अधिक ऊर्जा का स्त्रोत साबुत अनाज…

अधिक ऊर्जा का स्त्रोत साबुत अनाज…

दुनिया आज जिन्हें होल ग्रेन्स कह कर उन्हें खाने पर जोर दे रही है, वो हमारे पूर्वजों के भोजन का अहम हिस्सा रहे हैं। साबुत अनाज कहे जाने वाले होल ग्रेन्स को आज भी गांवों में खूब खाया जाता है, पर शहरों से ये गायब हो रहे हैं। आप इन्हें कैसे खा सकते हैं, बता रहे है हम….

आपको याद होगा कि दादी-नानी के घर में अकसर बाजरे की रोटी, चोकर वाला गेहूं का आटा, मकई, भुना काला चना आदि खाया-खिलाया जाता था। पर पिछली एक पीढ़ी से शहरों में मिल में पिसा सफेद आटा, चिकने-फिसलते से चावल, मैदे से बना पिज्जा खाने का ट्रेंड हो गया है। यही वजह है कि होल ग्रेन्स के फायदों से नई पीढ़ी अनजान है। पश्चिमी देशों की बात करें तो वहां पहले से ही पिज्जा-बर्गर संस्कृति रही है, ऐसे में उन्हें अब डॉक्टर होल ग्रेन्स से बने पिज्जा, बर्गर, पॉपकार्न खाने की सलाह दे रहे हैं। हम तो इन्हें कई तरह से खा सकते हैं और इनका लाभ उठा सकते हैं।

होल ग्रेन्स हैं क्या
होल ग्रेन्स में किसी भी अनाज का चोकर, बीज और अंतरबीज तीनों चीजें होती हैं। यह फसल का मूल रूप होता है। इसका किसी भी तरह से संशोधन नहीं किया गया होता, जबकि संशोधित अनाज में चोकर एवं बीज को अलग कर दिया जाता है। इस प्रक्रिया में इसके भीतर के पोषक तत्व कम हो जाते हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि संशोधन के बाद अनाज से करीब 25 प्रतिशत प्रोटीन कम हो जाता है। साथ ही इसमें 17 पोषक तत्व तो तकरीबन पूरी तरह से गायब हो जाते हैं। इसके बाद संशोधन करने वाले इसमें कुछ विटामिन और पोषक तत्व मिक्स करते हैं।

फाइबर का अच्छा स्रोत
डॉक्टरों के अनुसार, एक वयस्क व्यक्ति के शरीर को प्रतिदिन 25 से 35 ग्राम फाइबर की आवश्यकता होती है। होल ग्रेन्स में दो तरह के फाइबर होते हैं- घुलनशील व अघुलनशील। ये दोनों ही स्वास्थ्य के लिए लाभदायी हैं। होल ग्रेन्स से बनी ब्रेड के दो पीस खाने से ही आपको करीब 5 ग्राम फाइबर मिल जाता है, जबकि व्हाइट ब्रेड खाने से केवल 1.9 ग्राम फाइबर मिल पाता है। इसी तरह आपको आधा कप ब्राउन राइस में 5.5 ग्राम फाइबर मिलता है, जबकि इतनी ही मात्रा में सफेद चावल से 2 ग्राम मिलता है। यह धीरे-धीरे पचता है, इसलिए आप लंबे समय तक स्फूर्तिवान भी महसूस करते हैं। फाइबर लेने से ब्लड शुगर कंट्रोल में रहती है, बैड कोलेस्ट्रॉल कम होता है और यह कोलोन कैंसर होने के खतरे को भी कम करता है।

पाचन में सहायक
इसमें काफी सारा फाइबर होता है, इसलिए पाचन क्रिया निरंतर चलती रहती है। इसके अलावा होल ग्रेन्स में लेक्टिक एसिड होता है, जो अच्छे किस्म के बैक्टीरिया को हमारी बड़ी आंत तक पहुंचाता है। इससे पाचन क्रिया तेज होती है, पोषक तत्वों को शरीर सोखता है और शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र मजबूत होता है।

कोलेस्ट्रॉल को कम करने में सहायक
होल ग्रेन्स शरीर द्वारा बैड कोलेस्ट्रॉल को सोखने से रोकने और ट्रिगलीसेरिड्स को कम करने में सहायक हैं। ये दोनों ही हृदय संबंधी बीमारियों को उत्पन्न करते हैं। कुछ समय पहले हुए एक अध्ययन में यह बात सामने आई थी कि ऐसी महिलाएं, जो प्रतिदिन 2 से 3 बार होल ग्रेन उत्पादों का सेवन करती हैं, वे दूसरी महिलाओं की तुलना में हृदय रोगों से 30 फीसदी कम पीड़ित होती हैं।

उच्च रक्तचाप में सहायक
उच्च रक्तचाप से पीड़ित लोगों के लिए होल ग्रेन्स काफी फायदेमंद हैं। एक अध्ययन में पता चला है कि नाश्ते में होल ग्रेन्स लेने वाले लोगों में दूसरों की तुलना में 19 प्रतिशत तक रक्तचाप पर नियंत्रण पाया गया।

वजन को करता है नियंत्रित
इस फूड का एक बड़ा फायदा यह है कि इसे भूख से अधिक खाने पर भी वजन नहीं बढ़ता। चूंकि इसमें फाइबर अधिक होता है, इसलिए पचने में भी आसानी होती है। इस तरह से यह मोटापे को भी नियंत्रित कर सकता है। कई शोधों से यह बात भी सामने आई है कि यह शरीर की किसी जगह पर अतिरिक्त फैट को कम करता है। शरीर एक समान तरीके से बढ़ता है। पेट की चर्बी को कम करने में यह लाभदायक है। यह रक्त में शुगर की मात्रा को नियंत्रित रखता है, जिससे डायबिटीज होने का खतरा कम हो जाता है।

अस्थमा का खतरा हो जाता है कम
अगर बच्चों को होल ग्रेन्स खाने की आदत डलवाई जाए तो उन्हें इससे कई फायदे हो सकते हैं। एक शोध में सामने आया है कि जो बच्चे ओट्स खाते हैं, पांच साल की उम्र में पहुंचने तक उनमें एलर्जी की समस्या होने का खतरा कम होता जाता है। एक डच स्टडी में भी इस तरह के परिणाम सामने आए थे।

कैंसर का खतरा होता है कम
कई शोधों में इस बात का खुलासा हुआ है कि होल ग्रेन्स खाने से कोलोरेक्टल, ब्रेस्ट और पेनक्रियेटिक कैंसर होने का खतरा कम हो जाता है।

हमारे होल ग्रेन अनाज
गेहूं, ब्राउन राइस, ओट्स, मक्का, ज्वार, रागी, बाजरा, काला चना, दलिया, छिलके वाले अन्य अनाज इसमें शामिल होते हैं।

दूसरे अनाज से किस तरह बेहतर
संशोधित अनाजों की तुलना में होल ग्रेन्स के भीतर प्रति यूनिट अधिक पोषक तत्व होते हैं। इनमें फाइबर भी अधिक होता है, इसलिए ये पेट के लिए अच्छे होते हैं।

आहार में कैसे करें शामिल
कई सारे अनाजों को पिसवा कर आटा तैयार कर सकते हैं। फिर इसकी रोटी बना कर भोजन में शामिल करें। आटे के लिए गेहूं, बाजरा, ज्वार और रागी को मिलाएं। इसके अलावा आप होल व्हीट वाली ब्रेड, ओट्स, कॉर्न फ्लेक्स ले सकते हैं। ब्राउन राइस और रागी को उबाल कर इडली भी बना सकते हैं। ओट्स और होल व्हीट को मिला कर केक, पेस्ट्री आदि बना सकते हैं। बच्चों को होल व्हीट पास्ता दे सकते हैं। मक्के की रोटी बना सकते हैं। ज्वार जहां वजन कम करने में सहायक है वहीं फाइबर का अच्छा स्रोत है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट्स भी खूब होते हैं। इसकी रोटी बना कर खा सकते हैं। बाजरा एनीमिया दूर करने में सहायक होता है। ग्रेन्स को अगर स्प्राउट्स के रूप में खाया जाए तो भी फायदेमंद है।

कितना खाना चाहिए
अमेरिका की डाइटरी गाइडलाइंस के मुताबिक, सभी वयस्कों को कुल भोजन में से आधी मात्रा होल ग्रेन्स की खानी चाहिए। बच्चों को दिन में 2 से 3 बार होल ग्रेन पदार्थ देने चाहिए। कनाडा की फूड गाइड भी इसी तरह की है।

हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…