*कांग्रेस के वरिष्ठ नेता/यूपी के पूर्व राज्यपाल मोतीलाल वोरा का निधन…..*
*पत्रकार से नेता बने वोरा जी मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री भी रहे*
*एक दिन पूर्व ही अपना 93वां जन्मदिन मनाया था*
*यादगार पल: “हिंद वतन” संवाददाता विजय आनंद वर्मा वोरा जी के साथ (फाइल फोटो)*👆
*लखनऊ/नई दिल्ली।* कांग्रेस के वरिष्ठ नेता यूपी के पूर्व राज्यपाल एवं मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मोतीलाल वोरा का सोमवार को दिल्ली के फोर्टिस अस्पताल में निधन हो गया, उन्होने 93 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। केंद्रीय मंत्री रहे मोतीलाल वोरा लंबे समय से बीमार चल रहे थे, उनका दिल्ली के फोर्टिस हॉस्पिटल में इलाज चल रहा था। एक दिन पूर्व रविवार को ही उन्होने अपना जन्मदिन मनाया था। उनके निधन से कांग्रेस में शोक की लहर दौड़ गई है।
मोतीलाल वोरा का जन्म 20 दिसंबर 1928 को राजस्थान के नागौर जिले में हुआ था, लेकिन वो मूल रूप से छत्तीसगढ़ के रहने वाले थे। कई वर्षों तक पत्रकारिता करने के बाद उन्होंने 1968 में राजनीति में प्रवेश किया था। अपने राजनीतिक जीवन में उन्होने कई महत्वपूर्ण पदों की जिम्मेदारी संभाली थी। गांधी परिवार के बेहद करीबी होने के चलते साल उन्हें पार्टी कोषाध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। बताते चलें कि वोरा जी हाल ही में कोरोना वायरस की चपेट में आने के बाद ठीक हुए थे, लेकिन अपना 93वां जन्मदिन मनाने के अगले ही उनका देहांत हो गया। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे मोतीलाल वोरा इसी साल अप्रैल तक राज्यसभा के सदस्य थे।मोतीलाल वोरा मध्यप्रदेश के ऐसे पत्रकार/नेता/मुख्यमंत्री थे, जो नरसिम्हा राव, सोनिया गांधी और राहुल गांधी तीनों के खास रहे।
*ऐसे बने थे मोतीलाल वोरा एमपी के मुख्यमंत्री. . . . .*
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह को जब पता चला कि वो पंजाब के राज्यपाल बनाए जा रहे हैं, तो उन्होने अपने बेटे अजय सिंह को फोन किया और मोतीलाल वोरा को दिल्ली लेकर आने को कहा। दिल्ली जाते समय हवाई जहाज में रास्ते में जो हुआ वो काफी मजेदार है। वोरा जी अजय से खुद को कैबिनेट मंत्री का पद दिलाने की सिफारिश कर रहे थे, पर उन्हे क्या पता था कि वो मंत्री पद के लिए लगे हैं, जबकि मुख्यमंत्री का पद उनका इंतजार कर रहा है। एयरपोर्ट से वोरा सीधे मध्यप्रदेश भवन पहुंचे, वहां अर्जुन सिंह, कमलनाथ और दिग्विजय सिंह उनका इंतजार कर रहे थे। इसके बाद सब लोग पालम हवाई अड्डे पहुंचे, राजीव गांधी रूस की यात्रा पर जाने को तैयार बैठे थे। राजीव गांधी ने मोतीलाल वोरा को पास बुलाया और बोले आप अब मुख्यमंत्री हैं।
*साइकिल चलाकर पत्रकारिता करते थे वोरा जी…*
मोतीलाल वोरा को कांग्रेस में लेकर आने वाले डीपी मिश्रा थे। 20 दिसंबर 1928 को उनका जन्म हुआ राजस्थान के नागौर में पड़ने वाले निंबी जोधा में हुआ था, बाद में घर वाले आ गए मध्यप्रदेश। वोरा जी की पढ़ाई रायपुर और कोलकाता में हुई। पढ़ाई के बाद वोरा जी ने पत्रकारिता शुरु की। साइकिल से चलते थे वोरा जी और “नवभारत टाइम्स” समेत कई अखबारों में खबरें भेजा करते थे। पत्रकार रहते हुए ही वे राजनीति में एक्टिव हुए और बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए।
*अटल की हार, सिंधिया की जीत का सेहरा बंधा…..*
इमरजेंसी के बाद 1977 में जनता पार्टी की सरकार थी, राज्य में चुनाव हुए तो कांग्रेस के श्यामाचरण शुक्ल, सिटिंग मुख्यमंत्री समेत कई दिग्गज हार गए. मगर वोरा जी कांग्रेस विरोधी लहर में भी दुर्ग से 54 फीसदी वोट पाकर जीते। 1984 के लोकसभा चुनाव में अटल बिहारी वाजपेयी माधवराव सिंधिया से चुनाव हार गए. इस जीत का सेहरा भी मोतीलाल वोरा के सिर बंधा। अर्जुन सिंह जब फिर से मध्यप्रदेश की राजनीति में आ गए, तो मोतीलाल वोरा राज्यसभा सांसद बनकर दिल्ली चले गए। राजीव गांधी ने उन्हे अपनी कैबिनेट में हेल्थ मिनिस्टर बना दिया।
*लंबे समय तक यूपी के बाॅस रहे वोरा जी. . . . .*
नरसिम्हा राव ने मोतीलाल वोरा को उत्तर प्रदेश का राज्यपाल बनाकर भेजा था। राजीव गांधी के बाद नरसिम्हा राव का दौर आया तो मोतीलाल वोरा की पूछ बढ़ गई। नरसिंहा राव ने उन्हे 26 मई 1993 को राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण यूपी का गवर्नर बनाकर भेजा। मोतीलाल वोरा के तीन साल के कार्यकाल में लंबे समय तक राष्ट्रपति शासन का रहा,यानी गवर्नर ही सूबे का बॉस था। वोरा जी 1996 में राज्यपाल पद से हटे तो फिर मध्यप्रदेश की राजनीति में लौटे तो 1998 के चुनाव में आज के छत्तीसगढ़ की राजनंदगांव सीट से जीते। सोनिया गांधी ने मोतीलाल वोरा को वर्ष 2020 में राज्यसभा में भेज दिया था। वोरा लगभग दो दशक पार्टी के कोषाध्यक्ष और गांधी परिवार के खास रहे। मोतीलाल वोरा की विरासत अब उनके बेटे अरुण वोरा संभाल रहे हैं। (21 दिसंबर 2020)
*विशेष संवाददाता विजय आनंद वर्मा की रिपोर्ट, , ,*