कानपुर के बिकरू गांव के विकास की तर्ज पर मथुरा में भी आम से खास बन मनुऋषि फलफूल गया…
मथुरा। मंडी रामदास की एक गलि में सुख सुविधाओं के अभाव में साधारण व्यक्ति का जीवन गुजारने वाले एक व्यक्ति के सर पर एक कथावाचक ने हाथ क्या रखा चन्द सालों में अकूत सम्पति का मालिक बन गया और आज उत्तर प्रदेश बड़ी राजनैतिक हस्तियों में उसकी पहुँच भी है जिसके नाम पर उक्त दबंग कभी भी कानपुर के बिकरू गांव जैसे भयानक घटना को अंजाम दिला सकता है।
दरअसल दो जुलाई की रात्री से आजकल एक नाम हर किसी के जहन में चल रहा है विकास दुबे और मीडिया में भी बढ़चढ़ कर उसके बाबत नित नए खुलासे भी हो रहे हैं विकास दुबे का अंत तब हुआ जब उसको गिरफ्तार करने गई पुलिस पार्टी पर उसने हमला कर दिया और आठ पुलिस वाले शहीद हो गए लेकिन यहां यह गौर करने वाली एक विकास और शहीद सीओ के विचारों का विषैला माहौल 22 वर्ष पहले ही बन चुका था जिसका अंत अब जाकर इतना भयानक हुआ ।
जनपद मथुरा के कस्बा गोवर्धन में भी एक विकास दुबे जैसा ही एक व्यक्ति मनुऋषि कुछ सालों से अपनी जड़ें मजबूत कर रहा है और उसको बढ़ावा देने वाला प्रथम व्यक्ति एक खानदानी कथावाचक रमाकांत गोस्वामी है।
मनुऋषि मथुरा के मंडी रामदास का रहने बाला है जो कभी पुलिस रिकॉर्ड के हिसाब से मामूली और निहायत गरीब व्यक्ति था ।
सात जुलाई वर्ष दो हजार दस में प्रमुख कथावाचक श्री जी बाबा राजा बाबा परिवार के चिराग रमाकांत गोस्वामी ने मंदिर मुकुट मुखारबिंद दसबिसा गोवर्धन पर रिसीबर का पद भार ग्रहण किया तो उनको मनुऋषि जैसे लोगों की जरूरत हुई और उन्होंने मनुऋषि को मन्दिर का मैनेजर नियुक्त कर दिया।
मैनेजर ने रिसीबर को अपना पाठ पढ़ाया और घोटाले दर घोटालों को अंजाम दिया गया जिससे रिसीबर के साथ साथ मनुऋषि आम आदमी से खास आदमी बन गया जिस मनुऋषि पर आजीविका के बांदे थे वो आज अकूत सम्पत्ति का मालिक है और मन्दिर व रिसीबर की कथा भागवतों के माध्यम से अपनी घुस पैठ गोवर्धन से लेकर लखनऊ की राजनीति ब सचिवालय में कर ली तो दूसरी तरफ सर्वोच्च न्यायालय से लेकर उच्च न्यायालयों के कुछ न्यायधीशों से भी जान पहचान बना ली और उनके साथ सेल्फी लेकर अपने सम्बन्धों का प्रचार प्रसार करने लगा।
मनुऋषि ने अब अपने अपराध के पैर ज्यादा पसारे मन्दिर की अकूत सम्पत्तियों पर कब्जा करने के लिये अंग्रेजों वाली नीति का प्रयोग किया और सैकड़ों सालों से एक रह रहे दसबिसा ब्राह्मणं को दो पक्षों में विभाजित कर सैकड़ों साल से पुश्त दर पुश्त रहे रहे सेवायतों को रिफ्यूजी करार कराकर कभी न मिटने वाली दीवार खड़ी करदी और मन्दिर से मिलने वाली सुविधाओं से उक्त रिफ्यूजी करार दिए गए लोगों को वंचित कर दिया मनुऋषि के इस कृत्य में रिसीबर रमाकांत गोस्वामी भी शामिल रहे हैं।
अपनी सेवाओं और अधिकारों से वंचित सेवायतों ने विरोध किया तो करीब 95 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आया और मामले को मैनेज किया जाने लगा।
इस सम्बंध में सेवाधिकारी जगदीश गोकुलिया, राधारमण शर्मा, काशीराम, भोला गोकुलिया ने वताया की मामला थम नही रहा तो मनुऋषि और रिसीबर ने सामदाम दण्डभेद की नीति अपनाते हुए शिकायत कर्ताओँ को हर कीमत पर शांत करने हेतू गुर्गे लगा दिए हैं।
शिकायत कर्ता सेवायतों को अब अपनी जान माल के नुकसान की चिंता सता रही है ।शिकायत कर्ताओँ ने एसएसपी मथुरा आईजी आगरा व तमाम जगह प्रार्थना पत्र देकर जान माल की सुरक्षा की मांग शासन व पुलिस से की है स्थिति इतनी भयभाव है कभी भी कोई भी घटना घट सकती है लेकिन शासन प्रशासन हमेशा की तरह घटना होने के इंतजार में है तभी तो रिसीबर व उसके चहेते मनुऋषि के विरुद्ध कोई कार्यवाही नही कर पा रहा या शायद मनुऋषि के राजनैतिक व्यक्तियों से सम्बन्ध और उनके साथ खिंचे फोटुओं से डर की वजह से कोई कदम उठाने में डर रहा है।
स्थिति कुछ भी हो और सरकार किसी की भी हो अगर समय रहते ही अपराध पर अंकुश लग जाया करे तो बिकरूगांव जैसे कांड कभी पुनरावृत्ति नही होगी।
पत्रकार अमित गोस्वामी की रिपोर्ट…