रेमडेसिवर इंजेक्शन की ठगी में विदेशी महिला भी उतरी, गिरफ्तार

रेमडेसिवर इंजेक्शन की ठगी में विदेशी महिला भी उतरी, गिरफ्तार

नई दिल्ली। कोविड-19 की महामारी से लोग जहां एक दूसरे की सहायता कर मानवता का परिचय दे रहे हैं। वहीं कुछ लोग इस महामारी को ही पैसा कमाने का साधन मान चुके हैं। इस मुनाफाखोरी में विदेशी भी कूद गए हैं। बाहरी उत्तरी जिले के शाहबाद डेरी थाना पुलिस ने ऐसे ही एक कैमरून निवासी महिला को गिरफ्तार किया है, जो इंजेक्शन देने के नाम पर दो दर्जन से ज्यादा लोगों को ठग चुकी है। पुलिस को अब आरोपित महिला के प्रेमी की तलाश है। महिला की पहचान अश्विनगवो अशेलय अजेंम्बुह के रूप में हुई है। आरोपित महिला के कब्जे से दस सिमकार्ड,पांच मोबाइल फोन और दो वाई फाई हॉटस्पॉट बरामद किए हैं। महिला आरोपित के दर्जनभर बैंक खातों को सील किया है, जिसकी शुरुआती जांच करने पर पता चला है कि अभी तक महिला दो दर्जन से ज्यादा लोगों से लाखों रुपये ठग चुकी है। डीसीपी राजीव रंजन ने बताया कि शाहबाद डेरी पुलिस को सेक्टर-11 रोहिणी में रहने वाली रेखा गुप्ता नामक महिला ने ठगी की शिकायत दर्ज करवाई थी। उन्होंने बताया कि उसका रिश्तेदार कोविड से संक्रमित है, जिनको रेमडेसिवर इंजेक्शन की जरूरत थी। सोशल मीडिया पर उसने एक वाट्सएप्प नंबर देखा था,सम्पर्क करने पर एक महिला ने फोन उठाया। जिसने इंजेक्शन के तीस हजार रुपये मांगे,पांच हजार रुपये और पेशेंट की स्लिप भी मांगी। उसने 25 हजार रुपये इंडियन बैंक में उसके ग्लोबल सप्लायर के नाम से खुले खाते में जमा करवा दिए,लेकिन बाद में इंजेक्शन नही आया। खुद को ठगा महसूस कर उसने मामला दर्ज करवाया। इधर पुलिस टीम ने शुरुआती जांच में आरोपित का बैंक खाते को खंगाला,जिसमे पिछले कुछ ही दिनों में हर रोज पैसे आने और निकलने के बारे में पता चला। महिला का पता खामपुर देवली में पता लगा। उसके घर पर रात के समय घेराबंदी की। सुबह जब महिला घर में घुसी। उसे वही पर दबोच लिया। उसने दो दर्जन से ज्यादा लोगो को इंजेक्शन दिलवाने के नाम पर ठगा था। उसके खाते में साढ़े सात लाख रुपये थे। महिला से पूछताछ करने पर पता चला कि वह अपने प्रेमी एलुमरा क्रिस्तान उर्फ इमेक उर्फ प्रिंस के साथ मिलकर सोशल मीडिया से कोविड संक्रमित लोगों की डिटेल निकालते थे,जिनको इजेक्शन देने का झांसा देकर पैसे ख़ाते में डलवा लिया करते थे। उन पैसों को अगले ही मिनट में निकाल लिया करते थे। बाद में पीड़ित का नंबर ब्लॉक कर दिया करते थे।