कायनात की आंखें भी डबडबा उठीं जब मरहूम आसिफ की मां बेेटे की खातिर गिड़गिड़ाती रही। मिन्नतें और आरजू यहां काम न आई। लाॅक डाउन का ऐसा असर हुआ कि घर के चिराग की शमा ही बुझ गई…

कायनात की आंखें भी डबडबा उठीं जब मरहूम आसिफ की मां बेेटे की खातिर गिड़गिड़ाती रही। मिन्नतें और आरजू यहां काम न आई। लाॅक डाउन का ऐसा असर हुआ कि घर के चिराग की शमा ही बुझ गई…

फर्रुखाबाद। कायनात की आंखें भी डबडबा उठीं जब मरहूम आसिफ की मां बेेटे की खातिर गिड़गिड़ाती रही। मिन्नतें और आरजू यहां काम न आई। लाॅक डाउन का ऐसा असर हुआ कि घर के चिराग की शमा ही बुझ गई।
इसे थाना राजेपुर पुलिस की कर्तव्यपरायणता मानें या घोर लापरवाही जब डायलिसिस कराने को आ रहे आसिफ को जनपद में घुसने नहीं दिया गया। इलाज के अभाव में मौत के आगोश में खो जाने के लिए मजबूर कर दिया गया। उल्लापुर निवासी तीस वर्षीय आसिफ का इलाज कानपुर से चल रहा था। फर्रुखाबाद के सिटी अस्पताल से उसकी डायलिसिस होती थी। बुधवार को आसिफ की अचानक तबीयत खराब हुई तो उसे परिजन फर्रुखाबाद लेकर भागे। डबरी सीमा पर तैनात पुलिसकर्मियों ने वाहन को प्रवेश की अनुमति नहीं दी। मृतक के परिजनों ने पुलिस से तमाम मिन्नतें की लेकिन उनकी एक नहीं सुनी गई। जनपद से अल्लागंज की दूरी 60 किमी. वहीं नगर सीमा से मात्र 25 किमी. की दूरी के कारण इस इलाके के लोग बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के लिए जिला मुख्यालय पर आते हैं।
थाना प्रभारी निरीक्षक जयंती प्रसाद गंगवार ने बताया कि पूरे प्रकरण की उन्हें जानकारी नहीं है। ऐसा है तो गलत हुआ। मानवीय दृष्टिकोण से युवक को इलाज की सुविधा दी जा सकती थी। मृतक का 2016 में शहनाज के साथ निकाह हुआ था। उसका एक पुत्र एक वर्ष पूर्व काल के गाल में समा चुका है। आसिफ पुत्र गुलाबशेर निवासी उल्लाहपुर के इन्तकाल के बाद परिवार में अंधेरा छा गया

पत्रकार राहुल सिंह चौहान की रिपोर्ट…