नेपाल ने तरेरी आंखें: लिपुलेख, लिम्पियाधुरा और कालापानी को बताया अपना…
काठमांडू, 17 जनवरी। भारतीय राज्य उत्तराखंड के लिपुलेख में सड़क चौड़ीकरण के मसले पर अब नेपाल सरकार ने आंखें तरेरी हैं। नेपाल के सूचना एवं प्रसारण मंत्री ज्ञानेंद्र बहादुर कार्की ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा के अनुरूप लिपुलेख में सड़क चौड़ीकरण पर विरोध दर्ज कराया है।
कार्की ने कहा है कि काली नदी का पूर्वी इलाका लिपुलेख, लिम्पियाधुरा और कालापानी नेपाल के अभिन्न हिस्से हैं और उस इलाके में भारत को किसी तरह का निर्माण नहीं करना चाहिए। नेपाल के मंत्री ने कहा कि दोनों देशों के बीच सीमा विवाद का हल ऐतिहासिक दस्तावेजों, नक्शों व साक्ष्यों के आधार पर दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संंबंधों की भावना को ध्यान में रखकर किया जाना चाहिए।
नेपाल पहले भी लिपुलेख, लिम्पियाधुरा और कालापानी को लेकर भारत के साथ तनाव की स्थिति बना चुका है। वर्ष 2020 में नेपाल द्वारा जारी नए राजनीतिक नक्शे में इन इलाकों को नेपाल का हिस्सा दिखाए जाने पर भी विवाद हुआ था। दरअसल, लिपुलेख से होकर ही तिब्बत स्थित मानसरोवर जाने का रास्ता है। भारत ने लिपुलेख इलाके में सीमा पर सड़क निर्माण किया था, तब भी नेपाल ने इस सड़क निर्माण पर विरोध दर्ज कराया था। पिछले महीने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लिपुलेख की इस सड़क के चौड़ीकरण की घोषणा की थी। इस फैसले पर नेपाल की ओर से सरकार ने आधिकारिक रूप से तो कोई विरोध नहीं दर्ज कराया किन्तु सत्तारूढ़ नेपाली कांग्रेस की ओर से विरोध के स्वर उठे थे। अब नेपाल के सूचना मंत्री द्वारा इस मसले का विरोध किये जाने से मामला फिर गर्मा गया है।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…