गूगल ने जलवायु परिवर्तन पर वैज्ञानिक आम सहमति का खंडन करने वाले विज्ञापनों पर रोक लगाई
नई दिल्ली। गूगल ने शुक्रवार को अपने विज्ञापनदाताओं, प्रकाशकों और यूट्यूब क्रिएटर्स के लिए एक नई मुद्रीकरण नीति की घोषणा की जो जलवायु परिवर्तन के अस्तित्व और कारणों के बारे में आम सहमति का खंडन करने वाले विज्ञापनों को प्रतिबंधित करेगी। गूगल ने कहा कि हाल के वर्षों में, उसे अपने विज्ञापन और प्रकाशक भागीदारों से इस मुद्दे पर शिकायतें मिली हैं जिन्होंने जलवायु परिवर्तन के बारे में गलत दावों के साथ चलने वाले या गलत दावों को प्रचारित करने वाले विज्ञापनों के बारे में चिंता व्यक्त की है। इस संबंध में गूगल ने एक ब्लॉगपोस्ट में कहा कि विज्ञापनदाता नहीं चाहते कि उनके विज्ञापन इस सामग्री के बगल
में दिखाई दें, और प्रकाशक तथा क्रिएटर्स नहीं चाहते कि इन दावों को बढ़ावा देने वाले विज्ञापन उनके पेज या वीडियो पर दिखाई दें। इसने कहा, ‘‘इसीलिए आज, हम गूगल विज्ञापनदाताओं, प्रकाशकों और यूट्यूब क्रिएटर्स के लिए एक नई मुद्रीकरण नीति की घोषणा कर रहे हैं, जो ऐसी सामग्री के विज्ञापनों और मुद्रीकरण को प्रतिबंधित करेगी जो जलवायु परिवर्तन के अस्तित्व एवं कारणों के बारे में अच्छी तरह से स्थापित वैज्ञानिक आम सहमति का खंडन करती है। हम अगले महीने इस नीति को लागू
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करना शुरू कर देंगे। गूगल ने कहा कि इस नई नीति के खिलाफ सामग्री का मूल्यांकन करते समय, वह उस संदर्भ को ध्यान से देखेगा जिसमें संबंधित दावे किए जाते हैं। इसने कहा, हम अन्य जलवायु संबंधी विषयों पर विज्ञापनों और मुद्रीकरण की अनुमति देना जारी रखेंगे, जिसमें जलवायु नीति पर सार्वजनिक बहस, जलवायु परिवर्तन के अलग-अलग प्रभाव, नए अनुसंधान और बहुत कुछ शामिल हैं। गूगल ने कहा कि उसने जलवायु विज्ञान के विषय पर ‘‘आधिकारिक स्रोतों’’ से परामर्श किया है, जिसमें वे
विशेषज्ञ भी शामिल हैं जिन्होंने इस नीति और इसके मानकों को बनाने में जलवायु परिवर्तन आकलन रिपोर्ट पर संयुक्त राष्ट्र अंतर सरकारी पैनल में योगदान दिया है। अमेरिका स्थित कंपनी ने कहा कि नई नीति न केवल उसके विज्ञापन पारिस्थितिकी तंत्र की प्रामाणिकता को मजबूत करने में मदद करेगी, बल्कि इसने ‘‘पिछले दो दशकों में एक कंपनी के रूप में हमारे द्वारा स्थिरता को बढ़ावा देने और जलवायु परिवर्तन का सामना करने के लिए किए गए कार्यों को भी दृढ़ता से रेखांकित किया है।
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