पितृपक्ष में पिंडदान की परंपरा को जीवित रखने के लिए…

पितृपक्ष में पिंडदान की परंपरा को जीवित रखने के लिए…

कोरोना काल में गया के पंडा खुद कर रहे है पिंडदान…

बिहार में कोरोना संक्रमण की रोकथाम के मद्देनजर राज्य सरकार और जिला प्रसाशन ने इस बार गया में होने वाले विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला को रद्द कर दिया है। पितृपक्ष मेला रद्द किए जाने के बाद तीर्थयात्रियों और पिंडदानियों के आने पर रोक लग गयी है,ऐसे में वर्षों से चली आ रही धार्मिक मान्यताओं और परंपरा को जीवित रखने के उद्देश्य से विष्णुपद क्षेत्र के गयापाल पंडा खुद अपने पितरों का 15 दिनों तक पिंडदान करेंगे।
इस दौरान विभिन्न पिंडवेदियों पर पिंडदान और कर्मकांड किया जाएगा,वहीं कोरोना को लेकर विष्णुपद मन्दिर बंद होने और पिंडदानियों के आगमन पर रोक के बाद लॉकडाउन-1 से ही गयापाल पंडा खुद पिंडदान कर रहे हैं।
बता दें कि विभिन्न धार्मिक ग्रंथो में वर्णित है कि गया में पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष और सद्गति की प्राप्ति होती है. यही कारण है कि अश्विन कृष्ण पक्ष में 15 दिनों का पितृपक्ष मेला का आयोजन किया जाता है,इस दौरान देश विदेश से लाखों की संख्या में हिन्दू सनातन धर्मावलम्बी यहां आते हैं और अपने पितरों को मोक्ष दिलाने की कामना को लेकर पिंडदान,तर्पण और कर्मकांडो करते हैं। ग्रंथो में यह वर्णित है कि भगवान श्री राम और मां सीता ने भी अपने पिता राजा दशरथ का पिंडदान गया में किया था।
वहीं गयापाल पंडा का पिंडदान करने वाले ओमकार नाथ ठगनिवार ने बताया कि अग्नीबार परिवार जी का पिंडदान हो रहा है और यह सब एक ही वंश के हैं और 17 दिनों का पिंडदान और श्राद्ध होता है. मगर सरकार की ओर से कोरोना महामारी को लेकर पितृपक्ष मेला को रद्द कर दिया गया है, मगर हमलोग पंडा समाज के हैं और ये परंपरा टूटने नहीं देना चाहिए इसलिए हमलोग तीन पक्षि श्राद्ध कर रहे हैं क्योंकि पिंडदानी के गया जी में आने पर रोक दिया गया है, इसलिए हमलोग त्रिपक्षी श्राद्ध कर रहे हैं।

हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…