संकिसा स्तूप से संकिसा गेस्ट हाउस तक सड़क चैड़ीकरण के दौरान जेसीबी की खुदाई में बौ( विहार के दो स्तंभ मिले…

संकिसा स्तूप से संकिसा गेस्ट हाउस तक सड़क चैड़ीकरण के दौरान जेसीबी की खुदाई में बौ( विहार के दो स्तंभ मिले…

फर्रुखाबाद। संकिसा स्तूप से संकिसा गेस्ट हाउस तक सड़क चैड़ीकरण के दौरान जेसीबी की खुदाई में बौ( विहार के दो स्तंभ मिले हैं। स्तंभ की ऊँचाई 5 फीट है। स्तंभ पर 8 पँखुड़ियों के कमल – पुष्प के बीच गौतम बु( की मूर्ति उकेरी हुई है। 8 पंखुड़ियाँ अष्टांगिक मार्ग के संकेतक हैं।
संकिसा उत्तर प्रदेश के जिला फर्रुखाबाद में है। संकिसा की खोज कनिंघम ने 1842 में की थी। उन्होंने अपनी पुस्तक द ऐन्शन्ट जिओग्राफी आॅफ इंडिया में संकिसा के बारे में विस्तार से लिखा है। पाँचवी सदी में फाहियान ने संकिसा की यात्रा की थी। लिखा कि जनपद बहुत उपजाऊ है। जनता खुशहाल है। विदेश के लोग भी यहाँ आते है और उनकी आवश्यकता की सभी चीजें यहाँ उपलब्ध है। फाहियान ने संकिसा में मौजूद सभी स्तूप, स्तंभ और विहारों का सविस्तार वर्णन किए हैं। यहीं गौतम बु( ने उत्पला को दीक्षा देकर संघ का द्वार स्त्रियों के लिए खोल दिए थे।
उत्पला की दीक्षा
भूमि पर स्तूप बना है और वहाँ लगभग 4 हजार बौ( श्रमण हैं। जंबूद्वीप के राजा अशोक इस स्थल से इतने प्रभावित थे कि उन्होंने यहाँ धम्म यात्रा की और स्तूप, स्तंभ तथा विहार बनवाए। सातवीं सदी के चीनी यात्री ह्वेनसांग ने लगभग यहीं बात बताई है लेकिन तब वहाँ श्रमणों की संख्या 1000 थी और संघाराम 10 थे। ह्वेनसांग ने अशोक स्तंभ का उल्लेख करते हुए लिखा कि विहार के बाहर अशोक स्तंभ है, 70 फीट ऊँचा है, रंग बैंगनी चमकदार है, स्तंभ पर मसाला लगा है और सबसे ऊपर सिंह अपने पुट्ठों के बल बैठा है। लोग कहते रहे हैं कि सब टीला है, मगर अब संकिसा की विराट बौ( सभ्यता धरती फोड़कर बाहर आ रही है

पत्रकार राहुल सिंह चौहान की रिपोर्ट…