उत्तर प्रदेश: कुदरत ने ऐसा बरपाया कहर, बारिश और ओलों का फसलों पर पड़ा असर…
मार्च का महीना बीतने को आया है। लेकिन कुदरत ने ऐसा कहर बरपाया है कि शायद किसी को अंदाजा होगा। उत्तर भारत में कुदरत का कहर जारी है। ओलावृष्टि और बारिश से किसानों के माथे पर चिंता की लकीर है। अन्नदाता की फसलें चौपट हो गई हैं।
एक हफ्ते में दो बार ओले गिरने की वजह से किसानों के सामने समस्या खड़ी हो गई है। गेहूं, सरसों, मसूर, चना आदि के साथ आम की फसल को भारी नुकसान पहुंचा है। लखनऊ के साथ बाराबंकी, सीतापुर, अमेठी, सुल्तानपुर और बुंदेलखंड के जिलों में मौसम की वजह से तापमान में भी गिरावट दर्ज की गई है।
किसानों के लिए मार्च का महीना तबाही लाने जैसा है। बेमौसम भारी बारिश, ओलावृष्टि और तेज हवाओं के चलते गेहूं, आलू, प्याज, चना, सरसों समेत रबी की सीजन की फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है।
मुख्यमंत्री ने पीड़ित किसानों को भरोसा दिया कि सरकार शीघ्र ही अन्य पीड़ित किसानों के फसलों को हुए नुकसान का आंकलन कर उसका मुआवजा उनके घर तक पहुंचाएगी।
किसानों के लिए मार्च का महीना तबाही लाने जैसा है। बेमौसम की भारी बारिश, ओलावृष्टि और तेज हवाओं के चलते गेहूं, आलू, प्याज, चना, सरसों समेत रबी की सीजन की फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है। तो आकाशीय बिजली गिरने से अकेले यूपी में पिछले 24 घंटे में 28 लोगों की मौत हुई है। उत्तर प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, हरियाणा, मध्य प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़ समेत राज्यों में मौसम के बदलाव ने किसानों की कमर तोड़ दी है। इस सीजन में पहली भारी बारिश 29 फरवरी को हुई, उसके बाद 3, 4 और 5 मार्च से लेकर 14 मार्च तक पिछले 15 दिनों में 3 बार अलग-अलग वक्त और अंतराल में हुई बारिश खड़ी फसलें बर्बाद कर दी हैं। यूपी समेत कई राज्यों में की फसल को भी नुकसान पहुंचा है।
किसानों के खेतों में हुई इस तबाही का असर आने वाले दिनों में बाजार और आपकी किचन के बजट पर भी नजर आएगा। फसलों का नुकसान होने से कई खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ़ सकती हैं। तस्वीरों में देखिए कैसे बर्बाद हुई हैं।
“हिंद वतन समाचार” की रिपोर्ट, , ,