करेंसी नोट तो नहीं फैलाती कोरोना-कैट ने सरकार से माँगा स्पष्टीकरण…

करेंसी नोट तो नहीं फैलाती कोरोना-कैट ने सरकार से माँगा स्पष्टीकरण…

प्रयागराज/उत्तर प्रदेश:- देश में कोविड महामारी के वर्तमान गंभीर समय में जब सभी सावधानियों के बावजूद कोरोना बढ़ रहा है इसको ध्यान रखते हुए कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन को भेजे गए एक पत्र में कहा है कि अनेक रिपोर्ट के अनुसार करेंसी नोट्स कोविड सहित अन्य अनेक संक्रामक रोगों के वाहक हैं और यह बेहद चिंता का विषय है.

कैट का कहना है कि करेंसी नोट विभिन्न लोगों की एक अनजान श्रंखला के माध्यम से बड़ी संख्या में विभिन्न लोगों तक पहुँचते है, ऐसे में क्या इनके जरिये भी कोरोना फ़ैल सकता है, इस पर सरकार को एक प्रामाणिक स्पष्टीकरण जारी करना चाहिए.

कैट के प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्र गोयल ने सवाल करते हुए कहा की क्या करेंसी नोट संक्रामक रोगों के वाहक हैं और यदि हैं तो इससे बचने के क्या निवारक और सुरक्षा उपाय हैं ! न केवल व्यापारियों के लिए बल्कि देश के लोगों के लिए भी यह जानकारी बेहद जरूरी है जिससे मुद्रा नोटों के माध्यम से कोरोना फैलाने की किसी भी संभावना पर रोक लगाई जा सके यह इसलिए भी आवश्यक है की देश में नकद का प्रचलन ख़ास तौर पर छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रो में बहुत ज्यादा है.

संजीव मिश्र ने कहा कि संक्रामक रोगों को फैलाने में सक्षम करेंसी नोटों का मुद्दा कुछ वर्षों से देश भर के व्यापारियों के लिए बेहद चिंता का कारण बना हुआ है और वर्तमान कोविड महामारी में देश भर के व्यापारियों में इस विषय को लेकर बेहद चिंता है क्योंकि सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जानकारी में विभिन्न अंतरराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय रिपोर्टों में इस बात की पुष्टि की गई है की करेंसी नोट संक्रामक रोगों के वाहक है ! करेंसी नोटों का लेन-देन रोजमर्रा के व्यवहार में आम बात है और इस तरह यह स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा खतरा दिखाई देता है जिसके लिए यह जानना बेहद जरूरी है की क्या कोविड महामारी भी करेंसी नोटों के जरिये फैलती है.

राजेश अग्रवाल ने कहा ली आज सबसे ज्यादा खतरनाक स्थिति में व्यापारी ही है अभी यह देखा भी गया है कि संक्रमितों में व्यापारियों की संख्या ज्यादा है इसलिए सूखी सतह वाले करेंसी नोटों के जरिये कोविड अथवा अन्य वायरस और बैक्टीरिया के फैलने की संभावनाओं को लेकर देश भर के व्यापारी चिंतित हैं क्योंकि करेंसी नोटों का लेन-देन देश भर में व्यापारियों के बीच अधिक होता है और व्यापारी अथवा ग्राहक दोनों पर वायरस का असर हो सकता है.

कैट ने इस सम्बन्ध में डॉ हर्षवर्धन का ध्यान सार्वजनिक रूप से उपलब्ध तीन रिपोर्टों की और दिलाया है जो करेंसी नोटों को वायरस के वाहक के रूप में साबित करती हैं! इस सन्दर्भ में कैट ने कहा कि किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी, लखनऊ द्वारा वर्ष 2015 के एक अध्ययन से पता चला है कि 96 बैंक नोटों और 48 सिक्कों का लगभग पूरा नमूना वायरस, फंगस और बैक्टीरिया से दूषित था जबकि 2016 में तमिलनाडु में किए गए एक अध्ययन में 120 से अधिक नोट डॉक्टरों, गृहिणियों, बाज़ारों, कसाई, क्षेत्रों से एकत्र किये गए जिसमें से 86.4% नोट संक्रमण से ग्रस्त थे !वहीँ वर्ष 2016 में कर्नाटक में हुए एक अध्ययन की रिपोर्ट में 100 रुपये, 50 रुपये, 20 और 10 रुपये के नोटों में से 58 नोट दूषित थे.

कैट ने डॉ. हर्षवर्धन से आग्रह किया है की इस महत्वपूर्ण मुद्दे को तुरंत प्राथमिकता के आधार पर करेंसी लिया जाए और सरकार यह सपष्ट करे की करेंसी नोटों के माध्यम से कोविड सहित अन्य वायरस और बैक्टीरिया फैलते हैं अथवा नहीं जिससे लोग नोटों के जरिये फैलने वाले वायरस से अपना बचाव कर सकें।

हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…