शुगर व हार्ट के मरीज को वैक्सिन लगवाने से नहीं होती परेशानी : डा. सिंगला

शुगर व हार्ट के मरीज को वैक्सिन लगवाने से नहीं होती परेशानी : डा. सिंगला

सोनीपत। डा. संजय सिंगला ने कहा कि कोराना का वायरस स्वयं व्यक्तियों में चलकर नहीं जा सकता है। कोरोना संक्रमण के लिए हमारा व्यवहार ही जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि वैक्सिन लगवाने से शुगर व हर्ट के मरीज को किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं होती। कोरोना की दोनों डोज लेने के बाद मात्र 0.04 प्रतिशत व्यक्तियों को ही कोरोना का संक्रमण हुआ है।

मुरथल के विश्वविद्यालय में कोरोना संक्रमण से बचने के लिए आयोजित वेबीनार में त्रिवेंद्रम, कोचिन, कोलकत्ता, कोजाईकोड, हैदाराबाद, चैन्नई, मुम्बई, दिल्ली व चंडीगढ आदि से 500 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। वेबीनार की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.राजेंद्रकुमार अनायत ने की।

डा.सिंगला ने कहा कि कोरोना का वायरस स्वयं चलकर व्यक्तियों के पास नहीं जा सकता, बल्कि हमारा व्यवहार ही संक्रमण के लिए जिम्मेवार है। कोरोना का वायरस मुह, आंख व नाक के माध्यम से हमारे शरीर में प्रवेश करता है। शरीर में प्रवेश के लिए हवा के कण, जो मुह, नाक व ऑख के माध्यम से सीधे शरीर में प्रवेश करता है। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस शरीर में प्रवेश करते समय 1 से 5 दिन इंक्यूबेशन फेज में होता है। इस अवधि के दौरान कोरोना के कोई भी लक्षण दिखाई नहीं देते, जबकि 5 से 11 दिन में बुखार, खांसी, सिर दर्द व उल्टी लगाना आदि लक्षण देने प्रारंभ हो जाएगें।

डा. सिंगला ने कहा कि रमेडीसिवर इंजैक्शन की आवश्यक्ता केवले दूसरे फेज में होती है। इसका प्रयोग केवल डाक्टर की सलाह पर करना चाहिए। कोरोना की जांच में किसी प्रकार की कोई कोताही न बरते। सिटी स्कैन कराने का निर्णय स्वय न ले, बल्कि डाक्टर की सलाह पर ही कराना चाहिए।

डा. सिंगला ने कहा कि प्लस ऑक्सिमीटर का प्रयोग करने से 5 मिनट पूर्व ऊंगली के ऊपर की नेल पालिश उतार लेनी चाहिए व अपने हाथ को छाती के पास दिल से लगाकर रखें। आक्सिमीटर को कम से कम एक मिनट तक स्थिर रखें व आराम से रीडिंग नोट करें। उन्होंने कहा कि सदैव सोशल डिस्टेंसिंग, फेस मास्क व हाथों की धुलाई का विशेष ध्यान रखें। डा. सिंगला ने कहा कि जैसे ही कोरोना संक्रमण के लक्षण दिखाई दे तो स्वयं को दूसरो से अलग रख लो तथा आरटीपीसीआर या रेपिड ऐजी टेस्ट करवाएं।

डा. सिंगला ने कहा कि वैक्सिनेशन जरूर करवाए। यह हमारे शरीर में वायरस के प्रतिरोधक क्षमता को बनाता है। उन्होंने कहा कि आईसीएमआर के डाटा के अनुसार दोनों वैक्सिन की डोज लेने पर मात्र 0.02 से 0.04 प्रतिशत व्यक्तियों को ही कोरोना का संक्रमण हुआ है। गर्भवती महिलाओं को वैक्सिनेशन नहीं करवाना चाहिए। हमेशा सकारात्मक रहें। रजिस्ट्रार प्रो. पवन दहिया ने विश्वविद्यालय की तरफ से डॉ.सिंगला का धन्यवाद किया। वेबीनार का आयोजन विश्वविद्यालय के वित्त नियंत्रक डा. दिनेश सिंह ने किया।