काले धान में एंथोसायनिन एंटी आक्सीडेंट की मात्रा ज्यादा होने के कारण यह कैंसर के मरीजों के लिये रामबाण…
शूगर व ब्लडप्रेशर के रोगी भी कर सकते काले धान के चावल का उपयोग….
अप्रैल बुधवार 8-4-2020 चंदौली/उत्तर प्रदेश:। चंदौली का काला धान इन दिनों सुर्खियों में बना हुआ है। इस धान में एंथोसायनिन एंटी आंक्सीडेंट की प्रचुर मात्रा होने के कारण काला धान कैंसर के मरीजों के लिये रामबाण साबित हो रहा है। इसी के चलते चंदौली जिला प्रशासन ने काले धान को ड्रीम प्रोजेक्ट बना लिया है। गौरतलब है कि शुरुआती दिनों में जनपद के प्रगतिशील किसानों ने मणिपुर से इस धान का बीज मंगवा कर इसकी खेती की थी।बाद में जिला प्रशासन ने इसकी पैदावार को गम्भीरता से लिया। आज स्थिति यह है कि जनपद के लगभग एक हजार से ज्यादा किसानों ने काला धान की खेती के लिये पंजीकरण कराया है।यही नहीं समिति बनाकर इसके मार्केटिंग की भी व्यवस्था की गयी है। वैज्ञानिकों के अनुसार चंदौली के काला धान में जिंक व आयरन की अधिकता होने के कारण इसका चावल शुगर के मरीजों के लिये भी उपयोगी साबित हुआ है।जनपद के कृषि उपनिदेशक विजय सिंह कहते है कि चूंकि काला धान मणिपुर से लाया गया है। मणिपुर से इस धान को खाड़ी के देशों में निर्यात किया जा रहा है इसलिए चंदौली जिलाप्रशासन ने निर्यातकों को जनपद में लाने का प्रयास किया है। उन्होंने बताया कि निर्यातक यहां से धान का नमूना लेकर गये है।लैब में चंदौली के काले धान का परीक्षण कराने के बाद इसके निर्यात की संभवानाएं स्पष्ट हो सकेगी।इसी के साथ चंदौली के काले धान की पहचान विश्व पटल हो सकेगी। चंदौली के किसानों द्वारा बनायी गयी समिति काले चावल के निर्यात के लिये एक किलो का पैकेट भी तैयार करवा लिया है। बताते चले कि इस समय काला धान 300 रुपये प्रति किलो के दर से बिक रहा है।इस धान की पैदावार प्रति हेक्टेयर 40 से 45 क्विंटल औसत उपज देखने को मिली है। जिलाधिकारी नवनीत सिंह चहल बखूबी मानते है कि धान के कटोरा को काला धान की पैदावार के कारण इसे पूरे पूर्वांचल में जाना जाने लगा है।इसकी खेती में आने वाली अड़चनों को दूर करने के साथ मार्केटिंग व निर्यात का सरकारी प्रयास रंग लाया तो जनपद की पहचान विश्व स्तर पर होने लगेगी।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…