ठीक हो जायेगा मिट्ठू…

ठीक हो जायेगा मिट्ठू…

-मनोहर चमोली मनु-

जसवंत ने शिकायत की, मैम, इयारा ने मेरी कॉपी खराब कर दी। इयारा, स्टेण्ड अप। क्या किया तुमने? अनीता मैडम ने पूछा। तभी इयारा खड़ी हो गई। सनजीत भी बोला, मैम, इयारा अपने मुंह का च्विंगम खींच, खींच कर धागा बनाती है और उसे स्टूल, डैस्क में चिपका देती है। मैम ने कहा, तुम दोनों को कुछ और काम नहीं है! चलो अभी के अभी मेरी चेयर, टेबिल और इस क्लास के सभी बैंच, स्टूल साफ करो। बाकी बच्चों तुम सब बुक्स निकालो। यह कहकर अनीता मैडम पढ़ाने में व्यस्त हो गई।

नई मैडम नीता चावला का पहला दिन था। इयारा और दीया ने नीता चावला की कुर्सी में चबाया हुआ च्विंगम रख दिया। वह आई और चुपचाप कुर्सी में बैठकर हाजिरी लेने लगी। चावला मैडम ने जैसे ही इयारा का नाम पुकारा वह खड़ी होकर हंसने लगी।

नीता चावला ने पूछा, क्या हुआ? अटेंडेंस देने की बजाय तुम हंस रही हो? कुलबिन्दर कौर उठी। वह बोली, मैम, इन दोनों ने जरूर कोई गड़बड़ की है। इतना सुनते ही नीता चावला खड़ी हो गई। वह स्टूडेंट्स की ओर घूमी तो कुलबिंदर चिल्लाई, हा मैम, आपकी साड़ी में एक नहीं दो जगह च्विंगम चिपका हुआ है। ये इन दोनों ने ही रखा होगा। मैडम ने हाजिरी रजिस्टर बंद किया और सीधे प्रिंसिपल ऑफिस की ओर चली गई। दीया और इयारा के पेरेंट्स  स्कूल में बुलाए गए।

इयारा की अम्मी बोली, इसे दीया ही च्विंगम खरीद कर देती है। इयारा ने घर में कई चादरें और रजाई खराब कर दी हैं। दीया के पिता धीरे से बोले, च्विंगम की लगातार आ रही शिकायतों के चलते मैं दीया के दो स्कूल बदल चुका हूं। प्रिंसिपल बोली, स्कूल बदलने से यह समस्या हल नहीं होगी। बच्चों को मारने, पीटने से उनकी यह आदत नहीं छूटेगी। बस उन दोनों का मन बदलना है। फिर भी आप ध्यान रखिए।

स्कूल में गर्मियों की छुट्टियां पड़ गई थीं। दीया के घर उसकी नानी आई हुई थी। दीया नानी के साथ ननिहाल चली आई। दीया किसी को बिना बताए अपने बैग में ढेर सारे च्विंगम साथ ले आई थी। गांव की मस्ती और खेलकूद में वह च्विंगम खाना ही भूल गई। गांव में उसके कई दोस्त बन गए थे। जुबैदा, शाईन, हरमिन्दर, आनंदा। एक सुबह जुबैदा ने दीया की नानी से कहा, मेरी अम्मी और अब्बू शहर गए हैं। मैं घर पर अकेली हूं। दीया को मेरे साथ भेज दीजिए। दीया की नानी ने कहा, ठीक है। लेकिन दिन में तुम दोनों खाना खाने आ जाना।

आओ जुबैदा, वेलकम। जुबैदा ने जैसे ही घर में कदम रखा, भीतर से आवाज आई तो दीया ने चैंकते हुए पूछा, घर में कौन है?

ओह! ये तो हमारा मिट्ठू है। ऊपर देखो।

दीया ने छत की ओर देखा तो उसे वहां एक पिंजरा नजर आया। पिंजरे में तोता था। ये तोता तो बोलता है! ये कितना प्यारा है। इसकी चोंच कितनी प्यारी है! ये क्या, क्या खाता है? दीया ने चैंकते हुए पूछा। जुबैदा ने बताया, हम जो भी खाते हैं, इसे भी देते हैं। मिट्ठू वन से लेकर हंड्रेड तक काउंट भी कर लेता है। दीया ने कहा, मैं अभी एक मिनट में आती हूं। यह कहकर दीया चली गई। दीया दौड़ती हुई वापिस आई। वह हांफते हुए बोली, मैं मिट्ठू को ऐसी चीज खिलाना चाहती हूं, जो इसने नहीं खाई होगी। यह कहकर उसने तीन, चार च्विंगम की गोलियां पिंजरे में डाल दी। कुछ च्विंगम उसने जुबैदा को देते हुए कहा, इसे च्विंगम कहते हैं। च्विंगम से दांतों की कसरत भी हो जाती है। और हां, इसे टॉफी या चॉकलेट की तरह चबाकर खाते नहीं है। बस चबाते रहते हैं।

अभी वे दोनों च्विंगम के बारे में बात कर ही रहे थे कि पिंजरे के अंदर तोता पंखों को बेहद तीव्रता के साथ फड़फड़ाने लगा। दीया ने पूछा, इसे अचानक क्या हुआ? ये क्यों चिल्लाया? जुबैदा बोली, पता नहीं। मिट्ठू ने पहले तो ऐसा कभी नहीं किया। अब उसने चिल्लाना बंद कर दिया था।

सुबह हुई तो दीया फिर जुबैदा के घर चली आई। वह सीधे पिंजरे के पास गई तो उसने देखा तोता निढाल पड़ा है। पिंजरे के पास ही जुबैदा के अम्मी, अब्बू चुपचाप खड़े हैं। दीया ने पूछा, आंटी, मिट्ठू को क्या हुआ? जुबैदा कहां है? जुबैदा के अब्बू बोले, जुबैदा घर के पीछे वाली कोठरी में बैठी है। उसने कल शाम से कुछ भी नहीं खाया है। यहां तक की पानी भी नहीं पिया है।

मगर क्यों?

क्योंकि उसके मिट्ठू ने भी कल शाम से न कुछ खाया है और न ही पिया है।

क्यों? मिट्ठू को क्या हुआ?

जुबैदा की अम्मी ने धीरे से कहा, दीया, तुम्हारे च्विंगम की वजह से ऐसा हुआ है।

च्विंगम की वजह से?

जुबैदा के अब्बू बोले, च्विंगम चिपचिपा होता है। वह मिट्ठू की चोंच और जीभ में गोंद की तरह चिपक गया है। शायद गले में भी। कल शाम से हमने इसकी आवाज भी नहीं सुनी है। अब यदि यह कुछ खाएगा, पीएगा नहीं तो मर ही जाएगा। यह सब सुनकर दीया सन्न रह गई। वह दौड़कर जुबैदा के पास जा पहुंची। जुबैदा को रोते देख दीया भी रोने लगी। वह जुबैदा से बोली, सॉरी जुबैदा। मुझे नहीं पता था कि च्विंगम से मिट्ठू की यह हालत हो जाएगी। पता नहीं अब क्या होगा? जुबैदा बोली, अब मिट्ठू का बचना मुश्किल है। यह कहकर वह रोने लगी।

दीया सुबकते हुए बोली, जुबैदा। मिट्ठू की जो हालत हुई है वह मेरी वजह से हुई है। हम च्विंगम खाकर उसे यहां-वहां फेंकते रहे हैं। न जाने कितने पक्षी फेंके हुए च्विंगम को खाकर तुम्हारे मिट्ठू की तरह परेशान हुए होंगे। मुझे पता नहीं था कि यह च्विंगम इतना हार्मफुल है। इतना कहकर दीया जुबैदा से चिपक गई।

क्या मिट्ठू ठीक हो जाएगा? दीया और जुबैदा शायद यही सोच रहे थे।

हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट …