पेड़ लगाना बड़ी बात नहीं उनकी देखभाल करना और उन्हें तैयार करना यह बड़ी बात अनिल वर्मा….
विद्यालय बंद होने के बावजूद भी प्रधानाध्यापक ने सजाई बागवानी…
नगराम/लखनऊ विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर पेड़ लगाकर तमाम लोग फोटो खिंचवा लेते हैं, लेकिन बाद की जिम्मेदारी वह लोग नहीं लेते हैं और वही पेड़ कुछ दिन बाद देखरेख के अभाव में अपनी दम तोड़ कर सूख जाते हैं। वहीं कुछ लोग ऐसे होते हैं उनकी लगातार देखभाल करते हैं और उन्हें पेड़ का रूप सीने में मदद करते हैं अच्छी मिट्टी में तो सभी लोग पेड़ तैयार कर लेते हैं और जब मिट्टी उसरीली हो तो उसने पेड़ को तैयार करना आसान काम नहीं होता, ऊसर भूमि में आपने देखा होगा की कांटे वाले पेड़ बबूल ही आपको लगे मिलेंगे परंतु एक ऐसा विद्यालय भी है, जहां पर उसर वाली जमीन होते हुए भी कई प्रकार के आपको पेड़ मिलेंगे जहां फूलों की बागवानी मिलेगी जी हां हम बात कर रहे हैं प्राथमिक विद्यालय गुमानी खेड़ा की वहां पर आपको कई किस्म के फूल पेड़ ऊसर वाली भूमि पर तैयार किए गए हैं और यह ऐसे ही नहीं तैयार हुए काफी विषम परिस्थितियों में इनको तैयार किया गया है इस समय विद्यालय में विकराल भीषण गर्मी में सूरजमुखी के फूल अलग ही छटा बिखेर रहे हैं । यहां के प्रधानाध्यापक अनिल कुमार वर्मा पर्यावरण के प्रति काफी जागरूक हैं, लॉक डाउन के समय विद्यालय भी बंद हैं। वही प्रधानाध्यापक अनिल वर्मा सप्ताह में 2 दिन रहमत नगर से चलकर गुमानी खेड़ा लगभग 20 किलोमीटर की दूरी तय कर इस बागवानी को देखने व सिंचाई के लिए स्कूल आया करते थे । प्रधानाध्यापक ने बताया कि यहां पर प्रवेश लेने वाले हर बच्चे से एक पौधा लगाने के लिए प्रेरित करते हैं तथा हर बच्चे के नाम से एक पौधे को रोपित करा कर उसकी देखभाल करने की जिम्मेदारी भी बच्चे को देते हैं l ऐसा नहीं कि वह यह काम सिर्फ विद्यालय में करते हैं। वह अपने आसपास लोगों के जन्मदिन पर पेड़ भी भेंट करते हैं। और उसकी देखभाल करने का भी वादा कराते हैं, पर्यावरण के प्रति समुदाय को जागरूक करने के लिए बच्चों द्वारा नाटिका के माध्यम से लोगों को पेड़ लगाने के लिए प्रेरित करते हैं l समय समय पर समुदायों में पेड़ों का वितरण भी करते रहते हैं , जिससे ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाए जा सकें ।
संवाददाता अनुराग तिवारी की रिपोर्ट…