बुन्देलखंड में विदेशी तर्ज पर होगा मछ्ली पालन, बरसेगा धन!..

बुन्देलखंड में विदेशी तर्ज पर होगा मछ्ली पालन, बरसेगा धन!..

नीली क्रांति योजना करेगी मालामाल -पिंजरा पद्यति से मछ्ली पालन, मिलेगा अनुदान…

बांदा/उत्तर प्रदेश बुन्देलखंड में अब विदेशों की तर्ज पर मछ्ली पालन होगा, जिससे मत्स्य पालकों के यहां धन लक्ष्मी की बरसात होगी।इसके लिये अब बुंदेलखंड के बांधों में भी केज कल्चर यानी पिंजरा पद्धति से मछली पालन होगा। इसके लिए केंद्र सरकार की नीली क्रांति योजना से बुंदेलखंड के चार प्रमुख बांधों को चिह्नित किया गया है। पानी में तैरते प्रत्येक पिंजरों में तीन हजार अंगुलिकाएं (बीज) डाले जाएंगे। पहले चरण में 48 केज यानी पिंजरे बन रहें हैं। इनमें करीब एक हजार क्विंटल मछलियां तैयार होंगी।
आपको बतादें की केज कल्चर के जरिये मछली का पालन विदेशों में होता है। अब इसे नीली क्रांति योजना में शामिल कर बुंदेलखंड में लागू किया गया है। पहले चरण में बुंदेलखंड के चार बांधों रनगवां (बांदा), अर्जुन (महोबा), बड़वार (झांसी) और शहजाद (ललितपुर) शामिल हैं।
मत्स्य पालन विभाग का दावा है कि इस योजना से अगले छह महीनों में बुंदेलखंड में मछली पालन दोगुना हो जाएगा। हरेक परियोजना में 12 केज (पिंजरा) बनेंगे। प्रत्येक की लागत 18 लाख रुपये होगी। इसमें मत्स्य पालक को 40 फीसदी अनुदान मिलेगा। इसमें केंद्र का अंश 60 और राज्य सरकार का 40 फीसदी होगा। रनगवां और अर्जुन बांधों में केज तैयार किए जा चुके हैं। ललितपुर और झांसी में तैयार हो रहे हैं।
जिनबांधों में केज कल्चर बनेंगे उनमें बांदा रनगवां 18 लाख रुपये,महोबा अर्जुन 18 लाख रुपये,झांसी बड़वार 18 लाख रुपये,ललितपुर शहजाद 18 लाख रुपये यानी कुल72 लाख रुपये खर्च होगें।
परियोजना के तहत पिंजरा केज फाइबर का होगा। इसकी लंबाई 7.5 मीटर और चौड़ाई 7.65 व गहराई 1.5 मीटर होगी। चारों तरफ नीचे तक जाल लगा होगा। पानी में डूबे इस जाल में मछली पाली पाएंगी। केज को जरूरत के मुताबिक इधर-उधर भी किया जा सकेगा। यह पानी में तैरता रहेगा। जरूरत पड़ने पर इसे आगे पीछे किया जा सकता है।
मत्स्य विभाग के मुताबिक प्रत्येक केज में 20 क्विंटल मछली का उत्पादन होगा। 48 केज में 960 क्विंटल मछलियों का उत्पादन होगा। मत्स्य विभाग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एसी वर्मा का कहना है कि बुंदेलखंड में अधिकतम 300 क्विंटल मछलियों की छमाही खपत है, जबकि केज योजना से करीब एक हजार क्विंटल उत्पादन होगा।केज कल्चर में मछली पालन के लिए ठेकेदार को पंगा प्रजाति की अंगुलिका (बीज) पांच रुपये प्रति बीज की दर से मिलेगा। एक केज में 20 हजार बीज डाले जाएंगे। इसके अलावा मछलियों का दाना (फार्मुलेटेड फ्लोटिंग फिश फीड) 34 रुपये प्रति किलो मिलेगा। प्रति केज में 3900 किलो ग्राम दाना लगेगा। मछलियों की दवाओं के लिए 28 हजार रुपये दिए जाएंगे।
उप निदेशक मत्स्य ज्ञानेंद्र सिंह की मानें तो केज कल्चर मत्स्य परियोजना बुंदेलखंड के लिए बेहतर साबित होगी। शासन ने मूल लागत का 80 फीसदी बजट में 60 लाख रुपये जारी कर दिया है। मत्स्य पालक लाभार्थी को 40 फीसदी अनुदान मिलेेगा। रनगवां और अर्जुन बांध में काम शुरू हो गया है।

पत्रकार शरद मिश्रा की रिपोर्ट…