ममता बगड़वाल मनोवैज्ञानिक परामर्शदाता ओ०ए०सी० नैनीताल,द्वारा सचेत किया गया…
जिस तरह सुशांत सिंह राजपूत के सुसाइड केस को सोशल मीडिया व न्यूज में हाई कवरेज मिल रही है…
घातक साबित हो सकता है आत्महत्या के मुद्दे को अत्यधिक चर्चित करना…
1 – जिस तरह सुशांत सिंह राजपूत के सुसाइड केस को सोशल मीडिया व न्यूज में हाई कवरेज मिल रही है।
2 – जिस तरह लगभग 15 से 60 वर्ष तक का हर आयु वर्ग इस सुसाइड कैसे से भावुक हो चुका है।
3 – जिस तरह बॉलीवुड का अब्यूजिव एनवायरनमेंट सामने रख एंटरटेनमेंट की जगह इमोशनल किया जा रहा है।
4 – जिस तरह सुशांत सिंह राजपूत के ऑक्युपेशनल और रिलेशनशिप के स्ट्रेस को सुसाइड से कनेक्ट किया जा रहा है ।
आत्मघातक हो सकती है उन लोगो के लिए जिनमें सुसाइडल टेंडेंसी पहले से मौजूद हो।मनोवैज्ञानिको द्वारा पूर्व में किए गई शोघो में देखा गया है कि जब भी किसी चर्चित आत्महत्या को मीडिया द्वारा हाईलाइट किया जाता रहा है तो कुछ लोग जिनमें पहले से ही इमोशनल डिसऑर्डर्स मौजूद है।आत्महत्या करने के लिए प्रेरित हो उठते है।
कई केसेस में यह भी देखा गया है कि आत्महत्या के लिए उठाए गए कदम पब्लिसिटी व अत्यधिक चर्चा में आने के लिए भी रहते है।जिसमें राजनैतिक व मनोरंजन जगत से जुड़े व्यक्तित्व अधिक होते है।पर इन्हें देखा देखी अन्य भी ऐसा गलत कदम उठाने के लिए प्रेरित हो जाते है।
हाल ही में हुई सुशांत सिंह राजपूत की घटना का प्रसारण टीवी में देख एक भाई ने दूसरे भाई से खुद आत्महत्या करने की बात कही और अगले ही दिन उसने भी सुसाइड अटेम्प्ट कर लिया।यह एक तरह का मॉडलिंग फैक्टर है जो कमजोर व इमोशनल , मूड डिसऑर्डर से डिस्टर्ब लोगो को आघात पहुंच सकता है।
इस तरह की घटनाओं का प्रसारण कई तरह से व अनावश्यक रूप से बार बार दोहराना कमजोर मनोदशा वाले व्यक्तियों के लिए आत्महत्या करने की प्रवृति को बढ़ावा देना है।
जरूरी है अपनी समस्याओं को समझना व सकारात्मक रिश्ते में रहना ताकि आप अपने जीवन की सकारात्मकता को अपनाए देखा देखी में ना जाए।
वरिष्ठ पत्रकार समीम दुर्रानी की रिपोर्ट रामनगर (नैनीताल) उत्तराखंड