पिछड़े क्षेत्रों के विकास पर जोर, उग्रवादी हिंसा काबू करने में मिली कामयाबी: मुर्मू…
नई दिल्ली, 31 जनवरी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने वामपंथी उग्रवाद पर प्रभावी अंकुश लगाने में सफलता हासिल कर लेने का उल्लेख करते हुए मंगलवार को कहा कि सरकार ने दूरदराज के इलाकों और सीमावर्ती क्षेत्रों में विकास की गतिविधियां बढ़ाकर अनुसूचित जाति, जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग की उम्मीदों एवं आकांक्षाओं को बढ़ाया है।
श्रीमती मुर्मू ने संसद के बजट सत्र के पहले दिन दोनों सदनों के समवेत अधिवेशन को संबोधित करते हुए कहा,
“सीमावर्ती गांवों तक बेहतर सुविधाएं पहुंचाने के लिए मेरी सरकार ने ‘वाइव्रेट विलेज कार्यक्रम’ पर कार्य शुरू किये हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से भी सीमावर्ती क्षेत्रों में अभूतपूर्व अवसंरचना बीते सालों में तैयार की गयी है। इससे भी, इन क्षेत्रों में विकास को गति मिल रही है। पिछले कुछ दशकों से राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बहुत बड़ा खतरा बन चुका वामपंथी उग्रवाद भी अब कुछ जिलों तक ही सीमित रह गया है।
उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़ा वर्ग जो विकास के लाभ से सबसे अधिक वंचित था। अब जब मूल सुविधाएं इस वर्ग तक पहुंच रही हैं, तब इन वर्गों लोग नये सपने देखने में सक्षम हो पा रहे हैं। अनुसूचित जाति के सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण के लिए डॉक्टर आंबेडकर उत्सव धाम, अमृत जलधारा और युवा उद्यमी योजना जैसे कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि आदिवासी गौरव के लिए तो सरकार ने अभूतपूर्व फैसले किए हैं। पहली बार देश ने भगवान बिरसा मुंडा के जन्म दिवस को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाना शुरू किया गया। हाल में ही मानगढ़ धाम में सरकार ने आदिवासी क्रांतिवीरों को पहली बार राष्ट्रीय स्तर पर श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि आज 36 हज़ार से अधिक आदिवासी बहुल गांवों को प्रधानमंत्री आदि आदर्श ग्राम योजना के तहत विकसित किया जा रहा है। देश में 400 से अधिक एकलव्य मॉडल स्कूल आदिवासी क्षेत्रों में खुल चुके हैं। देशभर में तीन हज़ार से अधिक वनधन विकास केंद्र आजीविका के नये साधन बने हैं।
श्रीमती मुर्मू ने कहा कि सरकार ने राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देकर अन्य पिछड़ा वर्ग के कल्याण के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को स्पष्ट किया है। बंजारा, घुमंतू, अर्द्ध-घुमंतू समुदायों के लिए भी पहली बार कल्याण एवं वेल्फेयर एंड डेवलपमेंट बोर्ड का गठन किया गया है।
राष्ट्रपति ने कहा कि देश में 100 से अधिक जिले ऐसे थे जो विकास के अनेक पैमानों में पीछे रह गए थे। सरकार ने इन जिलों को आकांक्षी जिला घोषित कर, इनके विकास पर ध्यान दिया। आज ये जिले देश के दूसरे जिलों से बराबरी की ओर बढ़ रहे हैं। आकांक्षी जिलों की सफलता को अब सरकार विकासखंड स्तर पर दोहराने के लिए काम कर रही है और इसके लिए देश में 500 विकासखंडों को आकांक्षी विकासखंड के रूप में विकसित करने का कार्य शुरू किया गया है। ये आकांक्षी विकासखंड, सामाजिक न्याय की एक संस्थागत व्यवस्था के तौर पर विकसित किए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि देश के जनजातीय क्षेत्रों, पहाड़ी क्षेत्रों, समुद्री क्षेत्रों और सीमावर्ती क्षेत्रों को भी बीते दशकों में विकास का सीमित लाभ ही मिल पाया था। पूर्वोत्तर और जम्मू-कश्मीर में तो दुर्गम परिस्थितियों के साथ-साथ अशांति और आतंकवाद भी विकास के सामने बहुत बड़ी चुनौती थी। सरकार ने स्थाई शांति के लिए भी अनेक सफल कदम उठाए हैं और भौगोलिक चुनौतियों को भी चुनौती दी है। इसी के परिणामस्वरूप पूर्वोत्तर और हमारे सीमावर्ती क्षेत्र, विकास की एक नई गति का अनुभव कर रहे हैं।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…