पहचान बनाने के लिए करें बाकियों से कुछ अलग…
देश के अलग-अलग इलाकों के विद्यार्थियों में एक जैसी छटपटाहट दिखती है। वह यह कि 11वीं, 12वीं या ग्रेजुएशन में पढ़ते हुए वे अपने भविष्य के करियर को लेकर दुविधा में हैं। उन्हें समझ नहीं आता कि आगे वे क्या करें। इस तरह की व्याकुलता ऐसे अभिभावकों में भी देखी जाती है, जिनके बच्चे अभी छोटी कक्षाओं में पढ़ रहे हैं लेकिन वे अभी से जानना चाहते हैं कि वे अपने बच्चों के बेहतर करियर के लिए क्या करें।
पहचान की बेचैनी
आपमें से कइयों को लगता होगा कि आप कुछ नहीं जानते, आपको कुछ नहीं आता। ऐसे में जो हीन भावना आपके मन में भर जाती है, उसी के कारण आपको अक्सर ऐसा लगता होगा कि आपकी आगे की राह पूरी तरह अंधकारमय है। इससे निकलने का रास्ता आपको नहीं सूझता। मगर इसका हल आपके पास ही है। जरा सोचें, आप अपनी अलग पहचान बनाना चाहते हैं, इसीलिए तो परेशान हैं। पहचान बनाने की यह व्याकुलता ही आपकी शक्ति है। आप इसी के सहारे आगे बढ़ सकते हैं क्योंकि इसी में असली ताकत है।
सामर्थ्य पहचानें
आप अपने मन से यह बात पूरी तरह निकाल दें कि आपको कुछ नहीं आता। ध्यान रखें कि हर व्यक्ति में कोई-न-कोई गुण होता है। यह बात अलग है कि हममें से तमाम को अपने भीतर छिपे इन गुणों के बारे में पता ही नहीं होता। जिस दिन आपको अपनी छिपी प्रतिभा का पता चल जाएगा, उस दिन से आपकी सोच सकारात्मक हो जाएगी। इसलिए सबसे पहले अपनी इस खासियत को ढूंढें। जरूरी नहीं कि एक दिन में यह तलाश पूरी हो जाए। कुछ देर से ही सही, आपको अपनी खासियत का पता चल ही जाएगा।
अब इसे निखारें
जब आपको अपने गुणों के बारे में पता चल जाए, तो उस पर आत्ममुग्ध होने के बजाय उसे तराशने की योजना बनाकर आगे बढ़ें। अगर इसके लिए आज के वक्त के हिसाब से कोई अपडेटेड कोर्स करने की जरूरत हो, तो उससे भी पीछे न हटें। इससे आपको अपनी खासियत निखारने-चमकाने का अवसर मिलेगा। अगर कोर्स करने की जरूरत न हो, तो स्वाध्याय या सेल्फ-ट्रेनिंग से भी खुद को तराश सकते हैं।
प्रेक्टिकल पर जोर
कोर्स जॉइन कर लेने के बाद बारीकियों को अच्छी तरह से जानने के लिए थ्योरी तो जरूर पढ़ें, पर प्रेक्टिकल नॉलेज पर ज्यादा जोर दें। इससे आपको व्यवहारिक बातें सीखने को मिलेंगीं, जो सिर्फ किताबें पढ़ने से नहीं सीखी जा सकतीं। अगर तकनीकी कोर्स कर रहे हैं, तब तो प्रेक्टिकल ट्रेनिंग और भी जरूरी है।
जिज्ञासा जरूरी
अपनी पहचान बनाने के लिए अपने स्वभाव में ही चीज सीखने की उत्सुकता शामिल करनी होगी। जानने की जिज्ञासा को अपनी दिनचर्या में शुमार करके ही आप अपने ज्ञान में लगातार इजाफा कर सकते हैं। आज के प्रतिस्पर्धी समय में इस तरह की जिज्ञासा बेहद आवश्यक है। इससे आप उस फील्ड से संबंधित नई-नई बातों और टेक्नोलॉजी को समझकर उसे अपने काम में शुमार करके अपनी काबिलियत बढ़ा सकते हैं। इससे आपके काम का परिणाम और सटीक तथा प्रभावशाली हो सकता है।
विनम्रता न छोड़ें
आप किसी भी फील्ड से जुड़े हों, नौकरी कर रहे हों या फिर स्वरोजगार, क्लाइंट के सामने हों या फिर मालिक के या अपने सहयोगियों के साथ मीटिंग में हों, विनम्र बने रहकर आप अपनी अहमियत बढ़ा सकते हैं। ज्ञान, पद, पैसा, पहचान आदि हासिल करने के दौरान अहंकार से तनने के बजाय खुद को अधिक से अधिक विनम्र बनाए रखने का प्रयास करें। दूसरों की मदद को तत्पर रहें। आप देखेंगे कि समय आने पर दूसरे लोग भी आपकी मदद को तैयार रहेंगे।
हार में जीत
जीत आपको ज्यादा कुछ नहीं सिखाती। जीत की खुशी में आप बहुत कुछ भूल जाते हैं। मगर हार आपको बहुत कुछ सिखा सकती है। इसलिए कभी भी नाकामी या हार से हताश न हों। इस हार में कोई-न-कोई सीख जरूर होगी, जो आपकी जीत की सीढ़ी बन सकती है। अपनी कमी को तलाशें और उसे दूर करने की कोशिश करें। अगर कई बार असफलता मिलती है, तो भी परेशान न हों। उससे भी सबक लें। अगर आप सच्चे मन से सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं, तो एक-न-एक दिन कामयाबी जरूर मिलेगी।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…