जवाहिरी के मारे जाने के बाद सबकी निगाहें तालिबान की ओर…

जवाहिरी के मारे जाने के बाद सबकी निगाहें तालिबान की ओर…

इस्लामाबाद,। अफगानिस्तान के काबुल में एक मकान पर अमेरिकी ड्रोन हमले में अल कायदा के सरगना अयमान अल जवाहिरी के मारे जाने के बाद अफगानिस्तान के तालिबानी शासकों पर अंतरराष्ट्रीय निगरानी तेज हो गई है । साथ ही इस घटना से अंतरराष्ट्रीय मान्यता और मदद मिलने के तालिबानी सरकार के प्रयासों पर भी असर पड़ेगा।

तालिबान ने अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की पूर्ण वापसी के संबंध में 2020 में हुए दोहा समझौते में यह वादा किया था कि वह अलकायदा के आतंकवादियों को पनाह नहीं देगा।

अमेरिकी सैनिकों के अफगानिस्तान से जाने के करीब एक वर्ष बाद अल जवाहिरी के मारे जाने ने 9/11 के एक मास्टरमाइंड और अमेरिका के वांछित आतंकवादी को सुरक्षित पनाहगाह मुहैया कराने में तालिबानी नेताओं की संलिप्तता के संबंध में सवाल पैदा किए हैं।

काबुल के शिरपुर इलाके में स्थित जिस मकान में अल जवाहिरी मारा गया है, उसके करीब ही तालिबान के कई नेता रहते हैं। वे पश्चिमी देशों द्वारा समर्थित सरकार के पतन के बाद पदाधिकारियों द्वारा खाली किए गए इन मकानों में रह रहे हैं।

तालिबान ने शुरूआत में इस हमले को अमेरिका की ओर से दोहा समझौते का उल्लंघन करने वाला दिखाने की कोशिश की। समझौते में यह भी कहा गया है कि अमेरिका पर हमले की मंशा रखने वाले को तालिबान शरण नहीं देगा, जो अल जवाहिरी इंटरनेट वीडियो आदि से जाहिर करता था। तालिबान ने अभी इस बारे में कुछ नहीं कहा है कि कौन मारा गया है।

इस बीच, कयास लग रहे हैं कि तालिबान के भीतर भी रस्साकशी चल रही है। खासतौर पर हक्कानी नेटवर्क जिसने संभवत: अल जवाहिरी को शरण दी और अन्य तालिबान गुटों के बीच।

पाकिस्तान के एक खुफिया अधिकारी ने कहा, ‘‘अयमान अल जवाहिरी के मारे जाने ने कई प्रश्न पैदा किए हैं। तालिबान को उसके काबुल में होने के बारे में पता था और अगर उन्हें इसकी जानकारी नहीं थी तो उन्हें अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।’’

गौरतलब है कि वर्ष 2011 में अमेरिकी नौसना के सील कमांडों द्वारा की गई कार्रवाई में अलकायदा सरगना ओसामा बिन लादेन के मारे जाने के बाद अल जवाहिरी ने आतंकवादी संगठन का नेतृत्व संभाला था।

अमेरिका के शीर्ष खुफिया अधिकारी के मुताबिक अल जवाहिरी जिस घर में रह रहा था वह वरिष्ठ तालिबानी नेता सिराजुद्दीन हक्कानी का है।

तालिबान के अधिकारियों ने काबुल में मौजूद एसोसिएटेड प्रेस (एपी) के पत्रकारों को मंगलवार को उस क्षतिग्रस्त घर तक जाने से रोक दिया जिसपर हुए हमले में अल जवाहिरी मारा गया है।

आतंकवादी समूहों पर नजर रखने वाले निगरानीकर्ताओं ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को जुलाई में सूचित किया था कि तालिबान शासन में अलकायदा को अधिक स्वतंत्रता मिली है, लेकिन उनकी भूमिका देश के नए शासकों को सलाह देने और समर्थन करने तक सीमित है।

निगरानीकर्ताओं ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि अलकायदा लड़ाकों के दो समूह जिनमें 180 से 400 के करीब अनुमानित आतंकवादी हैं, अलग हैसियत से तालिबान के लड़ाकों की इकाइयों में प्रतिनिधित्व करते हैं।

गौरतलब है कि वर्ष 2022 की पहली छमाही में अल जवाहिरी वीडियो और ऑडियो संदेश से अपने समर्थकों तक पहुंच बनाने में सक्रिय रहा। उसने उन्हें आश्वासन दिया कि अलकायदा प्रतिद्वंद्वी इस्लामिक स्टेट से वैश्विक (आतंकवादी)आंदोलन का नेतृत्व प्राप्त करने के लिए मुकाबला कर सकता है।

‘हक्कानी नेटवर्क’ का गठन जलालुद्दीन हक्कानी ने किया था, यह एक आतंकवादी संगठन है। सोवियत सेना के खिलाफ युद्ध के दौरान जलालुद्दीन हक्कानी अफगानिस्तान के एक विद्रोही कमांडर के रूप में उभरा था।

सिराजुद्दीन हक्कानी वर्ष 2016 से ही तालिबान के उपनेता के तौर पर काम कर रहा है। पिछले साल अगस्त में उसे तालिबानी सरकार में गृहमंत्री बनाया गया। अमेरिका ने उसके सिर पर एक करोड़ डॉलर का इनाम घोषित किया है।

हालांकि, हक्कानी पूर्वी अफगानिस्तान के खोस्त प्रांत में अन्य तालिबानी नेताओं से असहमत है। खासतौर पर दक्षिणी प्रांतों हेलमंद और कंधार में। कुछ जानकारों का मानना है कि सिराजुद्दीन हक्कानी और ताकत चाहता है। वहीं, तालिबान के नेता, हक्कानी द्वारा काबुल एवं अन्य स्थानों के असैन्य ठिकानों के खिलाफ हिंसक कार्रवाई का विरोध कर रहे हैं।

अमेरिका के विदेश मंत्री ने अफगानिस्तान की तालिबान सरकार पर ‘‘काबुल में अल कायदा प्रमुख को रखने और सुरक्षा देकर’’ अंतरराष्ट्रीय समुदाय से की गई प्रतिबद्धताओं का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है।

वहीं तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने अमेरिका पर दोहा समझौते का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है।

अफगानिस्तान के सरकारी टेलीविजन चैनल में एक खबर में कहा गया कि अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा कि अल जवाहिरी मारा गया है।

गौरतलब है कि अमेरिका पर 9/11 को हुए हमलों की साजिश अल-ज़वाहिरी और ओसामा बिन-लादेन ने मिलकर रची थी। ओसामा बिन-लादेन को अमेरिका ने 2011 में पाकिस्तान के एबटाबाद में एक अभियान में मार गिराया था। ज़वाहिरी अमेरिकी कार्रवाई में ओसामा बिन-लादेन के मारे जाने के बाद अल-कायदा का सरगना बना था।

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने सोमवार को घोषणा की कि केंद्रीय खुफिया एजेंसी (सीआईए) द्वारा काबुल में शनिवार शाम किए गए ड्रोन हमले में ज़वाहिरी मारा गया। जवाहिरी काबुल स्थित एक मकान में अपने परिवार के साथ छिपा था।

हिन्द वतन समाचार” की रिपोर्ट…