भारत में कोयला बिजली संयंत्रों की जगह यदि स्वच्छ और नवीकरणीय ऊर्जा का इस्तेमाल किया जाए तो हर साल 1.1 करोड़ लोगों की जिंदगी बचाई जा सकती है। अमेरिका में हार्वर्ड विश्वविद्यालय की ओर से किए गए अध्ययन में यह निष्कर्ष सामने आया है।
अध्ययन के मुताबिक, भारत व चीन के 270 करोड़ लोग यानी दुनिया की एक तिहाई से अधिक जनसंख्या नियमित रूप से सबसे गंदी हवाओं को सांस के रूप में लेने को मजबूर है। दोनों देशों में होने वाली मौतों के लिए वायु प्रदूषण का योगदान सबसे अधिक है। वायु प्रदूषण से मरने वालों में चीन चौथे जबकि भारत पांचवें स्थान पर है। और वायु प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण इन देशों में बिजली पैदा करने के लिए इस्तेमाल होने वाले कोयला बिजली संयंत्र हैं।
जर्नल इंवायरमेंट इंटरनेशनल नामक पत्रिका में प्रकाशित इस अध्ययन के मुताबिक, यदि कोयला बिजली संयंत्रों की जगह ये देश स्वच्छ व नवीकरणीय ऊर्जा का इस्तेमाल करते हैं तो चीन में हर साल 1.5 करोड़ जबकि भारत में 1.1 करोड़ लोगों की जिंदगी बचाई जा सकेगी।