बुरे वक्त में फसे इंसान की मदद करना ही इंसानियत होती है : शुशील अग्रवाल…
गोवर्धन । कोविड 19 वैष्विक महामारी के संक्रमण को फैलने से रोकने हेतू जब से सरकार द्वारा लॉक डाउन लागू किया तो लोग अपने घरों में रहने लगे जिससे गरीब वर्ग के रोजी रोटी का संकट उतपन्न हो गया और तमाम सरकारी वादे विफल रहे जनप्रतिनिधियों को दर्शन दुर्लभ हो गए ऐसे में लोग भुखमरी के कगार पर पहुंच कर राह देखने लगे कि कोई मददगार साबित होता है अथवा बच्चों को भूख से तड़पते देखना होगा तब यूं तो बृज के तमाम युवा समाजसेवी आगे आये और यथासंभव बढ़ चढ़ कर लोगों की हर तरह से मदद की लेकिन एक ऐसा युवा चेहरा भी मददगार के रूप में सामने आया जो सत्ताधारी दल का नगर पदाधिकारी भी रहा है और वर्तमान समय मे विश्वहिंदू परिषद का सदस्य है तथा आर्थिक स्थिति में भी कमजोर होने के बाबजूद दृढ़ इच्छाशक्ति के चलते लोगों की मदद करने हेतू खड़ा हुआ।
जी हाँ जहां चाह होती है वही राह भी होती है उक्त पंक्तियां शुशील अग्रवाल पर सटीक बैठती हैं घर से आर्थिक स्थिति कमजोर होने के उपरांत भी शुशील अग्रवाल ने ऐसे लोगों से सम्पर्क स्थापित किया जो इस आपदा के समय मे लोगों की मदद तो करना चाहते थे परन्तु घरों से निकलने की हिम्मत नही कर पा रहे थे ।
ऐसे लोगों को मद्देनजर कर उनसे सहयोग लेकर प्रतिदिन सुबह चाय व नाश्ता अपने हाथों से तैयार कर ईरिक्शे से जरूरत मंदों को सुबह चाय नाश्ता मुहैया कराते रहे तो शाम को खाना भी इसी प्रकार मुहैया कराते चले आ रहे हैं।
25 मार्च से लगातार इस महामारी के दौर में शाररिक मानसिक व यथासंभव आर्थिक मदद लोगों पहुचाने प्रतिदिन 20 घण्टे लगे रहते हैं अपने व अपने घर लिए मात्र 4 घण्टे देते हैं जिसमे खाना पीना नित्य कर्म और नींद लेना भी शामिल रहता है।
जब शुशील अग्रवाल से वार्ता की गई तो उन्होंने बताया कि मुसीबत के समय मे बुरे वक्त में इन्सान की मदद करना ही असल इंसानियत है और उसी क्रम में सेवा कार्य सुचारू रूप से जारी है।
संवाददाता अमित गोस्वामी की रिपोर्ट…