग्रेस के शिव कुमार सिंह से था। शिवकुमार को जिताने के इंदिरा गांधी ने गांव-गांव घूमकर प्रचार किया था मगर शिव कुमार सिंह चुनाव हार गए थे और ठाकरे को जीत मिली थी। नंदकुमार सिंह के निधन के कारण हो रहे उप-चुनाव में भाजपा ने ज्ञानेश्वर पाटिल केा उम्मीदवार बनाया है तो कांग्रेस ने राजनारायण को। यहा सीधी टक्कर है, दोनों ही दल पूरी ताकत झौंके हुए हैं।
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