दिल्ली दंगों का खौफ छोड़िए अब तो बस एक ही खौफ से तिलमिला गए है…
प्रधानमंत्री , गृहमंत्री एवं भाजपा अध्यक्ष और तमाम सब वह क्या है बला…
मार्च गुरुवार 5-3-2020।किसी ने सच कहा है ,संसार के सबसे ताकतवर आदमी को भी मृत्यु से डर लगता है , इसलिए भारत के शीर्ष नेताओं ने इस बार होली नहीं मनाने का फैसला लिया है ,
अच्छा होता अगर यह नेता दिल्ली में हुए दंगों के विरोध स्वरूप होली नहीं मनाने का फैसला लेते तो लगता इन नेताओं को दिल्ली में दंगे के नंगे नाच का दुख है ।
क्योंकि हमारे महान महात्मा गांधी ने भी , भारत की आजादी के समय दिल्ली में दंगों का दृश्य देखा था,
उस समय हमारे बापू महात्मा गांधी ने दंगो के विरोध में अन्न जल त्याग दिया था !
दिल्ली शहर के सभी रेस्तरां, ढाबों और होटलों के कर्मचारियों ने भोजन परोसने से मना कर दिया था ,
जब तक उनके बापू खाना नहीं खाएंगे, वे लोग किसी और को भी नहीं खिलाएंगे , सभी शरणार्थी शिविरों से शांति स्थापना के लिखित संदेश महात्मा गांधी के पास पहुंचे,
इन संदेशों का सार था-‘‘अब दंगे नहीं होंगे और न ही अव्यवस्था होगी।
बापू को लगा कि लोगों के भीतर का पिशाच मर रहा है और कर्तव्यबोध अंगड़ाई लेने लगा है. उपवास अब तोड़ा जा सकता था।
इस बार दिल्ली दंगों के नंगे नाच ने पूरे विश्व में दिल्ली का सर नीचा किया है,
दिल्ली जो दिल वालों की बस्ती कहलाती थी , क्या हुआ था दिल वालों को जो ऐसा घिनौना नाच हुआ ।
लोगों के कारोबार धराशाई हो गए , कल तक जो बड़ी शान से अपनी दुकानों पर बैठकर व्यवसाय करते थे , आज उनका व्यवसाय राख में तब्दील हो गया।
जो लोग अपने घरौंदे में रहते थे आज अपनी रातें रैन बसेरों में गुजारने के लिए मजबूर हैं ।
आज भी जिस बाप ने अपना जवान बेटा खोया है उसके द्वार पर हल्की सी आहट होती है तो उसको लगता है शायद उसका बेटा वापस आ गया।
वही बेटी जिसके हाथ से अभी मेहंदी भी नहीं सूखी उसने अपना पति खो दिया कोई भी गाड़ी की आवाज होती है तो वह भागकर दरवाजे पर खड़ी होकर टकटकी लगाकर सड़क को देखती है ,शायद उसका पति वापस आ गया है यह सब भ्रम है , उस पिता का और उस पत्नी का क्योंकि उनका बेटा और पति इतनी दूर चले गए हैं जहां से कोई लौटकर नहीं आता।
चलो अच्छा हुआ कोरोना वायरस के बहाने दिल्ली के दंगे ,सीएए बेरोजगारी ,मंदी सब भूल जाएंगे फिर देश में एका हो जाएगा लोग बीमारों की तीमारदारी में लग जाएंगे ।
हम भारतवासी कितने भोले हैं मन के कितने सच्चे हैं ?
जैसे छोटा सा बच्चा जब उसका कोई प्रिय खिलौना टूट जाता है , तो वह रोने लगता है ,
जब उसके सामने कोई दूसरा खिलौना रख देते हैं ,तो वे अपने प्रिय खिलौने को भूलकर दूसरे खिलौने से खेल ने लगता है!
हम सब भूल जाएंगे भारत के ज्वलंत मुद्दों को बेरोजगारी को महंगाई को , मंदी को ,सीएए को अब मोहल्लों चौराहा कार्यालयों में बात होगी कोरोना की ।
ऊपर वाले से दुआ है कि कोरोना वायरस से संक्रमण में हमारी बेरोजगारी, मंदी, ईर्ष्या, भ्रष्टाचार पर आ जाए और यह भारत से हमेशा हमेशा के लिए खत्म हो जाए ।
मेरे दिल के किसी कोने में एक मासूम सा बच्चा रहता है ।
नफरत फैलाने वालों की दुनिया को देखकर बड़े होने से डरता है ।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…