56 वर्षीय पी के चौधरी की मौत ने कोरोना के नाम पर हुई लापरवाही ने प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग की पोल खोल दी… 

56 वर्षीय पी के चौधरी की मौत ने कोरोना के नाम पर हुई लापरवाही ने प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग की पोल खोल दी…

उधम सिंह नगर खटीमा में 56 वर्षीय पी के चौधरी की मौत ने कोरोना के नाम पर हुई लापरवाही ने प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग की पोल खोलने के साथ ही किस तरीके से कोरोना समाज में एक बहुत बड़ी खाई बनाते हुए सामाजिक असमानता का निर्माण कर रहा है।प्रदर्शित करता है।
मामला खटीमा के राजीव नगर का है जहां पर बीते दिनों 56 वर्षीय पी के चौधरी की तबियत खराब हुई तो उनकी पुत्री पिया चौधरी ने अपने पिता के इलाज के लिए स्वास्थ्य विभाग से संपर्क साधा तो उन्हें कोरोना का मरीज घोषित कर दिया गया।अब क्या था अपने पिता को बचाने के लिए जान की गुहार लगाती उनकी बेटी कभी स्वास्थ्य विभाग से संपर्क करती तो कभी स्थानिय प्रशासन से उसे काफी मसक्कत करनी पड़ी ।बड़ी मुश्किल के बाद उसे एम्बुलेंस उपलब्ध कराई गई जिसमें उसे उपचार कितनी दिक्कतों का सामना करना पड़ा यह पिया चौधरी के द्वारा जिलाधिकारी को लिखा पत्र बताता है। 56 वर्षीय पी के चौधरी की मौत को कोरोना की पहली मौत के रूपमे क्षेत्र में प्रचारित किया गया जो कि झूठ निकला।अब जब 10 अगस्त को रिपोर्ट आई तो पीके चौधरी की रिपोर्ट निगेटिव थी।अब 56 वर्षीय पी के चौधरी की मौत अपने पीछे कई सवालों को छोड़ कर चली गयी।आखिर इन सब बातों का दोषी कौन ?
आजकल सामान्य लक्षणों या लक्षण विहीन को भी कोरोना पॉजिटिव दिखाने मात्र से चाहे उसके भीतर कोरोना के लक्षण न हो लेकिन उस परिवार पर वज्राघात टूट जा रहा है।और मानसिक रूप से कमजोर व्यक्ति रोग की गिरप्त में आ रहा है।समाज उस परिवार को घृणा की नजरों से देखने लगा है,मानो उसने कोई बहुत बढ़ा अपराध कर लिया हो।ऐसे कई मामले सामने आ रहे है ऐसे सदिंग्ध परिवारों की मदद करने उसके पड़ोसी भी कोरोना की डर से नही आ रहे।समाज में डर,भय ,सामाजिक असमानता के साथ ही सामाजिक मूल्यों का ह्रास दृष्टिगोचर हो रहा है।पी के चौधरी किसी अन्य रोग से ग्रस्त थे परंतु कोरोना के नाम से कभी स्वास्थ्य विभाग तो कभी प्रशासन ने अपनी जिम्मेदारी को एक -दूसरे के ऊपर डालने का काम किया ।कोरोना के चलते समाज भी उनकी मदद को उस समय आगे नही आया।आख़िर अब पी के चौधरी की रिपोर्ट निगेटिव आ गयी तो अब लोगों के आँखों से कोरोना के नाम पर बनाये जा रहे भय का चश्मा उतरना लाजिमी है।कुल मिलाकर इस घटना में पिया के परिवार के बहुत कुछ खोने के साथ ही समाज ,जनप्रतिनिधियों की उदासीनता,स्वास्थ्य विभाग व प्रशासन किसको दोषी माना जाये एक यक्ष प्रश्न है।फिलहाल पिया के मोहल्ले को कंटेन्मेंट एरिया से हटाने की मांग के साथ ही दोषियों को कड़ी सजा दिलाने की मांग जनता द्वारा की जा रही है।

पत्रकार मुस्तकीम मलिक की रिपोर्ट…