एनडीआरएफ के जवान के घर में छप्पर फाड़कर आई खुशियां…
दस साल बाद घर में गूंजी एक साथ चार किलकारियां…
बरेली, 13 जुलाई । कहते हैं कि सफर कितना भी मुश्किल हो, धैर्य और हिम्मत हो तो मंजिल भी मिलती हैं। रिंकू और रूबी के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। आंगन में किलकारियां सुनने के लिए वे चार साल तक मुश्किलों से जूझते रहे, अब उनके घर में खुशियां आईं तो छप्पर फाड़कर। उनके आंगन में एक नहीं एक साथ चार बच्चों की किलकारियां गूंज उठीं। खुशी से फूले नहीं समा रहे दंपती कहते हैं-ऊपर वाले आखिर हमारी सुन ली।
एनडीएआरएफ की आठवीं बटालियन में सिपाही के पद पर तैनात रिंकू सिंह आंवला के गांव अतरछेड़ी निवासी हैं। रिंकू सिंह की पत्नी रूबी सिंह चार साल से संतान के लिए तड़प रही थीं। इसके लिए उन्होंने हर संभव उपाय किए। धीरे-धीरे उनका धैर्य जवाब देने लगा था लेकिन प्रभु की कृपा अंतत: उनके ऊपर ऐसी बरसी कि वह फूले नहीं समा रही हैं। रिंकू सिंह ने बताया कि अप्रैल 2017 में उनका विवाह रूबी के साथ हुआ था। तब से अब तक उन्हें संतान की प्राप्ति नहीं हुई थी। इस बार उनकी पत्नी रूबी गर्भवती हुई तो घर में खुशियां छा गई।
यह खुशियां उस समय कई गुना बढ़ गई जब उनकी पत्नी ने तीन पुत्रों व एक पुत्री को एक साथ जन्म दिया। चूंकि गर्भ में एक से अधिक शिशु होने का पूर्वानुमान चिकित्सक कर चुके थे। लिहाजा उन्होंने बच्चों के जन्म से पहले अपनी पत्नी को गाजियाबाद के नेहरू नगर स्थित यशोदा अस्पताल में भर्ती करा दिया था। पत्नी ने सोमवार को बच्चों को आपरेशन से जन्म दिया। सभी बच्चे व मां स्वस्थ हैं। डाक्टरों की पूरी एक टीम गठित करके इस कठिन प्रसव को सफलता पूर्वक पूरा कराया गया। अस्पताल की उपाध्यक्ष एवं वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डा. शशि अरोड़ा बताती हैं कि इस तरह के कठिन आपरेशन में बच्चों के साथ मां की जान को भी खतरा रहता है।
ऐसे में बहुत ही सावधानी के साथ कुशल टीम ही इस आपरेशन को अंजाम दे सकती है। बच्चों के पिता रिंकू सिंह एक साथ चार बच्चे पाकर बेहद खुश हैं। वह कहते हैं एक बच्चे की खुशी बहुत होती है, मुझे तो भगवान ने चार बच्चे एक साथ दे दिए।
अतरछेड़ी में पहले भी एक साथ तीन बच्चे आंवला के गांव अतरछेड़ी के अतुल कुमार सिंह एडवोकेट ने बताया कि एक वर्ष पूर्व भी गांव के ही उपेंद्र के यहां एक साथ तीन बच्चों ने जन्म लिया था।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…