लाॅकडाउन के मारे प्रवासी मजदूरों के लिए राहत भरा सुप्रीम फैसला…

लाॅकडाउन के मारे प्रवासी मजदूरों के लिए राहत भरा सुप्रीम फैसला…

मजदूरों से बस, ट्रेनों का किराया नहीं लिया जाए: उन्हे घर पहुंचाने के काम में तेजी लाई जाए…

सुप्रीम कोर्ट ने कहा राज्य सरकारें दें किराया और घर तक पहुंचाने की भी व्यवस्था करें…

मजदूरों को ट्रेन व बसों में चढ़ने का समय भी बताया जाए…

नई दिल्ली। देश भर में फंसे प्रवासी मजदूरों की समस्या और उन पर आई विपत्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने आज बड़ा फैसला सुनाया है। शीर्ष अदालत ने अपने अंतरिम आदेश में कहा है कि मजदूरों से बस, ट्रेनों का किराया नहीं लिया जाएगा। कोर्ट ने आदेश दिया कि राज्य सरकारें मजदूरों का किराया देंगी और उनको घर पहुंचाने की व्यवस्था करेंगी। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि राज्य सरकारें मजदूरों की वापसी में तेजी लाएं। बताते चलें कि मजदूरों की समस्या को देख सुप्रीम कोर्ट ने स्वत इसका संज्ञान लेकर मामले में सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि प्रवासी श्रमिकों से ट्रेन या बस का कोई किराया नहीं लिया जाएगा। अदालत ने कहा कि विभिन्न स्थानों पर फंसे हुए सभी प्रवासी कामगारों को संबंधित राज्य और केन्द्र शासित प्रदेशों द्वारा उन स्थानों पर भोजन उपलब्ध कराया जाएगा। इसके अलावा मजदूरों को ट्रेन या बसों में चढ़ने का समय भी बताया जाएगा।
लॉकडाउन में फंसे लोगों को विशेष ट्रेनों के जरिये उनके गृह राज्य पहुंचाने के लिए किराया वसूलने का मामला इस हफ्ते की शुरुआत से ही विवादों में रहा। केंद्र सरकार और भाजपा नेता ये दावा कर रहे हैं कि रेलवे परिवहन का 85 फीसदी खर्चा केंद्र सरकार उठाती है और 15 फीसदी खर्च का वहन राज्य सरकारों को करना होगा। हालांकि इस संबंध में अभी तक सरकार की ओर से कोई आधिकारिक आदेश या निर्देश जारी नहीं किया गया है। सिर्फ सोशल मीडिया के जरिये ही भाजपा के कई नेता और प्रवक्ता इसका प्रचार कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ मजदूरों को इस महामारी के दौर में भी करीब-करीब उतना ही रेल किराया देना पड़ रहा है जितना आम दिनों में देना होता था।
ऐसे तो मजदूरों को भेजने में लगेंगे 3 और महीने
सिब्बल ने कहा पिछले जणगणना में 3 करोड़ प्रवासी मजदूर थे, अब 4 करोड़ हो चुके हैं। सरकार ने 27 दिन में 91 लाख भेजे हैं, इस तरह तो चार करोड़ को भेजने में तीन महीने और लगेंगे। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सिब्बल कैसे कह सकते हैं कि सभी जाना चाहते हैं इस पर सिब्बल ने कहा कि आपको कैसे पता कि नहीं जाना चाहते ? बिहार सरकार ने शीर्ष अदालत को बताया कि उसके यहां 10 लाख प्रवासी मजदूर सड़क से आए हैं। बता दें कि बिहार के लिए सैकड़ों श्रमिक ट्रेनें भी चल रही हैं।
‘अभूतपूर्व संकट पर अभूतपूर्व कदम’ उठाए
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की तरफ पेश साॅलिसिटर जरनल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि यह अभूतपूर्व संकट है और हम अभूतपूर्व कदम उठा भी रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि प्रवासी मजदूरों को टिकट कौन दे रहा है, उसका भुगतान कौन कर रहा है ? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि टिकट के पेमेंट के बारे में कंफ्यूजन है और इसी कारण मिडिल मैन ने पूरी तरह से शोषण किया है। सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि ऐसी घटनाएं हुई है कि राज्य ने प्रवासी मजदूरों को प्रवेश से रोका है। तब सॉलिसिटर ने कहा राज्य सरकार लेने को तैयार है। कोई भी राज्य प्रवासी के प्रवेश रोक नहीं सकता। वह भारत के नागरिक हैं।
प्रवासियों को घर पहुंचाने तक चलती रहेंगी ट्रेने-केंद्र
केंद्र की तरफ से सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि सरकार मजदूरों के लिए काम कर रही है लेकिन राज्य सरकारों के जरिए उन तक नहीं पहुंच रही है, कुछ दुर्भाग्यपूर्ण घटानएं हुई हैं। सॉलिसिटर जनरल ने कहा केद्र सरकार ने तय किया है कि प्रवासी मजदूरों को शिफ्ट किया जाएगा, सरकार तब तक प्रयास जारी रखेगी जब तक एक भी प्रवासी रह जाते हैं तब तक ट्रेन चलती रहेंगी।
’91 लाख मजदूर अब तक जा चुके हैं गांव’
तुषार मेहता ने कहा कि केंद्र सरकार ने अभी 3,700 ट्रेने प्रवासी मजदूरों के लिए चला रखीं है, अभी तक 91 लाख प्रवासी मजदूर अपने गांव जा चुके हैं। तुषार मेहता ने कहा कि पड़ोसी राज्यों के सहयोग से 40 लाख को सड़क से शिफ्ट किया गया है। मेहता ने कहा कि एक मई से लेकर 27 मई तक कुल 91 लाख प्रवासी मजदूर शिफ्ट किए गए हैं
10 दिन में मजदूरों को घर भेजना चाहिए-कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि जब पहचान सुनिश्चित हो जाती है कि प्रावसी मजदूर हैं तो उन्हें भेजने में कितना वक्त लगता है, उन्हे हफ्ते 10 दिन में भेजा जाना चाहिए। इस पर केंद्र के वकील ने कहा कि अभी तक करीब एक करोड़ से ऊपर प्रवासी मजदूर भेजे जा चुके हैं। जो पैदल जा रहे हैं वह अवसाद और अन्य कारणों से ऐसा कर रहे हैं।
सिब्बल बोले- हमने चार करोड़ दिया दान
तुषार मेहता ने दलील दी कि सुप्रीम कोर्ट को राजनीतिक मंच नहीं बनाया जाना चाहिए। इस पर कपिल सिब्बल ने कहा कि यह मानवीय आपदा है। तब मेहता ने पूछा कि आपका इस आपदा से निपटने के लिए क्या योगदान है, इस पर कपिल सिब्बल बोले 4 करोड़ रुपये, ये मेरा योगदान है।

“हिंद वतन समाचार” की रिपोर्ट, , ,