न्यायालय ने राज्य विधिक सेवा प्राधिकारणों को मामले के सभी रिकॉर्ड डिजिटल स्वरूप में भेजने का निर्देश दिया
नई दिल्ली, 11 अक्टूबर। कानूनी सहायता के मामलों में गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए उच्चतम न्यायालय ने राज्य विधिक सेवा प्राधिकारणों (एसएलएसए) को निर्देश जारी कर कहा है कि जब भी मांगा जाए तो मामलों का संपूर्ण रिकॉर्ड डिजिटल स्वरूप में भेजा जाए। न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट की पीठ ने एक मामले में यह निर्देश दिया
जिसमें न्याय मित्र (एमीकस क्यूरी) को एक आपराधिक मामले में राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने गवाहों के बयान समेत रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं कराये थे। पीठ ने कहा,
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‘‘हमने सामान्य तौर पर ऐसी ही स्थितियों का अनुभव किया है जिसमें न्याय मित्र की समिति के कुशल अधिवक्ता या उच्चतम न्यायालय विधिक सेवा समिति द्वारा शामिल किसी वकील को अधूरे रिकॉर्ड
जमा किये जा रहे हैं, और इससे हम कानूनी सहायता के मामलों में गुणवत्ता पूर्ण सहायता सुनिश्चित करने का निर्देश जारी कर रहे हैं।’’ शीर्ष अदालत ने यह निर्देश भी दिया कि संबंधित राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण या उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति को अन्य संबंधित सामग्री और दस्तावेज भी साझा करने चाहिए जिनमें हिरासत प्रमाणपत्र शामिल है जिससे आरोपी की हिरासत की अवधि का पता चलता है।
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