“हिमालय रक्षक” पद्मविभूषण सुंदरलाल बहुगुणा हार गए कोरोना की जंग…
अब यादें शेष: पेड़ बचाने के लिए जीवन भर रहे संघर्षरत 👆
विश्व प्रसिद्ध पर्यावरणविद का ऋषिकेश के एम्स में हुआ निधन…
चिपको आंदोलन के नेता के निधन से शोक की लहर…
लखनऊ/देहरादून। विश्व प्रसिद्ध पर्यावरणविद और चिपको आंदोलन नेता “हिमालय रक्षक” सुंदरलाल बहुगुणा नहीं रहे। ऋषिकेश एम्स में भर्ती 94 वर्षीय सुंदरलाल बहुगुणा का आज कोरोना से निधन हो गया। उनके परिवार में पत्नी विमला, दो पुत्र और एक पुत्री है। कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद आठ मई को उन्हे एम्स में भर्ती कराया गया था। ऑक्सीजन स्तर कम होने के कारण उनकी स्थिति गंभीर बनी हुई थी, चिकित्सकों की पूरी कोशिश के बाद भी उन्हे बचाया नहीं जा सका।
नौ जनवरी 1927 को टिहरी जिले में जन्मे बहुगुणा को चिपको आंदोलन का प्रणेता माना जाता है। उन्होने सत्तर के दशक में गौरा देवी तथा कई अन्य लोगों के साथ मिलकर जंगल बचाने के लिए चिपको आंदोलन की शुरूआत की थी।पद्मविभूषण तथा कई अन्य पुरस्कारों से सम्मानित बहुगुणा ने टिहरी बांध निर्माण का बढ़-चढ़ कर विरोध किया और 84 दिन लंबा अनशन भी रखा था, एक बार उन्होंने विरोध स्वरूप अपना सिर भी मुंडवा लिया था। टिहरी बांध के निर्माण के आखिरी चरण तक उनका विरोध जारी रहा, उनका अपना घर भी टिहरी बांध के जलाशय में डूब गया।
टिहरी राजशाही का भी उन्होने कड़ा विरोध किया जिसके लिए उन्हे जेल भी जाना पड़ा था। वह हिमालय में होटलों के बनने और लक्जरी टूरिज्म के भी मुखर विरोधी थे। महात्मा गांधी के अनुयायी रहे बहुगुणा ने हिमालय और पर्यावरण संरक्षण को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए कई बार पद यात्राएं कीं। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने विश्व प्रसिद्ध पर्यावरणविद् और पद्मविभूषण सुंदरलाल बहुगुणा के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। (21 मई 2021)
विशेष संवाददाता विजय आनंद वर्मा की रिपोर्ट, , ,