आंखों पर ना चढ़ाएं फैशन का चश्मा…

आंखों पर ना चढ़ाएं फैशन का चश्मा…

 

आंखों की रोशनी धूमिल होने या किसी अन्य प्रकार की समस्या होने पर विशेषज्ञ चश्मा या लेंस लगाने की सलाह देते हैं। कई लोगों को तेज धूप की वजह से भी आंखों से जुड़ी परेशानियां हो सकती हैं, ऐसे में अच्छी गुणवत्ता वाले सनग्लासेस लगाने की जरूरत होती है। लेकिन कई बार ऐसा होता है कि लोग फैशन में भी यह फिर आंखों की सुंदरता बढ़ाने के लिए भी तरह-तरह के लेंसेस या फिर कोई भी सनग्लास आंखों पर लगा लेते हैं। इससे फैशनेबल दिखने का उद्देश्य तो पूरा हो जाता है लेकिन आंखों की सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

 

डेकोरेटिव लेंसेस होते हैं खतरनाक…

 

आंखों के कलर को बदलने के लिए कॉस्मैटिक उद्देश्य से लगाए जाने वाले लेंसेस आंखों के लिए नुकसादायक होते हैं। इन्हें नियमित रूप से लगाने से आंखें स्थाई रूप से क्षतिग्रस्त हो सकती हैं।

 

इन्फेक्शन: कॉन्टैक्ट लेंस लगाने से सबसे सामान्य प्रकार का इन्फेक्शन कैराटिटिस कहलाता है। लेंसेस को बिना साफ किए लगातार लगाए रहने से भी इन्फेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। किसी और का कॉन्टैक्ट लेंस लगाने या किसी और को अपना कॉन्टैक्ट लेंस लगाने देने से आई इन्फेक्शन की समस्या को बढ़ावा मिलता है। कॉर्नियल इन्फेक्शन वायरल, बैक्टीरियल या पैरासिटिक हो सकता है। स्वीमिंग करने के दौरान कलर्ड कॉन्टैक्ट लेंस पहनने से या उसे धोने से भी आंखों का इन्फेक्शन हो सकता है।

 

ये होते हैं लक्षण: आंखों के इन्फेक्शन के प्रमुख लक्षणों में आंखों का लाल होना, लगातार आंसू बहना, धुंधलापन, रोशनी के प्रति संवेदनशीलता। कैराटिटिस की परेशानी बढ़ने पर इन्फेक्शन की गंभीर समस्या हो सकती है। इसलिए जितनी जल्दी हो सके लक्षणों के लिए अपने डॉक्टर से मिलें।

 

कॉर्नियल अल्सर: यदि कॉर्नियल इन्फेक्शन को बिना इलाज के छोड़ दिया जाए तो अल्सर की समस्या हो सकती है, जो कि कॉर्निया में अत्यधिक सूजन पैदा कर सकता है।

 

खो जाती है आंखों की रोशनी: कलरफुल कॉन्टैक्ट लेंसेस के कारण आंखों की रोशनी प्रभावित हो सकती है या अंधापन भी हो सकता है। कॉर्नियल अल्सर के कारण होने वाली क्षति आंखों को स्थाई रूप से खराब कर सकती है। यदि इन्फेक्शन को बढ़ने के लिए छोड़ दिया जाए तो अल्सर के कारण आंखों के कई हिस्सों में छेद जैसे बन जाते हैं।

 

सस्ते चश्मे आंखों के दुश्मन…

 

गर्मी के दिनों में या फिर धूप की तेज किरणों से बचने के लिए सनग्लासेस लगाते हैं लेकिन उसकी क्वालिटी से समझौता कर लेते हैं। सड़क किनारे मिलने वाले या खराब क्वालिटी वाले सनग्लासेस लगाने से आंखों से जुड़े कई सारे इन्फेक्शन और रिफ्रेक्टिव एरर हो जाती है। इस प्रकार के सनग्लासेस लगाने से आंखों में खुजली, पानी निकलना, धुंधलापन, सिरदर्द जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

 

विशेषज्ञों का कहना है कि प्लास्टिक लेंस वाले विभिन्न रिफ्रेक्टिव इंडेक्स वाले, असमान ग्लास कलर वाले सनग्लासेस जो सस्ते कीमतों पर उपलब्ध होते है, इन्हें लगातार पहने रहने से आंखों से जुड़ी कई सारी परेशानियां और मायोपिया की समस्या हो सकती है। इस प्रकार के चश्मे आमतौर पर ग्लास या फाइबर से बने होते हैं, खराब क्वालिटी के सनग्लासेस से रंगों को ना पहचान पाने की परेशानी पैदा हो सकती है।

हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…