किसान कांग्रेस उत्तर प्रदेश मध्यजोन के अध्यक्ष तरूण पटेल ने आज प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय पर आयोजित प्रेसवार्ता में कहा…

किसान कांग्रेस उत्तर प्रदेश मध्यजोन के अध्यक्ष तरूण पटेल ने आज प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय पर आयोजित प्रेसवार्ता में कहा…

लखनऊ 21 दिसम्बर। किसान कांग्रेस उत्तर प्रदेश मध्यजोन के अध्यक्ष तरूण पटेल ने आज प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय पर आयोजित प्रेसवार्ता में कहा कि आगामी 23 दिसम्बर 2020 को किसान कांग्रेस द्वारा किसान मसीहा चैधरी चरण सिंह की जयन्ती के अवसर पर प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में प्रदेश स्तरीय किसान स्वाभिमान महापंचायत का आयोजन किया जा रहा है। इस महापंचायत को कांग्रेस के केन्द्रीय एवं प्रदेशीय वरिष्ठ नेतागण एवं किसान संगठनों से जुड़े किसान नेता सम्बोधित करेंगे।
तरूण पटेल ने कहा कि केन्द्र की भाजपा सरकार द्वारा किसानों के हितों के खिलाफ अलोकतांत्रिक तरीके से पारित किये गये तीनों कृषि कानूनों से देश और प्रदेश का किसान आहत है और लगातार इन काले कानूनों को वापस लिये जाने की मांग को लेकर सड़कों पर उतरकर संघर्ष कर रहा है। उन्होने कहा कि लगभग एक माह से देश भर के किसान दिल्ली सीमा पर इस भीषण ठंड में आन्दोलन कर रहे हैं जिनमें दर्जनों की दुःखद मौत भी हो गयी है। भाजपा सरकार किसानों की मौतों पर भी अपना मौन नहीं तोड़ रही है और लगातार उनकी अनदेखी कर हठधर्मी रवैया अपनाये हुए है जो दुर्भाग्यपूर्ण है।
श्री पटेल ने कहा कि आज अन्नदाता किसान खून की आंसू रो रहा है। भारतीय जनता पार्टी ने अपने चुनावी संकल्प पत्र में गन्ना किसानों के बकाये भुगतान को सत्ता में आने पर 14 दिनों के भीतर करने का वादा किया था किन्तु प्रदेश की योगी सरकार के लगभग चार वर्ष बीत चुके हैं और गन्ना किसानों का अभी तक 12219 करोड़ रुपये का बकाया भुगतान नहीं हो पाया है। वहीं योगी सरकार 3500 करोड़ की निर्यात सब्सिडी देने की बात कह रही है जो कि गन्ना किसानों के लिए मात्र एक छलावा है और जले पर नमक छिड़कने जैसा है। अन्ना पशुओं से किसान त्राहि-त्राहि कर रहा है। किसान की फसलें जहां अन्ना पशु पूरी तरह बर्बाद कर रहे हैं वहीं तमाम जनपदों में अन्ना जानवरों द्वारा किसान न सिर्फ घायल हुए हैं बल्कि अपनी जान गंवा चुके हैं। धान खरीद को लेकर योगी सरकार ने बड़े-बड़े दावे किये लेकिन सच्चाई ठीक इसके विपरीत है। धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1868 रूपये प्रति कुंतल निर्धारित किया गया किन्तु सरकारी धान क्रय केन्द्र समुचित मात्रा में नहीं खोले गये और जो खुले भी उनमें व्याप्त भ्रष्टाचार के चलते किसानों को अपनी उपज बिचैलियों के हाथों औने-पौने दामों में बेंचना पड़ा और उसे मात्र प्रति कुन्तल 800 से 900 रूपये में बेंचने के लिए विवश होना पड़ा।

हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…