गैस क्षेत्रों में निवेश बढ़ाने के लिए विपणन, मूल्य निर्धारण में स्वतंत्रता जरुरी : रिलायंस…
नई दिल्ली,। समुद्र तल से कई सौ मीटर नीचे प्राकृतिक गैस की खोज और उत्पादन पर आने वाली लागत बाजार पर निर्भर करती है लिहाजा मूल्य निर्धारित करने और विपणन से जुड़ी स्वतंत्रता अरबों डॉलर के निवेश को सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है। गैस उत्पादकों ने गैस कीमतों की समीक्षा करने वाले पैनल के समक्ष यह मांग रखी है।
रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के अन्वेषण और उत्पादन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष संजय रॉय ने 21 अक्टूबर को वित्तीय परिणामों की घोषणा के बाद निवेशकों के साथ चर्चा में कहा कि गैस उत्पादकों का प्रतिनिधित्व इस सरकार-नामित पैनल में एसोसिएशन ऑफ ऑयल एंड गैस ऑपरेटर्स (एओजीओ) द्वारा किया जा रहा है। इसकी रिपोर्ट अगले कुछ हफ्तों में आने की उम्मीद है।
उन्होंने कहा, ‘गैस उत्पादकों का कहना है कि नीतियों और अनुबंधों के अनुसार विपणन और मूल्य निर्धारण की स्वतंत्रता दी जानी चाहिए। बढ़ी हुई कीमतों का मुकाबला उत्पादन में वृद्धि है, जैसा कि हमने केजी-डी6 के मामले में देखा है। इन निवेशों को उन सीमांत क्षेत्रों में करना होगा जहां ऐसे निवेशों की अधिक संभावना प्रतीत होती है।’
रिलायंस और ब्रिटेन की उसकी सहयोगी बीपी पीएलसी बंगाल की खाड़ी ब्लॉक केजी-डी6 में नए और गहरे क्षेत्रों में लगभग पांच अरब डॉलर का निवेश कर रही है। यह अब प्रति दिन 1.9 करोड़ मानक घन मीटर गैस का उत्पादन कर रहे हैं जो देश के कुल गैस उत्पादन का 20 प्रतिशत है।
भारत का लक्ष्य 2030 तक कुल ऊर्जा मिश्रण में प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी को 6.7 प्रतिशत के मौजूदा स्तर से बढ़ाकर 15 प्रतिशत तक ले जाना है। लेकिन भारत के ऊर्जा मिश्रण में गैस की हिस्सेदारी बढ़ने के बजाय घटती जा रही है। उद्योग के अनुमानों के अनुसार, खपत की गई ऊर्जा में गैस का अंशदान सिर्फ 10 प्रतिशत ही होगा, भले ही वर्तमान प्राकृतिक गैस का उत्पादन नौ करोड़ घन मीटर प्रति दिन का दोगुना हो जाए। वहीं, आयात को सभी जरूरतों के 50 प्रतिशत के मौजूदा स्तर तक सीमित करने के लिए गैस घरेलू उत्पादन को तीन गुना बढ़ाकर लगभग 29 करोड़ मानक घन मीटर प्रति दिन करने की जरूरत है।
हिन्द वतन समाचार” की रिपोर्ट…