कोर्ट ने जिलाधिकारी का खाता सीज करने की दी चेतावनी…
पीएसी में तैनात सिपाही की दुर्घटना में हुई थी मौत, नहीं मिली परिजनों को क्षतिपूर्ति…
कोर्ट के आदेश का अभी तक नहीं हुआ पालन…
लखनऊ/जौनपुर। पीएसी के सिपाही की सड़क दुर्घटना में मौत के मुकदमे में क्षतिपूर्ति की धनराशि कोर्ट के आदेश के बावजूद न्यायालय में जमा न करने पर वाहन दुर्घटना दावा अधिकरण के पीठासीन अधिकारी मनोज कुमार सिंह गौतम ने जौनपुर के जिलाधिकारी को चेतावनी दी है कि हाईकोर्ट के आदेश के अनुपालन में यदि 2 माह के भीतर क्षतिपूर्ति की रकम वसूल कर अधिकरण मेंहदी जमा नहीं की जाती है तो इसे हाईकोर्ट के आदेश की अवमानना मानते हुए जिलाधिकारी का खाता सीज करने के कार्यवाही की जाएगी और शासन को पत्र लिखा जाएगा। याचिकाकर्ता को भुगतान की जाने वाली क्षतिपूर्ति की रकम मय ब्याज वसूल की जाएगी। इस मामले में आगे की कार्रवाई 24 नवंबर 2020 को होगी।
बताते चलें कि पूर्व में कोर्ट की चेतावनी के बाद जिलाधिकारी ने तत्परता दिखाते हुए तहसीलदार से तत्काल वसूली करने को कहा था, लेकिन इसके छह माह बाद भी धनराशि कोर्ट में जमा नहीं की गई जिस पर कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। वाराणसी पीएसी में तैनात सिपाही आत्मा प्रकाश पांडेय 18 मई 1991 को निर्वाचन ड्यूटी में पुलिस लाइन जौनपुर से पुलिस की गाड़ी में बैठकर मड़ियाहूं जा रहे थे। चकटाला गांव के पास प्राइवेट बस ने गाड़ी में टक्कर मार दी थी, जिससे उनकी मृत्यु हो गई थी। मृतक की पत्नी मंजू ने क्षतिपूर्ति का मुकदमा कोर्ट में दाखिल किया। कोर्ट ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद 21 जुलाई 1999 को आदेश दिया कि राज्य सरकार 3.29 लाख रुपये उसके परिजनों को अदा करे। इसके खिलाफ राज्य सरकार ने हाई कोर्ट में अपील की लेकिन मामला निरस्त हो गया।
इसके बावजूद मुआवजे की रकम नहीं दी गई, तब याची पुन: हाईकोर्ट गई। हाईकोर्ट ने 18 अगस्त 2018 को राज्य सरकार को आदेश दिया कि 6 माह के भीतर बकाया क्षतिपूर्ति अदा की जाए। आदेश का पालन न होने पर अपर जिला जज द्वितीय ने अवमानना नोटिस जारी किया लेकिन धनराशि अदा नहीं की गई। जिस पर कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए अब जिलाधिकारी को खाता बंद करने की चेतावनी दी है।
“हिंद वतन समाचार” की रिपोर्ट, , ,