मिशन मंगल के दरवाजे खोलेगा नासा का आर्टेमिस!

मिशन मंगल के दरवाजे खोलेगा नासा का आर्टेमिस!

 

वॉशिंगटन, 29 अगस्त । इंसान करीब 50 साल बाद चंद्रमा पर वापसी करने जा रहा है और अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने इसकी पूरी तैयारी कर ली है। पहली बार एक महिला इस क्रू का हिस्सा बनकर चंद्रमा पर कदम रखने वाली पहली महिला बनेगी। इस दिशा में पहला और सबसे अहम कदम सोमवार को उठाया जा रहा है जब आर्टेमिस 1 को स्पेस के लिए रवाना किया जा रहा है। नासा के इस मून मिशन का नाम ‘आर्टेमिस’ है जिसका पहला हिस्सा 29 अगस्त को लॉन्च होगा। आर्टेमिस 1 नए स्पेस लॉन्च सिस्टम मेगारॉकेट और ऑरियन क्रू कैप्सूल की पहली टेस्ट फ्लाइट होगी। एसएलएस रॉकेट करीब 42 दिनों के मिशन पर बिना चालक दल वाले ऑरियन स्पेसक्राफ्ट को लॉन्च करेगा।

नासा के लिए बेहद अहम है आर्टेमिस 1

यह अपने मिशन के दौरान चंद्रमा की परिक्रमा करेगा और फिर पृथ्वी पर लौट आएगा। आर्टेमिस-1 को 29 अगस्त को भारतीय समयानुसार शाम 6:03 बजे लॉन्च किया जाएगा। यह स्पेसक्राफ्ट चंद्रमा तक जाएगा, कुछ छोटे उपग्रहों को कक्षा में छोड़ेगा और खुद कक्षा में स्थापित हो जाएगा। यह मिशन नासा के लिए बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके तहत नासा स्पेसक्राफ्ट को ऑपरेट करने की ट्रेनिंग हासिल करेगी, चंद्रमा के आसपास हालात की जांच करेगी जिसका अनुभव अंतरिक्ष यात्रियों करेंगे और अंतरिक्ष यात्रियों की पृथ्वी पर सुरक्षित वापसी को सुनिश्चित करेगी।

खुलेंगे मिशन मंगल के दरवाजे

आर्टेमिस नासा के 50 साल पुराने अपोलो मिशन से बेहद अलग है। स्पष्ट है कि अपोलो मिशन ‘अंतरिक्ष की खोज’ से ज्यादा सोवियत संघ को मात देने के लिए अस्तित्व में आया था। आर्टेमिस के विपरीत अपोलो का मकसद चंद्रमा पर पानी की खोज या स्थायी बेस के लिए जांच करना नहीं था। बल्कि मिशन सिर्फ अमेरिका को स्पेस की रेस में अव्वल लाने के लिए लॉन्च किया गया था। लेकिन 50 साल बाद अब चीजें काफी बदल चुकी हैं। अब वैज्ञानिकों के उद्देश्य अलग हैं इसीलिए उनकी चुनौतियां भी अलग हैं। अब अमेरिका रूस या चीन को पीछे छोड़ने के लिए नहीं बल्कि पृथ्वी के बाहर स्थायी रिसर्च शुरू करने के लिए एक बेस बनाना चाहता है। यह बेस एक दूरगामी मिशन के लिए दरवाजे खोल सकता है जिसके तहत एक दिन इंसान मंगल ग्रह पर भी कदम रख सकता है।

हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…