कोरोना के कारण 43 साल पुरानी अशरा ए मजलिस पर लगा ग्रहण…

कोरोना के कारण 43 साल पुरानी अशरा ए मजलिस पर लगा ग्रहण…

शिया धर्रमगुरु मौलाना कल्बे जव्वाद सहित देश विदेश के ओलमा पढ़ा करते थे मजलिस…

मजलिस में हज़ारों लोग होते थे शामिल…

प्रयागराज/उत्तर प्रदेश:- सुलतानपुर भावा स्थित इमामबाड़ा इक़बाल हुसैन में दस दिवसीय अशरे की मजलिस पर कोरोना महामारी का ग्रहण लग गया। इस वर्ष अशरा ए मजलिस के आयोजक ताशू अलवी ने सामुहिक्ता वाले आयोजन को मात्र पाँच लोगों की उपस्थिती में ऑनलाईन कराने का फैसला ले कर लोगों को अवगत कराते हुए अज़ादारी डॉट कॉम और फेसबुक पर लाईव देखने की अपील जारी की।धार्मिक एवं सामाजिक संस्था उम्मुल बनीन सोसाईटी के महासचिव सै०मो०अस्करी के मुताबिक़ उक्त अशरा ए मजलिस में प्रत्येक वर्ष हज़ारों लोग शामिल हुआ करते थे। कोविड 19 के मरीज़ों में लगातार इज़ाफा हो रहा है ऐसे में सामूहिक आयोजन से इस वबा से बचने का एक मात्र उपाय एक दूसरे से दूरी बनाना महत्वपूर्ण है।अस्करी ने बताया की उक्त मजलिस की शहर में काफी ख्याती थी इसमें स्व मौलाना सै०इब्ने हसन नौनहरवी, स्व मौलाना सै०मो०मेंहदी ज़ैदपुरी, स्व मौलाना कल्बे आबिद लखनऊ, स्व मौलाना सै०यूशा फैज़ी ज़ंगीपुरी आदि मजलिस पढ़ा करते थे वहीं बुज़ुर्ग मौलाना सै०हमीदुल हसन,मौलाना सै०कल्बे जव्वाद और मौलाना सै०फरक़लीता अली हुसैनी जैसे देश विदेश के ओलमा पूर्व वर्ष में दस दिवसीय अशरे की मजलिस पढ़ने प्रयागराज के सुलतानपुर भावा स्थित इमामबाड़ा इक़बाल हुसैन अलवी में आते रहे हैं।वहीं मजलिस में शबीहे ताबूत भी निकाला जाता था और शहर की अन्जुमन हाशिमया,अन्जुमन हुसैनिया क़दीम,अन्जुमन ग़ुन्चा ए क़ासिमया व अन्जुमन अब्बासिया नौहा और मातम का नज़राना पेश करा करती थी।लेकिन इस वर्ष कोविड १९ की वजहा से मजलिस को मात्र पाँच लोगों की मौजूदगी में ऑनलाईन कराया जा रहा है।जिसमें घर के लोग ही शामिल हो रहे हैं।

सीमित लोगों की उपस्थिति में इमामबाड़ा मेंहदी रज़ा में हुई मजलिस

अज़ाखाना मेंहदी रज़ा बैदन टोला में सालाना मजलिस में मौलाना जव्वाद हैदर जव्वादी ने सीमित लोगों की उपस्थिती में मजलिस को सम्बोधित करते हुए शाहे शहीदाँ हज़रत इमाम हुसैन और उनके अन्सारो अक़रबा की शहादत का मार्मिक अन्दाज़ में ज़िक्र किया।मौलाना जव्वाद हैदर ने पढ़ा की करबला के मैदान में शहादते इमाम हुसैन के बाद खैमों में आग लगाने के साथ यज़ीदी लश्कर ने सैदानियों के सरों से चादर छीनने के साथ बीबी सकीना के कान के गोशवारे भी नोंच लिए। मजलिस में शामिल लोग मसायबे अहलैबैत सुन कर सिसकियाँ लेने लगे।आँखों से अश्कों की धारा बहने लगी।अन्जुमन ग़ुन्चा ए क़ासिमया के नौहाख्वान शादाब ज़मन, अस्करी अब्बास, शबीह अब्बास जाफरी, अखलाक़ रज़ा, यासिर ज़ैदी, ज़हीर अब्बास, ऐजाज़ नक़वी, कामरान रिज़वी, अली रज़ा रिज़वी, असद आदि ने तालिब इलाहाबादी का लिखा ग़मगीन नौहा पढ़ कर पुरसा पेश किया।मजलिस में मिर्ज़ा अज़ादार हुसैन, सै०मो०अस्करी, ज़ामिन हसन, अली रज़ा,अली रिज़वी आदि शामिल रहे।

पत्रकार इरफान खान की रिपोर्ट…